इमोशनल फूल – संगीता त्रिपाठी

ट्रिंग ट्रिंग…. फोन की घंटी बजी.. गिन्नी ने फोन उठाया, “हेलो गिन्नी क्या कर रहे तुम लोग “

    “कुछ नहीं भैया… नाश्ता कर रहे..”गिन्नी ब्रेड चबाते बोली..।

    “अरे वाह मै भी आ रहा आंटी के हाथ का बना ब्रेकफास्ट करने… वैसे आंटी ने आज क्या बनाया है ब्रेकफास्ट में…”निखिल ने पूछा।

   “आइये भैया… मै तो ब्रेड खा रही हूँ, आप आइये आपके लिये भी सेंक देती हूँ “गिन्नी बोली।

    “क्यों आंटी ने आज कुछ स्पेशल नहीं बनाया…. आंटी तो हर संडे कुछ स्पेशल बनाती है “निखिल ने कुछ हैरानी से पूछा।

   .”मम्मी की तबियत ठीक नहीं है, वे आराम कर रही, मै और किशु दोनों ब्रेड खा रहे, आपके लिये भी सेंक दूँ, आ रहे है न…..”गिन्नी ने पूछा।

    “नहीं यार,ब्रेड तो रोज ही खाते है, मैंने सोचा आज आंटी ने कुछ स्पेशल बनाया होगा “निखिल ने मायूस होते कहा…।

      पास के कमरे में लेटी मधुरा जी सब बात सुन रही थी, गिन्नी से बोली “बेटा निखिल से पूछ लो क्या खायेगा, मै बना देती हूँ “।

     “अच्छा, तबियत खराब है हम लोगों को ब्रेड देकर अपने लाड़ले की फरमाइश पूरी करोगी, हद है मम्मी… लोग अपने बच्चों की फरमाइश पूरी करते आप दूसरे के बच्चों की…”गिन्नी गुस्सा होते बोली,।

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    “अरे बेटा, वो अपने घर -परिवार से दूर रहता है, घर के खाने को मिस करता है और परिवार के स्नेह के लिये ही तो यहाँ आता है, आज अगर मै उसकी देखभाल कर रही हूँ कल तुम लोग बाहर पढ़ने जाओगे तो कोई और तुम लोगों की देखभाल करेगा “मधुरा ने समझाया।




     निखिल को बुलाया तो वो अपने दोस्त को भी ले आया…,निखिल का मनपसंद नाश्ता पकौड़े और हलुआ बना…, तारीफ कर -कर के सारा हलवा और पकौड़ी दोनों चट कर गये….। उनको खिला कर मधुरा जी ने तृप्ति की सांस ली..,जाकर फिर लेट गई…।

    उधर निखिल खा कर बाहर निकला तो दोस्त ने निखिल को आँख मार कर कहा “यार पेट खूब भर गया,नाश्ते के साथ लंच भी हो गया…।तुम्हारा ये ट्रिक तो बहुत बढ़िया है,थोड़ी तारीफ और प्यार दिखा, फ्री में जब चाहो तब नाश्ता -खाना बनवा लो,इमोशनल फूल बनाने में निखिल तुम तो माहिर हो …।

    “ये सही शब्द है… इमोशनल फूल…”कह निखिल जोर से हँस पड़ा…। निखिल पीछे आई गिन्नी को देख नहीं पाया, जो उसका छूटा हुआ रुमाल लेकर आई थी।

   .”भैया इमोशनल फूल तो मम्मी है ही तभी तो आपको अपना बेटा समझती है…..बीमारी में भले ही अपने बच्चों को ब्रेड खिला दें पर दूसरों को हलवा -पकौड़ी खिलाती है…धन्यवाद भैया, मम्मी को ये दोहरा चेहरा मत दिखाइयेगा… नहीं तो उनका दिल टूट जायेगा..”रुमाल देकर दरवाजा बंद कर ली..।

     निखिल और उसका दोस्त दोनों परेशान हुये पर इसलिये नहीं कि मधुरा जी को चोट पहुंचेगी, . परेशान इस लिये थे अब किसको इमोशनल फूल बना कर अपना काम निकालेंगे…।

                          –#संगीता त्रिपाठी

                        . @स्वरचित और मौलिक 

#दोहरे_चेहरे

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