“आज तुमने फिर से अपने मम्मी पापा को पैसे दे दिए… मैंने मना किया था उन्हें पैसे देने के लिए फिर आपने उन्हें पैसे क्यों दिए? तुम ऐसे नहीं मानोगे..… आज मुझे ही कोई कठोर फैसला लेना पड़ेगा.… तब तुम सुधरोगे”मोनिका ने गुस्से में अपने पति मोहित से कहा तो मोहित ने उससे पूछा कैसा फैसला? यही कि तुम्हें अपने मम्मी पापा और मुझ में से किसी एक को चुनना होगा… तुम्हें पता है जब तुम उन्हें पैसे देते हो तो मुझे उनसे कितनी ईर्ष्या होती है मेहनत तुम करो और कमाई वे दोनों खाएं….
मोनिका की बात सुनकर मोहित बेहद दुखी हो गया था उसकी पत्नी मोनिका पढ़ी-लिखी एक कंपनी में नौकरी करती थी मायके में भरा पूरा परिवार था उसका भैया भाभी और मम्मी पापा। उसके भैया भाभी अपने मम्मी पापा से अलग रहते थे बड़ी कंपनी में अच्छी पोस्ट पर काम करने वाले उसके भैया भाभी अपने माता-पिता को खर्च के लिए एक पैसा भी नहीं देते थे
जब उन्हें खाने-पीने या फिर किसी सामान के लिए दिक्कत होती तो मोनिका उन्हें पैसे देकर उनकी आर्थिक मदद कर देती थी कभी-कभी माता-पिता के बीमार पड़ने पर तो वह अपना पूरा वेतन ही उन पर खर्च कर देती थी तब मोहित उससे कुछ नहीं कहता था बल्कि वह खुद भी अपने सास ससुर की मदद कर देता था तब मोनिका बेहद खुश होती थी।
मोहित भी अपने मम्मी पापा से अलग शहर में रहता था वह अपने मम्मी पापा को भी अपने साथ रखना चाहता था लेकिन मोनिका को उसके मम्मी पापा बिल्कुल भी अच्छे नहीं लगते थे इसलिए मजबूरी में उसके मम्मी पापा गांव में रहते थे ताकि बेटे बहू की जिंदगी में शांति बनी रहे उन्होंने दूसरे लोगों के खेतों में काम करके मोहित की अच्छे तरीके से परवरिश की थी परंतु, अब वृद्ध होने के कारण उनसे खेतों में काम नहीं होता था।
तब अपनी मम्मी पापा की मजबूरी को देखते हुए मोहित हर महीने उनके खर्च के लिए कुछ पैसे भेज देता था मोहित को अपने मम्मी पापा के पास पैसे भेजने देखकर मोनिका को बहुत ईर्ष्या होती थी वह चाहती थी कि उसके पति सारा पैसा उस पर ही खर्च करें अपनी इस चाहत को पूरा करने के लिए कई बार मोहित से पैसे भेजने के लिए मना कर चुकी थी
परंतु, मोहित उसकी बातों को बिल्कुल भी नहीं मानता था उसने मोनिका को समझाने की बहुत कोशिश की ” जैसे तुम्हारे मम्मी पापा की मदद करना तुम्हारा फर्ज है वैसे ही मेरा भी फर्ज है अपने मम्मी पापा की मदद करना” तब मोनिका उसकी बात को समझने की बजाय उससे लडने लग जाती थी जिससे मोहित बहुत दुखी हो जाता था क्योंकि वह अपने मम्मी पापा से बहुत प्यार करता था उन्हें वह हमेशा अपने साथ रखना चाहता था परंतु, पत्नी के ईर्ष्यालु स्वभाव की वजह से वह अपने पास नहीं रख पाता था उसके माता-पिता वृद्ध अवस्था में भी बहु से बिना किसी शिकायत के अपना सारा काम खुद करते थे फिर भी मोनिका उनसे खुश नहीं रहती थी।
एक बार मोहित की मम्मी की तबीयत ज्यादा खराब हो गई थी मम्मी के इलाज के लिए जब मोहित ने उनको पैसे दिए तो मोनिका फिर से उससे नाराज हो गई थी और मोहित से लड़ने लगी थी तब पत्नी के द्वारा माता-पिता के साथ किए गलत व्यवहार को देखकर मोहित ने भी फैसला कर लिया था मोनिका से अलग रहने का।
वह दुखी होकर मोनिका का से बोला” जिन माता पिता की वजह से आज मेरा वजूद है मेरी अच्छी नौकरी है आज तुम उनकी सेवा करने की बजाय उन्हीं से ईर्ष्या करती हो मैंने तो तुम्हारे माता-पिता को अपने माता-पिता के समान सम्मान दिया तुमने सम्मान तो दूर की बात दुख में भी उन्हें सहारा नहीं दिया इसलिए मेरा तुमसे अलग रहना ही ठीक है मैं आज ही शहर छोड़ कर अपने माता-पिता के साथ रहने जा रहा हूं।”मोहित की बात सुनकर मोनिका अपनी गलती मानने की बजाय अपना सामान पैक करने लगी थी जिसे देखकर मोहित को अपने फैसले पर कोई पश्चाताप नहीं हो रहा था।
लेखिका:बीना शर्मा
#ईर्ष्या