गलत से सबक, सही से सीख – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

ममता जी अपनी पोती  का बिब ही खोजने के लिए अंदर कमरे में जा रही थीं कि बेटे – बहु की ऊँची चीखती हुई आवाज़ उनके कानों में पड़ी और वो कमरे से बाहर ही ठिठक गईं । उनकी बहू मधुलिका अपने पति आलोक से बोल रही थी…”एकदम # जाहिल गंवार है तुम्हारी मम्मी ! इतनी उम्र हो गयी है

और किसी चीज का ढंग ही नहीं है । तुम्हें पता है आज मम्मी जी क्या सिखा रही थीं हमारे बेटे शिवम को ? शिवम स्कूल से आया और दरवाजे पर लिजर्ड देखकर वो “छिपकली छिपकली चिल्लाने लग गईं । ऐसे में क्या सीखेगा वो ? और तो और उसे अपने गाँव की भाषा मे बोलना सिखा रही थीं । वो तो उस वक़्त मेरी बहन का फोन आ गया इसलिए मैं चाह कर भी बोल नहीं पाई । 

लेकिन अब सोचती हूँ ऑफिस जाने से पहले कल मम्मी जी को अच्छे से सिखाकर जाऊँगी ताकि वो शिवम को एकदम से #जाहिल गंवार न बना दें । और हमारी बेटी शिवि..अभी साल भर की हुई है वो ,और उसे टी.वी दिखाने बैठ जाती हैं ।

ये सब बातें सुनकर ममता जी की आँखों मे आँसू आ गए । साड़ी के कोर से आँसू ही पोछकर अंदर कमरे में घुसने वाली थी कि तब तक आलोक बोलने लगा…तुम भी न मधुलिका ! हर बात में तिल का ताड़ बनाती हो, मम्मी दिन भर अगर रख रही हैं तो कुछ तो मनोरंजन के लिए और खुश रखने के लिए करेंगी न ?

अब ममता जी को आलोक की बातें अपने मनमुताबिक सुनकर अच्छा लग रहा था । तभी खीझते हुए फिर से मधुलिका ने कहा…” आपके आँखों पर पट्टी बंध गयी है आलोक ! चलिए ठीक है मनोरंजन के लिए टी. वी दिखाती हैं, पार्क में ज्यादा समय बिताती हैं पर ये गाँव वाली भाषा सिखाकर गंवार क्यों

बनाना चाहती हैं । जब आपका दिमाग सोचने में नहीं चलता न तो मेरे दिमाग से तो चलिए । बहुत हो गया बार – बार आपका बहाना । मम्मी का दिल लगा रहेगा पोते – पोतियों के साथ खेलकर और मनोरंजन करके चिंता मुक्त रहेंगी अब ये सब नहीं होगा । इससे बेहतर है मैं बच्चों को डे केयर में डाल दूँ , और मम्मी जी वापस गाँव लौट जाएँ ।

आलोक ने दरवाजे पर आहट महसूस करते हुए फिर बोला…”क्यों तुम्हें हर बात से इतनी परहेज है ?

“मम्मी ! आप हैं क्या बाहर ? बाहर की तरफ चौकन्ना होकर देखते हुए आलोक ने कहा तो ममता जी अंदर आईं । गीली आँखों से भावुक होते हुए ममता जी ने कहा…”मेरी वजह से तुमलोग आपस मे मत लड़ो , मत उलझो बेटा ! मेरा टिकट देख लो जब का होगा तभी चली जाऊँगी । मुझे तो बस ये लगा था कि तुम दोनों ऑफिस में रहते हो तो डे केयर वाले देखभाल तो करेंगे लेकिन हमारी तरह माहौल ,लगाव और प्यार कहाँ से देंगे ?जहाँ तक गाँव की भाषा सिखाने की बात है तो इसमें इतना हीन क्यों महसूस करना ?

अपनी मिट्टी से जुड़ाव और लगाव तो अच्छी बात है , आखिर उसी जमीन पर पले – बढ़े हैं हम सब । खैर…टिकट देख लो ।

तुम्हारे आपसी रिश्ते खराब होने की वजह मुझे नहीं बनना ।

आलोक ने मुट्ठी भींचते हुए कहा..”मतलब आप बहुत देर से हमारी बातें सुन रही थीं मम्मी ! सब सुन लिया न आपने ? ममता जी ने मायूस होते हुए कहा…”हाँ बेटा ! पास वाले कमरे में शिवि सो रही थी, उठने वाली थी तो सोचा तुमलोग ऑफिस से आए हो तब तक उसे दूध पिला दूँ फिर तुम्हारे साथ आराम से खेलेगी । और तभी बहू के गुस्साने की आवाज़ आयी और मैं ठिठक गई । मुझे लगा था मैं

बच्चे के लिए बहुत अच्छा सब कुछ कर रही तो लालची मन..सोचा सुन ही लूँ आज । पर निराशा ही हाथ लगी ।  आलोक ने ऊपर की ओर देखते हुए आँसुओं को नाकाम थामने की कोशिश करते हुए कहा…आप तो इतने अच्छे से देखभाल कर रही हैं मम्मी और बच्चे आपके साथ कितने खुश भी रहते हैं और क्या चाहिए ।छोड़िए न मधुलिका की बातें, वो तो ऐसे ही कुछ भी बोलती है ।

ममता जी कुछ बोलने के लिए मुँह ही खोलने वाली थी कि मधुलिका ने कहा..”बकवास बातें बात करो आलोक ! मैं जैसी भी हूँ बहुत अच्छी हूँ और अपने बेटे के हित मे सोचने वाली हूँ ।

तब तक मधुलिका का फोन बजने लगा । मधुलिका ने देखा..”मम्मी का फोन था तो काट दिया और मैसेज कर दिया थोड़ी ब्यस्त हूँ । बावजूद इसके दूसरी त्तीसरी बार फिर से फोन आ रहा था फिर मधुलिका ने दूसरे कमरे में आकर बात करनी शुरू की । जैसे ही हेलो किया ..उधर से मधुलिका की मम्मी घबराए हुए आवाज़ में रुंधे गले से बोलने लगीं…”मधु ! 

आज रश्मि से बहस हो गयी । विराट ऑफिस चला गया था और उसने मुझे खूब खरी – खोटी सुनाई । मेरा कोई दोष भी नहीं था, मैंने सिर्फ इतना ही कहा रिचा और रिया से की तुम्हारे पापा ने इतने कम उम्र में इतना सुंदर घर बना लिया और हमने रिटायरमेंट के बाद छोटा सा घर बनवाया । इतने में ही रश्मि चीखने लग गयी…”स्कूल में इतने पैसे खर्च कर रहे हैं रहन सहन पर खर्च कर रहे हैं पुराना सब कुछ भूलने के लिए न कि याद करने के लिए । आपने क्या सहा क्या झेला मेरी बेटियों के दिमाग मे

मत भरिये । फिर रिया ने पराठा सब्जी आधा खाकर सारा कूड़े में डाल दिया और खुद के लिए पनीर पराठा मंगवा लिया । इस तरह अन्न की बर्बादी नहीं देखी जाती । मैंने भी जी भर के सुना दिया रश्मि को, अभी विराट को भी अच्छी तरह सुनाऊँगी । अगर मुझे बच्चों के साथ रहना है तो उन्हें मेरी तरह से रहना होगा । बर्दाश्त नहीं कर सकती मैं । विराट को आने दे ऑफिस से फिर तेरे घर आ जाऊँगी कैब

बुक करके । दस दिन तेरे घर रहूँगी तो अकल और अकड़ दोनो ठिकाने आ जाएगी । रिचा ने भी माँ की तरह मुंहजोर बनने का ठान लिया । अभी बारह साल की लड़कियाँ इतना पलटवार करना सीख गई कि आगे दिन की चिंता होती है ये घर कैसे बसाएंगी । एक स्वर में मधुलिका की मम्मी बोली जा रही थीं और वो चुपचाप सदमा सहने जैसे मानो बात को सुन रही हो ।

“सुनो मम्मी ! इतनी जल्दी आने का विचार मत बदलो । मधुलिका ने चिढ़ते हुए कहा । आपने घर में बात करके बताऊंगी तब आना आप । पापा तो रहे नहीं भैया भाभी ने दोनो बातें सोचकर आपको साथ रखा कि आपका भी अकेलापन दूर होगा और बच्चों को भी माहौल मिलेगा । ऐसे झगड़े तो एक साथ रहने से किसी न किसी वजह से होंगे ही तो ये कोई समाधान नहीं है मुश्किल से बचने के लिए की बेटी के घर आकर बैठ जाओ ।

मधुलिका की बातें सुनकर उसकी मम्मी उसके विचारों से हैरान थीं । ये उनकी बेटी को क्या हो गया, किस हद तक सोचने लगी और उन्होंने फोन रख दिया ।

फोन रखते ही अपनी मम्मी की बातें याद करके जो मधुलिका के मन पर पर्दा पड़ा था धीरे धीरे हट रहा था । उसने सोचा..मैं भी तो मम्मी जी को कितना परेशान कर रही हूँ बेवजह चीख रही हूँ वो भी तो पापा जी के जाने के बाद ही मेरे पास आईं, कहीं दोषी नहीं कितना बोल जाती हूँ पर कम से कम मेरी मम्मी की तरह तो नहीं हरदम लड़ने और गुस्साने के लिए तैयार रहती हूँ । नहीं ! ये ठीक नहीं कर रही मैं ।

अब वापस गयी कमरे में तो देखा शिवम को आलोक पढा रहा था और शिवि को दूसरे कमरे में मम्मी जी सुला रही थीं । उसने तुरंत सासु माँ के पास पहुँचकर उन्हें गले से लगाते हुए कहा…”परेशानी में आपको बहुत कुछ बोल गई मम्मी । माफ कर दीजिए मुझे । आप हर तरह से मेरे बच्चों पर लाड़ लुटा रही हैं , अब मुझे कोई शिकायत नहीं आपसे । ममता जी असमंजस में पड़ गईं मधुलिका के अचानक बदले विचार सुनकर । अब उन्होंने  भी मधुलिका के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा..”तुमलोग के अलावा और मेरा है ही कौन बेटा । सब कुछ जीवन मे सीखना चाहिए गलत से सबक लेना चाहिए और सही से सीख ।

आलोक भी पीछे खड़ा होकर असमंजस में सुन रहा था । हंसते हुए उसने कहा…”तुम अभी इस रूप में हो तो थोड़ी देर पहले क्या हो गया था तुम्हें ? भूत घुस गया था ?

अब मधुलिका ने ठहाके लगाते हुए कहा..सही कहा । भूत घुस गया था अब निकल गया है । अपने होश हवास में हूँ और सब मुस्कुरा दिए । घर का वातावरण अब सुकून भरा प्रतीत हो रहा था ।

# जाहिल

मौलिक, स्वरचित

अर्चना सिंह

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