घर दीवार से नहीं परिवार से बनता है  – क़े कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

 आपकी बेटी हमें भा गई है …….. हमारा बेटा साहिल ने भी इस रिश्ते के लिए हाँ कह दिया है …….. खुशी से सुदर्शन और उनकी पत्नी संचिता ने मनोज जी से कह दिया ।

उनकी बातें सुनकर मनोज जी खुश हो गए थे…. पत्नी सरोज ने आँखों से इशारा किया कि उनसे आगे की बात कर लें । मनोज जी ने  खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि सुदर्शन जी जब दोनों बच्चों ने एक-दूसरे को पसंद कर ही लिया है तो हम क्यों ना लेन देन के बारे में बातचीत कर लेते हैं ।

सुदर्शन जी ने हँसकर कहा देखिए मनोज जी हमारे घर में हम दहेज के खिलाफ हैं । हमें एक अच्छी पढ़ी लिखी संस्कारी बहू चाहिए जो घर को जोड़कर रख सके ……. हम दोनों की सोच यह है कि घर कभी भी दीवारों से नहीं बनता है बल्कि परिवार से बनता है ।

आप अपनी तरफ से अपनी बेटी को …… शादी में रस्मों रिवाजों के अनुसार जो कुछ भी देना है आप दे सकते हैं…… हमारी तरफ से कोई माँग नहीं है । वैसे ही हम भी रस्मों का आदर करते हुए आपकी बेटी को गहने, कपड़े सब कुछ हमारी खुशी से जो दे सकते हैं ….. प्यार से देंगे …. उन्होंने यहाँ तक कह दिया कि शादी का जो भी खर्चा आएगा उसको हम दोनों आधा – आधा बाँट लेंगे ….. ।

मनोज के लिए इससे बड़ी बात और क्या हो सकती थी ?  इतने अच्छे लोग तो आज के जमाने में दिया लेकर ढूँढने पर भी नहीं मिल सकते थे । इसलिए उन्होंने इस रिश्ते के लिए झट से हाँ कह दिया था ।

इस तरह से सारी बातचीत करने के बाद दोनों परिवारों ने शादी की तारीख़ तय करने के लिए पंडित जी से बात करने का फ़ैसला कर लिया ।

सुदर्शन और संचिता भी खुश थे कि इकलौते बेटे साहिल के लिए अच्छे परिवार की बच्ची मिल गई है ….. पढ़ी लिखी है नौकरी भी कर रही है इससे ज़्यादा और क्या चाहिए ? यह सोच कर खुशी खुशी अपने घर लौट गए ।

उनके जाने के बाद भी मनोज और सरोज बहुत देर तक उनके संस्कारों के बारे में बातें करते रहे ।

जब रिश्ता तय हो गया है तो किस बात का इंतज़ार है इसलिए साहिल और रम्या का विवाह दोनों परिवार वालों ने बहुत ही धूमधाम से किया ।

रम्या ने साहिल का हाथ पकड़कर उसके घर में गृहप्रवेश किया …… घर में सास ससुर दोनों नौकरी करते थे सुबह उठते ही घर में हलचल मच जाती थी फिर सब अपना अपना टिफ़िन लेकर ऑफिस चले जाते थे ।

उनके घर में शांति है सब मिलजुलकर रात का खाना एक साथ खाते हैं यह कुछ लोगों को हजम नहीं हो रही थी । एक दिन सुदर्शन की चचेरी बहन आई और रम्या तथा साहिल को समझा रही थी कि देखो साहिल तुम दोनों की अभी-अभी शादी हुई है इसलिए तुम्हें स्पेस मिलना चाहिए ।

तुम अपने ऑफिस के पास घर लेकर चले जाओ और वीकेंड में आया करो । लोग भी कैसे होते हैं कि जब किसी ने आपसे सलाह नहीं माँगी तो जबरदस्ती  सलाह देते क्यों हो?

रम्या ने कहा तो कुछ नहीं लेकिन सबका दिल भर आया था …… खाने की टेबल पर रम्या ने वातावरण को हल्का करने के लिए हँसते हुए कहा कि वैसे भी माँ ऐसे लोगों की बातें एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देना चाहिए वरना हमारे घर की शांति भंग हो सकती है …. कुछ लोगों की आदत होती है बिन मांगे सलाह देने की…. सबने एक गहरी साँस ली और इधर-उधर की बातें करने लगे ।

इसी तरह से दस साल गुजर गए घर में एक छोटा सा नया मेंबर भी आ गया दिन पंख लगाकर उड़ने लगे ।

सुदर्शन जी और संचिता दोनों रिटायर हो गए ……. तभी साहिल का तबादला बैंगलोर हो गया था । रम्या ने भी अपना तबादला वहीं पर करवा लिया था । सब रिश्तेदार आसपडोस के लोगों को इस बात का इंतज़ार था कि अब ये लोग क्या करेंगे ?

सुदर्शन जी ने कहा कि साहिल अभी तो तुम लोग जाओ हम भी थोड़े दिनों में वहीं पहुँचेंगे ।

साहिल बैंगलोर पहुँच गया और वहाँ जाने के बाद उन्हें पता चला कि रम्या फिर से माँ बनने वाली है ……. साहिल और रम्या ने मिलकर फ़ैसला किया कि रम्या कुछ दिनों के लिए अपनी नौकरी छोड़ देगी और फिर बाद में जॉइन हो जाएगी । इसलिए वह अपने बेटे को लेकर डिलीवरी के लिए ….. मायके चली गई ।

साहिल अकेला रहता था…….  इसलिए ऑफिस के बाद दोस्तों से मिलने के लिए चला जाता था….. । वहाँ एक दिन तीन चार दोस्त सब मिलकर बातें कर रहे थे तब रमन ने हँसकर कहा कि ….. मेरे ससुराल वाले मुझे देखते ही थर-थर काँपते हैं और मेरे जाते ही …… सब मेरे आगे पीछे घूमते रहते हैं।

मैं स्टेशन या एयरपोर्ट पर पहुँचूँ उसके पहले ही वे मेरे लिए बाहर इंतज़ार करते रहते हैं ……. उन्हें इस हालत में देख कर मुझे बहुत हँसी आती है ।

राहुल ने कहा ……. मेरे लिए स्टेशन पर लेने कोई नहीं आता है ….. लेकिन जब मैं घर पहुँचता हूँ तो मेरी बहुत केयर करते हैं ।

साहिल ने कहा कि हमारे यहाँ ऐसी कोई फॉरमॉलटी नहीं होती है । मेरे पापा कहते हैं कि रम्या …. जिस तरह से हमारी देखभाल करती है ….. वैसे ही तुम्हें भी उसके माता-पिता की वैसी ही….  देखभाल करनी चाहिए ।

उनसे यह कभी एक्सपेक्ट नहीं करना कि …. वे तुम्हारे आगे पीछे घूमेंगे । इसलिए मैं चिल होकर रहता हूँ ….. खुद स्टेशन से या एयरपोर्ट से घर चला जाता हूँ ….. वहाँ अपना काम खुद कर लेता हूँ । उसके दोस्त उसकी बातों पर हँसने लगे।

अपने दोस्तों की बातों को हर दिन सुनने के बाद साहिल के दिमाग़ में भी ससुराल वालों से आवभगत कराने की इच्छा जागृत हुई ।

उसने अपने ससुर को फोन किया कि रम्या को बैंगलोर लाकर छोड़ दीजिए उनसे वह गुस्से से बात कर रहा था फोन स्पीकर पर था इसलिए साहिल की बातों को रम्या ने भी सुन लिया था उसे साहिल की बातों को सुनकर बहुत आश्चर्य हो रहा था कि वह पापा से ऐसे कैसे बात कर सकता है वह कुछ कहती इसके पहले ही मनोज ने साहिल से कहा कि हाँ बेटा मैं रम्या को दो दिन में लाकर छोड़ दूंगा।

उन्होंने साहिल से जैसे कहा वैसे ही दो दिन में रम्या को बैंगलोर ले जाकर छोड़ दिया।

रम्या को जब नौवाँ महीना लगा तब साहिल ने उसे डिलीवरी के लिए माता पिता के घर भेजा इसके लिए उसे डॉक्टर ने डाँटा भी कि इस समय सफर करना गलत है साहिल पर उनकी ही बातों पर कोई असर नहीं हुआ। रम्या ने एक खूबसूरत सी बच्ची को जन्म दिया। मनोज जी ने तीन चार महीनों बाद रम्या को दोनों बच्चों के साथ बैंगलोर में छोड़ आए।

रम्या दो-दो बच्चों के साथ घर के काम काज में व्यस्त हो गई साहिल उसकी मदद करता नहीं था ऊपर से उसे उसके मायके वालों के ताने देता रहता था कि वे उसकी कद्र नहीं करते हैं।

एक दिन सुदर्शन और संचिता अचानक बैंगलोर पहुँच गए और अपनी आँखों से उन्होंने रम्या की हालत देखी वह बहुत थकी हुई और उदास लग रही थी। उन्हें उसके हालात पर बहुत बुरा लगा अपने परवरिश पर शर्मिंदगी महसूस हो रही थी।

साहिल जब शाम को ऑफिस से आता है माँ – पिता को सामने देख कर आश्चर्य चकित हो जाता है।

सुदर्शन को साहिल के बारे में पहले से ही मनोज के रिश्तेदार ने सब कुछ बता दिया था इसलिए वे साहिल से मिलने आए थे। रविवार के दिन उन्हें साहिल से बातचीत करने का मौका मिला।

सुदर्शन ने बिना किसी भूमिका के ही साहिल से कहा कि देखो साहिल तुम्हें पता है कि मुझे घुमा फिराकर बात करना नहीं आता है कल मैं रम्या के बड़े पिताजी से मिला तो वे तुम्हारी करतूतों को गिनाने लगे थे मुझे उनके सामने अपना सर झुकाना पड़ गया था।

देख साहिल हमारे घर की बहू हमारे घर की लक्ष्मी होती है……..  वह अपना घर -बार ,रिश्ते- नाते गोत्र सब कुछ छोड़कर हमारे साथ रहने के लिए आती है, हमारे वंश की वृद्धि करती है । अपने जिगर के टुकड़े को हमें सौंपने वाले उनके माता-पिता को सम्मान देना हमारा सौभाग्य है और मैंने सुना है तुमने उन्हीं का दिल दिखाया है …..।

 साहिल मुझे रामायण के एक प्रसंग की याद आ रही है उसके अनुसार राजा दशरथ अपने चारों पुत्रों की बारात लेकर राजा जनक के द्वार पर पहुंचे तो जनक ने सम्मानपूर्वक उनका स्वागत किया राजा दशरथ जी ने आगे बढ़कर जनक जी के चरणस्पर्श किए । जनक जी ने उनको थाम कर कहा महाराज आप बडे हैं वरपक्ष वाले हैं ये उल्टी गंगा कैसे बहा रहे हैं? इस पर दशरथ जी ने राजा जनक से अत्यंत सुंदर बात कही जिससे हम लोगों को भी सीख लेनी चाहिए उन्होंने कहा महाराज आप दाता हैं, मैं तो याचक हूँ आपके द्वार पर कन्या लेने आया हूँ तो आप ही बताएँ दाता और याचक में कौन बड़ा है।

साहिल मुझे राहुल ने तुम्हारे दोस्तों की बातों को बता दिया है बेटा एक बात को गाँठ बांध लो अच्छी बातों से सीख लेना चाहिए, बुरी बातों को एक कान से सुनकर दूसरे कान से बाहर कर देना चाहिए । मुझे लगता है कि तुम्हें मेरी बातें अच्छे से समझ में आ गई हैं कल को आने वाली पीढ़ी को भी तो तुम्हें ही सिखाना है।

पिता की बातों का ही असर है कि साहिल के घर में छह महीने माता पिता रहते हैं तो छह महीने रम्या के माता पिता रहते हैं।

क़े कामेश्वरी

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