नियति दो भाइयों में सबसे छोटी और लाडली थी।भाइयों की शादी हो चुकीं है।नीला और संजना उसकी भाभियां और श्रीसागर,आनंद उसके भाई जिनका अपना प्रिंटिंग प्रेस था जो पिता घनश्याम जी ने खोला था उनकी पत्नी दमयंती जो एक ऐसी महिला थी जो हर रिश्ते को बड़े सलीके से निभाती थी ।
नियति मास्टर्स कर रही थी और उसके रिश्ते की बात चल रही थी। अर्णव का रिश्ता आया जो बैंक में अच्छी पोस्ट पर था।घर में मां मीना पिताजी राजेश जो बिजली विभाग में कार्यरत थे और बहन राधा जो लन्दन रहती थी। मीना जी एक सलीका पसंद औरत थी उन्हें हर काम सफाई से और समय पर चाहिए होता था
और ये बात वो शादी से पहले ही सबको बता चुकी थी उन्होंने।कहा नियति जॉब करे ना करे ये उसकी चॉइस है पर जो जिम्मेदारी उसकी होगी वो उसे टाइम से निभानी होगी। शादी में भी उनका सब कुछ बिल्कुल परफेक्ट था हर चीज टाइम पर थोड़ी देरी नियति के घर वालो की तरफ से ही हो रही थी तो मीना जी बार बार बोल रही थी सब कह रहे थे
नियू तेरी सास है या हिटलर तेरा तो फिर से स्ट्रिक्ट प्रिंसिपल के अंडर एडमिशन हो गया।नियति को भी अब मन ही मन डर लग रहा था उसने अपनी मां को ये बात बताई ।दमयंती बोली बेटा डरो नहीं हर घर के कुछ असूल होते हैं तुम नयी हो पहले वहां के लोगों का मिजाज समझना उसमें ढलने की कोशिश करना फिर धीरे धीरे उन्हें अपनी आदत लगाना की वो तुम्हारे आदि हो जाए।शादी की सभी रस्मे हुई
और नियति अपने ससुराल पहुंच गई। घर करीने से सजा था हर चीज बहुत सुंदर थी।दरवाजे पर गृह प्रवेश करवा कर मीना ने राधा को आवाज लगाई।राधा बहु को अन्दर ले आओ और हाल में बिठाओ मै बाकी की रस्मों की तैयारी देख लू।वही नियति ने घर का जायजा लिया था।
शादी की रस्मे हुई और नियति बहुत थक चुकी थी दस बज गए थे।5 बजे से ऐसे ही बैठे बैठे तभी राधा आई बोली नियति चलो रूम में नियति रूम में आई और बोली दीदी एक कप चाय मिलेगी बहुत सिर दुख रहा है वो इतना बोल ही रही थीं कि नौकर रामावतार चाय ले कर आ गया
बोला दीदी ने कहा ये चाय नाश्ता कर के दवाई ले आप सो जाओ।नियति ने चाय नाश्ता किया गोली खा कर वो सो गई 4 घंटे बाद उसकी नींद खुली वो उठी बाथरूम में फ्रेश हो कर कपड़े बदल कर वो बैठ गई दरवाजे पर नॉक हुआ ।राधा थी बोली गुड तुम फ्रेश हो गई आओ खाना खाने चलो।नीचे आई तो सासू मां ने सभी रिश्तेदारों से परिचय करवाया सबके पैर छू कर नियति खड़ी थी
एक तरफ ।मीना उसे घर के मंदिर ले गई भगवान को हाथ जोड़।अर्णव के दादा दादी की फोटो को प्रणाम कर वो आई तब तक राधा उसका खाना लगा चुकी थी सबने खाना खाया।अर्णव कही दिखाई नहीं दे रहा था।मीना बोली बहु 5 बजे तैयार हो जाना अड़ोस पड़ोस की औरते मुंहदिखाई के लिए आएंगी और एक पैकेट दिया यही सब पहनना राधा मदद कर देगी।राधा रूम में छोड़ने आई
तो नियति ने अर्णव के बारे में पूछा ।राधा बोली सुबह उसके कुछ दोस्त आ गए थे इसलिए उसने जल्दी खाना खाया और वो मां के कमरे में सो गया अब शाम को मिलना अपने अर्णव से।नियति शर्मा गई मुंहदिखाई वो हसीन रात , 6 दिन गोवा हनीमून पार्टियां रिश्तेदारी में आना जाना सब में 20 दिन निकल गए पता ही नहीं चला ।
अर्णव के ऑफिस जाने का दिन आ गया उससे पहले रात को मीना ने नियति को बुलाया बोली बहु कल से अर्णव ने ऑफिस जाना है तो तुम जल्दी उठना उसकी तैयारी के लिए वैसे तो वो खुद सब कर लेता है फिर तुम्हारी भी रसोई छुआई की रसम करवा दूंगी कल हलवा बनेगा। नियति सुबह 5 बजे उठ गई नहा धोकर वो सात बजे नीचे थी।
अर्णव ने उसे कहा भी मै दस बजे जाता हूं पर वो मीना के डर के कारण उठ गई।मीना 7:30 बजे हॉल में आई तो देखा नियति डाइनिंग टेबल पर सिर झुकाए बैठी है।वो बोली बहू इतनी जल्दी क्यों उठी अर्णव नीचे आते हुए बोला आप के डर से आपने कहा था ना कि जल्दी उठना ।
मीना कुछ नहीं बोली चलो रसोई में नियति रसोई में गई हलवे की सब तैयारी रामावतार ने लगा कर रखी थी।नियति हलवा बना रही थी और रामावतार चाय फिर जब नियति का हलवा बन गया भगवान को भोग लगा मीना और नियति चाय पीने बैठी।मीना बोली बहु तुम्हे जॉब करनी है
तो तुम कर सकती हो।जी मां मैने शादी से पहले इंटरव्यू दिया था और कल ही उनका कॉल भी आया है एक दो दिन में ऑफर लेटर आ जाएगा।ठीक है इतने में सब घर वाले आ गए नाश्ता हुआ अर्णव और उसके पिता ऑफिस चले गए।राधा बोली मां मुझे शोपिंग पर जाना है
भाभी को ले जाऊं। मीना बोली ठीक है जाओ आप मोहित को अपने पास ही रखिएगा।राधा और नियति तैयार होने चली गई।मीना को पहली बार लगा जो लड़की हर बार मेरे साथ जाती थी उसने आज मुझे पूछा ही नहीं।दोनो तैयार हो कर आई और नियति को ड्राइविंग आती थीं ।दोनों शाम तक घर पहुंची ।
राधा बोली मां नियति की चॉइस तो बहुत अच्छी है आय लव शॉपिंग दिस टाइम । नियति मीना के पास आई बोली मां ये आपके लिए।मेरे लिए क्यों अभी तो शादी में इतना कपड़ा लता आया है बेकार पैसा बर्बाद किया।अच्छा जाओ रसोई में मैने कुछ तैयारी करवा ली है।
राम को बोलो आटा गूंध ले और अगर तुम्हे चाय पीनी हो तो बनवा लेना।जी मां नियति रोहसी हो चलीं गई।राधा बोली मां वो बहुत प्यार से आपके लिए और पापा के लिये लाई थी।अर्णव ने उसे अपना कार्ड भी दिया था पर उसने आप लोगों के लिए और मेरे मोहित मयंक और मां पापा के लिए भी उपहार खरीदे कह रही थी दी आप परसो अपने ससुराल जाओगी
फिर पता नहीं अमेरिका से कब आना हो।नियति चाय लाई तभी अर्णव भी आ गया वाओ शॉपिंग और चाय मज़ा आ गया क्या क्या खरीदा।नियू तुमने कार्ड use नहीं किया।नहीं जरूरत नहीं पड़ी।मै खाने का देखती हूं।मीना वहां से अपने कमरे में आई देखा सूट था उसका फेवरेट कलर और अर्णव के पापा के लिए स्वेट शर्ट और स्वेटर था।
सच में सुंदर पसंद है।डिनर के लिए सब आए मोहित के लिए नियति ने अपने हाथों से डोनट्स बनाए थे मोहित का खाना खत्म होने वाला था प्लेट्स और टेबल करीने से लगा हुआ था।मीना बोली नियति थैंक्यू फॉर सच लवली गिफ्ट।राधा बोली मां परसो हमे लेने मयांक आ रहे है
फिर कुछ दिन हम लखनऊ रुकेंगे और फिर वापस us।मयंक एक दो दिन तो रुकेगा शादी के तीसरे दिन ही वो और तेरे सास ससुर चले गए थे जी मां रुकेंगे।राधा अपने घर चली गई।नियति ऑफिस जाने लगी सब काम टाइम से होते सब नियति की तारीफ करते इससे मीना को इनसिक्योरिटी हो रही थीं।
वो बात बबात नियति को डॉट देती ।एक दिन मीना की किटी थी ।नियति ने रामावतार के साथ मिल बहुत तैयारी करवाई सब रेडी था।मीना तैयार हो कर आई तो नियति बोली मां कुछ अर्जेंट काम है ऑफिस में मै एक घंटे तक आती हूं।सब रेडी है रामावतार और माला सब संभाल लेंगे।
टेबल पर सब रेडी था। लेडीज आई माला ने सूप और स्टार्टर दिए वाह भाई मजा आ गया।खाना भी लाजवाब तब तक नियति आ गई नमस्ते आंटी जी आप लोगों के लिए गेम्स भी है।सबने मजा किया गेम्स खेले ।रिटर्न गिफ्ट भी मिले सब खुश थे सबने मीना से कहा तेरी बहु ने तो जान डाल दी किटी में। हर बार मीना तारीफे बटोरती थी पर इस बार सब नियति नियति कर रहे थे।
शाम को जब अरनव और उसके पापा ने भी खाना खाया तो उन्होंने भी कहा खाना बहुत लाजवाब है अब तो मीना और चीड़ गई। अव वो नियति को रसोई में कम से कम जाने देती खुद ही सब करती ताकि कोई नियति को अच्छा नहीं कहे। एक बार नियति ऑफिस से घर जल्दी आ गई
मीना फोन पर थी और उसकी पीठ थी वो कह रही थी कि मुझे मेरी सता बड़ी प्यारी है सब मै ही करती हूं आज कल की लड़कियां कहा बस पति को लो और अलग हो जाओ ।देखो मै ही सारा काम करती हूं वो तो महारानी की तरह ऑफिस और ऑफिस से घर ।नियति को बहुत बुरा लगा
और उन दोनोंको ही नहीं पता था कि उसके ससुर भी ये सब सुन रहे हैं उन्हें किसी फंक्शन में जाना था तो वो जल्दी आ गए थे।नियति अपने रूम में चली गई और रोने लगी। उसके सर में वैसे ही दर्द था और बढ़ गया और वो सो गई। उधर नीचे अभी तक नियति नहीं आई जबकि अर्णव आ गया इस बात पर मीना जी बिगड़ रही थी।उधर नियति फोन नहीं उठा रही थी
क्योंकि फोन साइलेंट पर था।तभी रूम से राजेश बाहर आए अरे आप कब आए मुझे तो पता ही नहीं चला।कैसे चलता बहु की बुराई में जो बिजी थी।जी ,जी मैने सब सुन लिया था और साथ ही साथ उसने भी सब सुन लिया है नियति घर पर ही है। अर्णव जो वहां खड़ा था फटाफट रूम की तरफ दौड़ा देखा नियति सो रही हैं।चेहरा आंसुओं से भीगा हुआ है।आंखे सूजी हुई
है।अर्णव ने नियति को उठाया नियू उठो क्या हुआ तुम्हे कुछ नहीं मेरे सिर में दर्द है क्या तुम मुझे आज मां की तरफ ड्रॉप कर दोगे बहुत दिल कर रहा है रुको पहले मै चाय मेडिसिन लाता हूं ।अर्णव बाहर आया और बोला नियति अपने घर जाने का बोल रही है।पहले मै उसे चाय देता हूं फिर मेडिसिन ।राजेश बोले और उसे थोड़ा बाहर ले जाकर सब पूछो अभी मां के
घर नहीं।अर्णव चाय लाया और बोला नियू क्या हुआ मुझे बताओ नियति ने सब बताया और बोली मैं भी एक बेटी हूं जैसा मैं मेरी मां को सुख देती थी वैसा ही मैं मम्मी को भी देना चाहती थी।मेरी मां हमेशा भाभियों को भी ऐसे ही ट्रीट करती थी जैसे मुझे उन्होंने हममें कभी फर्क नहीं किया वो मुझे भी यही कहती थी बेटी बनाना बहु नहीं इसलिए मैने बेटी का फर्ज निभाया
पर मुझे लगता है मम्मी इनसिक्योर हो गई है इसलिए मैं एक दो दिन मां के पास जाना चाहती हूं घबराओ नहीं मैं कुछ नहीं बताऊंगी। तभी अर्णव को ऑफिस से कॉल आया कि उसको मीटिंग के लिए दो दिन बैंगलोर जाना है उसने अपनी पैकिंग की और नियति को भी सामान पैक करने को कहा।अर्णव नियति को छोड़ आया और बोला मै शादी नहीं करना चाहता था
आपने कहा जो चाची के यहां हुआ वो यहां नहीं होगा पर आप भी सास बन गई वो आपकी सिर्फ बेटी बनाना चाहती थीं और कुछ नहीं मैं कल बैंगलोर जा रहा हु ऑफिस के काम से तब तक नियति भी अपनी मां की तरफ है।मां आप अपने दिल का मेल साफ कर ले नहीं तो मैं बैंगलोर ट्रांसफर ले लूंगा
मुझे आप दोनों चाहिए।चाची का घर समाज के लिए मजाक का कारण बन गया था और उसका परिणाम क्या हुआ वरदान भइया घर छोड़ कर चले गए ये घर आपने प्यार से बनाया है जैसा प्यार हमे दिया वैसा ही नियति को दो।अर्णव चला गया राजेश बोले सही कह रहा है
वो मां हो दिल बड़ा करो अपनी बेटी को ले आओ मीना की आंखों में पश्चाताप के आसूं थे।अर्णव बंगलौर गया और उसके आने से पहले ही मीना नियति को ले आई साथ ही खुश खबरी और नियति की मां से वादा करके बेटी ले जा रही हूं बेटी ही रहेगी बहु नहीं।जब अरनव लौटा तो घर में हंसी की आवाज़ आ रही थी राधा भी थी
वीडियो कॉल पर बोली अर्णव मिठाई और हार लूंगी ।बुआ बन रही हूँ। मुबारक हो तुमको अर्णव हैरान और खुश था।मीना अर्णव के पास आई बोली बेटा मुझे माफ कर दो दूर मत जाना तुम बेटी को वापस बेटी बनाकर ही लाई हूँ। ओके तो अब बेटी की खातिर होगी या मुझे भी कुछ मिलेगा इस खुशी में सबसे बड़ा कंट्रीब्यूशन तो मेरा है सब हस पड़े और नियति शर्मा गई।मीना सोच रही थी मेरी एक गलती मेरा घर बिगाड़ देती अब मै मां हूँ सास नहीं।
स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी