एक पिता का दिल – गीतू महाजन : Moral Stories in Hindi

आज वह दिन आ गया था जिसका सभी माता-पिता को इंतज़ार रहता है..अपनी प्यारी सी नन्ही राजकुमारी को दुल्हन के  रूप में देखने का।भले ही अपने राजकुमारी को विदा करने के लिए उन्हें अपने दिल पर पत्थर क्यों न रखना पड़ता होगा लेकिन इसी दिन के लिए वे कितने ही सपने संजोकर रखते हैं।

आज एक पिता के रूप में मैं भी उसी भावना से ओत-प्रोत अपने जिगर के टुकड़े..अपनी इकलौती बेटी को दुल्हन के रूप में सजा हुआ देख रहा हूं।सच में समय कैसे पंख लगा कर उड़ जाता है या फिर शायद यह सच है कि बेटियां बहुत जल्दी बड़ी हो जाती हैं। आंखें बंद करता हूं तो बचपन से अब तक का उसके जीवन का सारा सफर एक पल में मेरे सामने आ खड़ा होता है।

शादी के 8 बरस बाद भगवान ने बेटी के रूप में हमें अपनी नेमत से बक्शा था।मेरी और मेरी पत्नी का खुशियों का कोई ठिकाना ही नहीं रहा था।ऐसे लगा जैसे वह हमारे जीवन का केंद्र बिंदु बन गई थी।उसी की नींद सोते और उसी के साथ जगते।उसकी परवरिश में कैसे दिन कटते जा रहे थे हमें खुद भी पता नहीं चल रहा था।हां, यह ज़रूर था कि माता-पिता होने की यह नई ज़िम्मेदारी हमें खूब भा रही थी और हमारे जीवन में आई इस छोटी सी परी ने हमारी ज़िंदगी को एक नया मोड़ दे दिया था। 

अब हम पति-पत्नी से अधिक मां-बाप हो गए थे। उसकी परवरिश से जुड़े हर मुद्दे के लिए आपस में सलाह मशविरा करते  और कभी-कभी आपस में ही भिड़ पड़ते और फिर कुछ देर बाद सब कुछ भूल कर उसके साथ समय बिताते।

हर पिता की तरह उसकी अच्छी परवरिश के लिए मैं दिन-रात मेहनत करता ताकि उसे कभी कोई कमी महसूस ना हो। मेरी मेहनत रंग लाई और मेरा बिज़नेस ने बहुत तरक्की की और इसका श्रेय भी मैंने अपनी बेटी के भाग्य को ही दिया क्योंकि मुझे लगता था कि उसके आने के बाद ही मेरा बिज़नेस तरक्की के सोपान चढ़ रहा था।

वक्त अपनी रफ्तार से चला रहा और देखते देखते मेरी गुड़िया ने अपनी पढ़ाई लिखाई पूरी कर एक

कंपनी में अच्छा ओहदा प्राप्त कर लिया था।अब हमें उसके विवाह का ख्याल आता या फिर कभी-कभी नाते रिश्तेदार या संगी साथी यह ख्याल हमारे मन में डाल देते। 

सभी मां-बाप की तरह हम भी यही चाहते कि उसे ऐसा जीवन साथी मिले जिसके साथ वह अपने आने वाली ज़िंदगी को खुशी-खुशी निभा सके और हमारी यह चिंता हमारी बेटी ने तब दूर कर दी जब उसने अपने साथ काम करने वाले एक लड़के से हमें मिलवाया। बेटी की पसंद और लड़के और उसके घर वालों से मिलकर हमने यह रिश्ता पक्का कर दिया।आखिर बेटी की खुशी में तो हमारी खुशी शामिल थी। 

पिछले कुछ महीनों से शादी की तैयारियां ज़ोर-शोर से चल रही हैं..जानता हूं कि अब मेरी बेटी हमारे पास कुछ महीनों की मेहमान है फिर वह अपने अपने जीवन में आगे बढ़ जाएगी…समझता हूं कि यही तो जीवन का नियम है।सभी ऐसा करते हैं मेरी मां..मेरी पत्नी सभी अपना घर छोड़ कर आई थी एक नया घरौंदा बनाने पर मेरी बेटी मुझे छोड़ कर चली जाएगी..अब वह किसी दूसरे घर को अपना घर कहेगी..यही सोच कर बेचैनी सी होने लगती है..शायद पिता का दिल है ना।उसकी मां तो बहुत बार आंखों से आंसू बहा कर अपनी भावनाएं दर्शा देती है पर मुझे मज़बूत होना पड़ता है क्या करूं..पिता हूं ना।

देखते ही देखते आज वह दिन आ गया है जब पैरों में महावर लगे वह मेरे सामने खड़ी है।अभी कुछ घंटे बाद वह विदा हो जाएगी और इन्हीं महावर वाले कदमों से अपने नए घर में प्रवेश करेगी।आज मुझे वह दिन याद आ रहा है जब अपने नन्हें क़दमों के साथ ठुमक ठुमक कर चलते हुए मेरी गोद में समा जाती थी।तभी पत्नी की आवाज़ से मैं मेरी तंद्रा भंग हुई और मैं सारे रीति रिवाज़ निभाने उठ खड़ा हुआ।मन भारी है..आंखों के पीछे अपने आंसू छुपा कर बैठा हूं..अपने जीवन की सबसे बहुमूल्य चीज़ किसी को सौंपने जा रहा हूं.. जानता हूं कि मेरी बेटी भी मेरी आंखों में आंसू नहीं देख सकती इसलिए देखो मुस्कुराते हुए उसे विदा करते हुए यही दुआ कर रहा हूं कि वह अपने महावर लगे पैरों से अपने नए जीवन में प्रवेश करें और उसके जीवन में सारे खूबसूरत रंग बिखर जाएं।

#स्वरचितएवंमौलिक  

गीतू महाजन,

नई दिल्ली।

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