ग्रहण-मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

“मुक्ता••! आज तुम दूसरे कमरे में जाकर सो जाओ••!

 क्यों•• क्या हुआ ?

आपकी तबीयत तो ठीक है ••? हां-हां तबीयत ठीक है ! कुछ प्रोजेक्ट्स सबमिट करनी हैं इसलिए कुछ दिन ऑफिस का काम घर पर ही करूंगा !  

 मेरे साथ सोने में तुम्हें दिक्कत होगी इसलिए कह रहा हूं !

नजरे चुराते हुए सुमित बोला !

अच्छा••! कोई बात नहीं मैं सोफे पर सो जाऊंगी आप टेंशन मत लीजिए! 

 “मैंने बोला ना कि कुछ दिन मुझे फ्री छोड़ दो !सारी रात मेरे सर पर बैठी रहोगी क्या••?  खींजते हुए सुमित बोला।

 शायद उन्हें काम का प्रेशर होगा••! ये सोचते हुए वह वहां से चली गई।

जान बची तो लाखों पाए! एकदम फेवीकौल का जोर है !

 एक लंबी सांस छोड़ते हुए सुमित अपने काम में लग गया। 

मुक्ता और सुमित पहली बार एक शादी में मिले थें।  सुमित के फुफेरे भाई “साहिल की शादी”  मुक्ता की मौसी की बेटी से हुई थी। ‘जय माल’ के समय सुमित ने पहली बार मुक्ता को देखा और उसे दिल दे बैठा। जब साहिल को इस बात का पता चला कि सुमित उसे पसंद करने लगा है तो :-

“भाई! वह गांव की सीधी-सादी लड़की है! ग्रेजुएशन कर रही है•• तुम भूल जाओ उसे! साहिल समझाते हुए बोला।

 ” भैया! सी इज द मोस्ट ब्यूटीफुल एंड आई लाइक हर••!

ये तेरा बचपना है तू एक “मल्टीनेशनल कंपनी” में इंजीनियर है•• तुझे ढ़ेरो पढ़ी-लिखी लड़की मिल जाएगी!क्यों•• बेचारी की जिंदगी बर्बाद करने पर तुला है?

  ‘आई रियली लव हर’ इन फैक्ट मैं तो उससे शादी करना चाहता हूं! आप का काम सिर्फ मम्मी- पापा को कन्वेंस करना है! सुमित एक प्यारा सा मुस्कान देते हुए बोला । 

“मुझे तो तरस आ रहा है उस पर! लेकिन तू कहता है तो मैं मामा-मामी जी से बात करता हूं।

जब ये बात सुमित के मम्मी- पापा को पता चला तो तुरंत सुमित के पापा राजेश जी अपनी बहन शारदा जी को लेकर मुक्ता के पिता ‘नारायण जी’ से मिल, उनके रिश्ते का प्रस्ताव रखा।पहले तो नारायण जी को बहुत घबराहट हुई कि इतने बड़े घर में कैसे शादी करूं पर भगवान की मर्जी समझ वह तैयार हो गये।

कुछ महीनों बाद एक उचित समय देखकर दोनों की शादी हो गई।  शादी के बाद सभी अपने निवास स्थान ‘बेंगलुरु’ आ जाते हैं। 

“बड़ा शहर-बड़ा बंगला” देख पहले तो मुक्ता को विश्वास ही नहीं हुआ कि वह इतने बड़े घर में आ चुकी है। उसे सब कुछ एक सपना सा लग रहा था ।

 थैंक्स मेरी जिंदगी में आने के लिए! बेंगलुरु आने के बाद आज दोनों की फर्स्ट नाइट थी ।  धन्यवाद तो मुझे आपको देना चाहिए कि आपने•• मुझ जैसी साधारण लड़की को अपने जिंदगी में शामिल किया! मुक्ता नजर नीचे करते हुए बोली।

किसने कहा कि तुम साधारण हो सुमित अपनी जिंदगी में बस कीमती चीजें  ही शामिल करता है और तुम मेरे लिए उन कीमती चीजों मे एक हो••!

राजेश और अपर्णा जी भी अपने मन लायक बहू पाकर अपने आप को धन्य समझने लगे ।

मुक्ता सास-ससुर के दिलों पर भी राज करने लगी।

समय बीतता गया देखते-देखते साल गुजर गए ।

एक दिन राजेश और अपर्णा जी अपने किसी रिश्तेदार की शादी में शामिल होने के लिए “चेन्नई” बाई-रोड जा रहे थे कि अचानक भयानक सड़क दुर्घटना से दोनों की मौत हो जाती है।

इस हादसे की वजह से सुमित बहुत बड़े सदमे में चला गया।अब 

 वह खोया-खोया सा रहने लगा और ज्यादा टाइम ऑफिस में ही बीताता। मुक्ता ने हर संभव प्रयास किया कि सुमित को सदमे से बाहर लाया जाए परंतु उसकी कोशिश नाकाम रही ।  ‘समय बलवान होता है ‘ये सोच वह उसके उसी रूप में आने की प्रतीक्षा करने लगी। 

सुमित के ऑफिस में एक नई लड़की वर्णिका की जॉइनिंग हुई। 

 “यार! इतना हैंडसम और इनोसेंट लड़का कौन है? और हमेशा इसके चेहरे पर 12 क्यों बजे रहते हैं? वर्णिका अपनी सहकर्मी विनीता से पूछी ।

इतनी खुश मत हो यह शादीशुदा है••! फिर उसने सुमित के बारे में सारी बात बता दी।

लंच टाइम में सुमित अकेले बैठा चाय पी रहा था कि उसी समय वर्णिका वहां पहुंची।

” हाय! आई एम वर्णिका! सुमित को अपना हाथ देते हुए बोली।   बिना कुछ बोले हाथ मिला उसको सामने वाली चेयर पर बैठने का इशारा करता है।

 आप सुमित है ना?

हां पर आपको कैसे पता••?

मुझे तो यह भी पता है कि आप इतने शांत नहीं थे और अब इतने शांत क्यों हो गए !

अच्छा••! लगता है मेरे बारे में आपने काफी रिसर्च कर रखा है! सुमित शांत भाव से बोला।

 यस••! जब कोई शांत हो तो रिसर्च करना पड़ता है! 

इतना सुनते ही सुमित हंस पड़ा। 

 “चाय” लेंगी आप ?

हां !आप कह रहे हैं तो जरूर लूंगी !

फिर दोनों में बातचीत का सिलसिला चालू होता है।  वर्णिका के साथ वह‌ कंफर्ट महसूस करने लगा और उस दिन के बाद से हर दिन उसका लंच टाइम में इंतजार करता।

फिर दोनों इकट्ठे लंच करते और एक दूसरे के साथ टाइम बिताते।

 अब वह अपने आप को हल्का महसूस कर रहा था उसे वर्णिका के साथ बिताया गया समय टॉनिक जैसा लगने लगा।

धीरे-धीरे उनकी दोस्ती प्यार में तब्दील हो गई ।

तुम•• सब कुछ जानते हुए भी मुझे पसंद करती हो यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है !

क्या मुक्ता के लिए सही रहेगा••?

‘लिसन! तुम अपनी वाइफ के साथ खुश नहीं हो ! खुशी तुम्हें मेरे साथ मिलती है तो ऐसे रिश्ते से क्या फायदा••?

  आई थिंक यू शुड फिनिश योर रिलेशनशिप विद ‘योर वाइफ’ एंड मूव ऑन!

वर्णिका सुमित के हाथ में अपना हाथ रखते हुए बोली।

 इधर मुक्ता सुमित के इस बदलाव से अचंभित थी कि आखिर यह मुझे अपने से दूर क्यों रखते हैं•••?

 एक रात जब वह सुमित के कमरे में दूध पहुंचाने गई तो तभी उसने वर्णिका और सुमित को फोन पर बात करते हुए सुना 

यार कब तक मैं मुक्ता से ऑफिस का बहाना कर उसको दूसरे कमरे में सोने के लिए भेजता रहूंगा••!

 मुझे हिम्मत ही नही है सब कुछ बताने की!

अच्छा है अगर उसे पता चल जाए तो••!”मैं तो कहती हूं जितनी जल्दी हो सके तुम हमारे रिश्ते के बारे में उसे सब कुछ सच-सच बता दो!  अब मैं  ज्यादा देर इंतजार नहीं कर सकती मुझे भी तुम्हारे साथ रहना है! ये लंबी रात तुम्हारे बिना कटती नहीं! आहें भरते हुए वर्णिका बोली। 

हां•• मुझे अब बताना पड़ेगा!

दोनों की वार्तालाप को सुनकर मुक्ता के हाथ-पैर कांपने लग गये  और उसके हाथ से दूध का गलास छूट गया। जल्दी से दरवाजा बंद कर वह वहां से रोते हुए अपने कमरे में चली आई। 

दरवाजा बंद होने की आवाज से  सुमित समझ गया कि मुक्ता ने सारी बात सुन ली है।

अब तुम सब कुछ जान समझ ही गई हो तो •••! कहते-कहते अचानक सुमित रुक जाता है।  तो क्या? 

मुक्ता रोते-रोते चुप हो पूछती है। फिर इसके आगे  सुमित कुछ बोल नहीं पाया और जब वह वहां से जाने लगा तो :-

 “अगर आप इस रिश्ते को यहीं खत्म करना चाहते हैं तो ठीक है•• ‘मैं कल ही इस घर और आपकी जिंदगी से हमेशा के लिए चली जाऊंगी ••लेकिन मेरी एक रिक्वेस्ट है कि आप तलाक की मत सोचना! मैं आपको अपना सब कुछ मानती हूं !मेरे मां-बाप जीते जी मर जाएंगे !कहते वह फूट-फूट के रोने लगी ।

सुमित से मुक्ता का इस तरह रोना बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था वह उसे चुप करने जैसे ही अपना हाथ बढ़ाना चाहा कि उसके हाथ अचानक रुक गए।

 दूसरे ही दिन वह अपने जाने की तैयारी शुरू करने लग गई। 

2 दिन बाद:-

 “आप अपना ख्याल रखिएगा••! कहते उसकी आंखें भर आई ।

 इधर सुमित का दिल कह रहा था कि मुक्ता को रोक लो परंतु मन वर्णिका की चाहत रखता था इसी कशमकश में वह कुछ बोल ना सका और मुक्ता वहां से चली गई।

 

मुक्ता के जाने के कुछ दिन पश्चात ही वर्णिका सुमित के घर रहने चली आई।

 आते ही उसने मुक्ता द्वारा जमाया गया किचन और फर्नीचर की जगह को बदलना शुरू कर दिया। शाम में जब सुमित ऑफिस से घर आया तो

 आज तुम ऑफिस क्यों नहीं आई••?

 क्योंकि आज मुझे इस घर को अपने हिसाब से चेंज करना था क्योंकि अब यह मेरा घर है! इसलिए मैंने आज की छुट्टी डाल दी थी! देखो! कैसा लग रहा है मेरा अरेंजमेंट••?

 जब सुमित घर की तरफ नजर दौड़ाता है तो••

 ये क्या किया तुमने वर्णिका? अच्छा है ना !”मैं चाहती हूं कि तुम पिछली बातों और उन यादों को भूलकर ,मेरे साथ नहीं जिंदगी की शुरुआत करो! सुमित के गले में अपना हाथ डालते हुए वर्णिका बोली ।

हां••मगर मुक्ता ने बड़ी मुश्किल से•••

क्या मुश्किल से••? अभी भी तुम उसे भूल नहीं पाए हो••क्या ऐसे हम साथ रह पाएंगे••? इनफैक्ट मैं तो अपने मम्मी-पापा से हमारे शादी की बात भी कर ली है !रूठते हुए वर्णिका वहां से चली गई ।

 सॉरी वर्णिका! कहते हुए सुमित उसके पीछे उसे मनाने चला गया।वर्णिका सुमित को अपनी ओर आकर्षित करने की पुरी कोशिश करने लग गई।

  एक दिन ऑफिस से आने के बाद सुमित को उल्टियां शुरू हो गई।

” ओ माय गॉड”! तुम्हें तो तेज बुखार भी है मैं अभी डॉक्टर को कॉल करती हूं•• !

सर पर हाथ रखते हुए वर्णिका बोली।

 इन्हें “फूड प्वाइजन” हुआ है दो-तीन दिन में ठीक हो जाएंगे। मेडिसिंस लिखते हुए डॉक्टर बोला ।

डार्लिंग !आज रात तुम आराम से सो जाओ मैं दूसरे कमरे में चली जाती हूं आज मुझे ‘प्रोजेक्ट सबमिट ‘करनी है ! कहते हुए वर्णिका लैपटॉप लेकर वहां से चली गई। 

सारी रात बुखार से सर जल रहा था पर वर्णिका एक बार भी पट्टी तो दूर मुझे देखना भी नहीं आई ! आज मुक्ता होती तो मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ती! वह अपने आप को काफी अकेला महसूस करने लगा ।

  एक दिन वर्णिका ऑफिस  से आते ही 

 रामू काका! जल्दी से खाना निकाल दीजिए मुझे बहुत जोरों की भूख लगी है !

खाने का एक निवाला मुंह में लेते ही•••”अरे काका”! कितनी गंदी सब्जी बनाई है•••! बुढ़ापे में सठिया गए हैं क्या?  ऐसा कोई सब्जी बनता है ? नमक डाला ही नहीं••! कहते हुए उसने प्लेट को दूर फेंक दिया । 

बर्तन टूटने की आवाज सुन सुमित डाइनिंग रूम में पहुंचता है

 ऐसे कोई बात करते हैं बड़ों से••? चलो सॉरी बोलो। 

नहीं बोलूंगी सॉरी!

 शांत हो जाओ यह तुम्हारा घर नहीं है ••! सुमित गुस्से से बोला।

अच्छा आ गए ना तुम अपनी औकात पर !तुम हो ही घटिया! नहीं रहना मुझे तुम्हारे साथ••! तुमसे प्यार कर के मैंने बेवकूफी की है! जब से आई हूं तुम्हारे दिलों दिमाग पर मुक्ता-मुक्ता ही है!

 हां तो चली जाओ यहां से•• किसने रोक रखा है?

मुक्ता मेरी पत्नी है ,थी और हमेशा रहेगी ! उसका स्थान कोई नहीं ले सकता! भूल हुई कि मैंने उस देवी को इतना जलील किया ,उसे खून के आंसू रोने पर मजबूर किया!

बिना कुछ बोले वर्णिका अपना सामान पैक कर वहां से चली गई। “काका मुझे माफ कर दीजिए! मेरी वजह से आपकी इतनी बेज्जती हुई !हाथ जोड़ते हुए सुमित रामू काका से बोला।

 कोई बात नहीं बेटा! “सुबह का भूला अगर शाम” में घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते••! तु कल ही जाकर हमारी प्यारी सी लक्ष्मी बहुरानी को घर ले आ! अब इस घर का “ग्रहण “सदा के लिए छट गया !

हां काका मैं कल ही जाऊंगा ••!

कल सुबह की ट्रेन से सुमित लखनऊ पहुंच गया ।

मुझे माफ कर दो मुक्ता••! मैंने तुम्हें बहुत तकलीफ दी! अब मैं यह गलती कभी नहीं करूंगा! हाथ जोड़ते हुए सुमित मुक्ता से बोला।

आपको अपनी गलती का एहसास हो गया यही मेरे लिए बहुत है! मुझे पता था कि आप मुझे एक न एक दिन जरूर लेने आओगे ••!

कहते हुए वह सुमित के बाहों में समा गई। आज मुक्ता के आंखों में ‘खुशी के आंसू थे जो मोती की तरह चमक रहे थे’।

 दोस्तों अगर आपको मेरी कहानी पसंद आई हो तो प्लीज इसे लाइक्स ,कमेंट्स और शेयर जरूर कीजिएगा 

धन्यवाद ।

मनीषा सिंह।

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!