एक नई सुबह – नरेंद्र शुक्ल

‘टू राकेश चैधरी  ,  सी बलाक्स काटेज़ ,  टोरेंटो कनाडा ।‘  

भारतीय डाक से आये पत्र के लिफाफे पर अपरिचित सी राइटिंग देखकर वह हैरान हो गया । साफ पता चल रहा था  कि  किसी बच्चे की राइटिंग है ।  ‘ पर  , इंडिया में तो वह किसी बच्चे को नहीं जानता ! उसे कौन चिटठी लिख सकता है ?‘

।  मन में उभरे प्रश्नों का उत्तर जानने के लिये वह तेजी से लिफाफा फाड़ने लगा । लिफाफे के भीतर से एक छोटा सा ग्रीटिंग कार्ड  और  एक पत्र निकला । पत्र को एक ओर रखकर वह ग्रीटिंग कार्ड खोल कर पढ़ने लगा । ‘डियर पापा  ,   विश यू हैपी रिटर्नस आफ द डे । मे गाड मेक योर लाइफ हैपी एंड  परास्पियर्स । फ्राम योर लविंग सन  सैंडी ।‘

उसे याद आया कि आज तो 30 सितंबर है । आज के दिन ही वह पैदा हुआ था । ‘ कमबख़्त  ,  इस तलाक के केस के कारण कुछ याद नहीं रहता ।  पर  ,  यह सैंडी ,  सैंडी  कौन है ? जो मुझे पापा कह रहा है । मेरी तो कोई औलाद नहीं है ।  इसे मेरे बर्थ डे के बारे में कैसे पता है ?  आखिर यह है कौन ? ‘

उसने बैड पर पड़े पत्र को खोलकर देखा । पत्र की लिखावट उसकी पहली पत्नी गगनदीप कौर की थी । पत्र खोलकर वह पढ़ने लगा – ‘प्रिय राकेश , । सत श्री अकाल । आपको आपका जन्मदिन मुबारक हो । वाहे गुरु आपको और तरक्की दे । आज पूरे सात साल बाद तुम्हें पत्र लिख रही हूं  ।  कल गुरशरण पा जी मिले थे ।

उन्होंने तुम्हारा नया पता दिया ।  कह रहे थे कि तुमने वहां  मैरी बिरेंडा नाम की किसी अमेरिकन लड़की से शादी कर ली है । आपको आपकी नई शादी के लिये मुबारकबाद ।  सच मानो , मुझे तनिक भी दुख नहीं है ।  शायद, मैं आपके लायक नहीं थी । मेरे भाग्य में आपका प्यार नहीं लिखा था । आपके जाने के बाद संदीप पैदा हुआ ।

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मैंने आपको कई पत्र लिखे लेकिन , एड्रेस गलत होने के कारण  सब के सब वापिस आ गये । खैर, कोई बात नहीं । आपका  बेटा संदीप अब बड़ा हो गया है । अक्सर पूछता है   ममा, डैड हमारे साथ क्यों नहीं रहते  ? लेकिन , विश्वास मानों , मैनें उसे कभी नहीं बताया कि आप हमें छोड़कर सदा के लिये चले गये हो ।

जब वह बेहद परेशान करता है तो कह देती  हूं   कि तुम्हारे पापा  कम्पनी की ओर से फौरेन गये हैं । जल्दी ही वापिस आ जायेंगे ।  बच्चा है न , धीरे – धीरे समझेगा । आपका बेटा बिल्कुल आप पर गया है । वही गोरा रंग । वही छोटी – छोटी आंखें । वही नुकीली नाक । हंसता है तो गालों पर डिंपल पड़ जाते हैं वह यहीं मेरे पास बैठा है । 

पत्र लिखने की जिदद कर रहा है ।  क्या करुं ,  मना नहीं  कर सकती । अपने फ्ररैंढस  को उनके पापा के साथ देखकर उदास हो जाता है । पत्र उसे दे रही हूं ।  अनुरोध है ,  आप उसकी मासूम बातों को सीरियसली नहीं लेंगे ।‘

राकेश की आंखों में आंसू आ गये । आंसू की एक बूंद पत्र पर गिर कर इंद्रधनुष बनाने लगी । पुरानी यादें ताजा़ हो आईं ।  उसे याद आया कि गगन से उसकी शादी कितने धूम धाम- से हुई थी । गगन के मां – बाप इस शादी से कितने खुश थे । उन्हें सब से ज़्यादा इस बात की खुशी थी कि उनकी बेटी गगन की शादी एक ‘ एन आर आई‘  से हुई है ।

सारी बिरादारी में उनकी नाक उॅंची हो गयी थी । गगन भी खुश थी  ।  उसे पढ़ालिखा स्मार्ट दूल्हा मिला था । अब वह अपने पति के साथ विदेश जायेगी  ।  लेकिन  ,   कुछ दिनों बाद ,  कागजा़द बनवाकर अपने पास बुलवा लेने का झांसा देकर वह गगन को रोता – बिलखता छोड़कर  ,  यहां कैनेडा चला आया । 

कितना मक्कार व स्वार्थी है वह। यहां आकर उसने अपने पड़ोसी मिस्टर बिरांडा की बेटी मैरी बिरांडा से शादी कर ली  ।  लेकिन  ,  एक महीने में ही उसे पता चल गया कि उसकी पत्नी एक चालबाज़ औरत है । उसके कई मर्दों के साथ नजा़यज़ संबंध हैं । उसने केवल उसके ट्रांसपोर्ट बिज़नेस को हथियाने के लिये ही उससे शादी की है ।

वह अपने निग्रो ब्वाय फ्रेंड डेविड के साथ मिलकर उसका मर्डर करवाना चाहती है । और फिर  ,  एक रात उसने मेरी बिरंडा के त्किये के नीचे लोडिड रिवाल्वर  देखी । वह सन्नाटे में आ गया ।

उसने अगले दिन कोर्ट में तलाक के लिये एप्लीकेशन दे दी । मैरी उसे तलाक नहीं देना चाहती थी ।  पता नहीं क्यों कोर्ट उसकी अपेक्षा मैरी की दलीलों को ज़्यादा महत्त्व दे रहा था ।  आज पूरे सात साल हो गये केस चलते  । उसने आंखें बंद कर लीं । वकील कह रहा था कि अगली पेशी में वह आजा़द हो जायेगा । ‘

वह आगे पढ़ने लगा -‘ पापा,  सत श्री अकाल । पापा आई लव यू ।‘

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‘आई लव यू टू सन । सब्र का पैमाना आंखों से छलक पड़ा ।‘

‘ पापा,  इस बार स्कूल में बैस्ट आल राउंड स्टूडेंट सिलेक्ट हुआ हूं । प्रिंसिपल मैम कह रही थी कि इस बार अपने पापा को जरुर लाना ।  ‘ पापा,  आप आओगे न ! पापा ,आई डोंट वांट टू सी यू मोर इन पिक्चर्स । प्लीज़ पापा ए कम सून । पापा आपको आपके बर्थ डे  पर ग्रीटिंग भेज रहा हूं । काइंडली पापा  जरुर आना । आई मिस यू बैडली पापा । आपका बेटा । संदीप सिंह ।‘

,यस बेटा, मैं जरुर आउॅंगा । सदा के लिये मेरे बेटे ।  सदा के लिये ।  फिर कभी तुझे अपनी छाती से अलग नहीं करुंगा । वह फूट – फूट कर बच्चों की तरह रोने लगा । ‘

सुबह हो रही थी । सामने रोशनदान से आती हुई सूरज की किरणे कमरे के प्रत्येक भाग को आलोकित करने लगीं ।

मैं नरेंद्र शुक्ल घोषणा करता हूं कि एक नई सुबह मेरी मौलिक व अप्रकाशित रचना है ।

डा. नरेंद्र शुक्ल

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