एक मुंह दो बात – सीमा सिंघी :  Moral Stories in Hindi 

 अचानक पोता बहू सुनीति की कर्कश आवाज मेरे कानों में पड़ी ! वो शायद अपनी जेठानी अनीता से कुछ कह रही थी,जबकि बड़ी पोता बहू अनीता की आवाज मेरे कानों तक नहीं पहुंच रही थी। मैं मन ही मन सोचने लगी। वह भी तो जरूर सुनीति से कुछ तो कह रही होगी लेकिन अनीता की आवाज मेरे कानों तक नहीं पहुंची। 

वैसे सुनीति दिल की बुरी नहीं है, मगर फिर भी सुनीति का पहले कुछ कहना और बाद में उस बात से पलट जाना यानी कि एक मुंह दो बात का कहना और फिर जब भी कुछ कहना कर्कश आवाज में कहना घर के सभी सदस्यों का ध्यान जाने अनजाने में ही सही मगर अपनी ओर खींच ही लेता था,जबकि अनीता जब भी कुछ कहती, तो बड़े लहजे से कहती या फिर मुस्कुरा कर कहती और जो भी बात कहती थी। उस बात से कभी पलटती नहीं थी, इसीलिए घर के सभी सदस्यों की नजरों में अनीता का बहुत मान सम्मान देखने को मिलता मगर वहीं सुनीति की किसी भी बात पर कोई यकीन नहीं करना चाहता था। 

आज मैंने मन ही मन में ठान लिया, कि मैं सुनीति को समझा कर रहूंगी क्योंकि है तो मेरी दोनों अपनी ही पोता बहू।

 शाम को जब सुनीति मेरे करिब आकर बैठी ! मैं उसे प्यार से समझाने लगी! देखो बहू,मैं चाहती हूं कि घर के सभी सदस्य मेरी दोनों बहुओं का बराबर सम्मान करें और उन पर बराबर यकीन भी करें। 

बस इसी नाते आज मैं तुम्हें जो बातें समझाने जा रही हूं। वह बड़े प्यार से सुनना और समझना और हां तुम्हारी और मेरी यह बातें हम दोनों के बीच ही रहनी चाहिए। घर के किसी तीसरे सदस्य के पास कभी नहीं जानी चाहिए, क्योंकि  इस तरह समझाना और कहना अकेले चार दिवारी के अंदर हो तो उसका परिणाम बहुत बेहतर निकल कर आता है। मैंने अपनी उम्र के इस पड़ाव तक अपने तजुर्बे से यही सीखा है।

मैं जानती हूं तुम दिल की बड़ी अच्छी हो, मगर तुम्हारी अपनी ही कही हुई बात से तुम्हारा पलट जाना और जब भी कुछ कहना तो कर्कश आवाज में ही कहना घर हो या बाहर सबको अखरने लगता है जो कि अच्छी बात नहीं है।

तुम्हारी जेठानी अनीता भी वही बातें कहती है मगर वह कभी अपनी कही हुई बात से पलटती नहीं है और जब भी कुछ कहती है, तो एक सलीके से कहती है इसीलिए सब उसकी सुनते है और  सम्मान भी करते हैं ! 

देखो बहू इस दुनिया में बिन सम्मान के जीना कोई जीना नहीं है जैसे बिना चमक वाले मोती का कोई मोल नहीं है ! वैसे ही हमारे जीवन का भी बिन लज्जा और सम्मान के कोई मोल नहीं है !

 सुनीति को शायद मेरी सारी बातें समझ आ गई थी, इसीलिए वो मुस्कुराते हुए मुझसे कहने लगी! दादी अम्मा मैं आपकी सारी बातें अच्छी तरह समझ गई हूं। सच कहूं तो आपका इस तरह अकेले में मुझे प्यार से समझाना मेरे मन को छू गया है। 

वैसे दादी अम्मा मैं सम्मान तो आपका पहले भी बहुत करती थी, मगर आज मेरी नजरों में आपका सम्मान और भी कहीं ज्यादा बढ़ गया है।

सुनीति की बात सुनते ही मैं मुस्कुरा कर बोल पड़ी। अरे बहू मैं घर की सबसे बड़ी बुजुर्ग हूं,अगर मैं ही तुम्हें प्यार नहीं करूंगी, तो तुम मुझे सम्मान कहां से दोगी। देखा जाए तो रिश्तो में लेनदेन की यह बहुत छोटी सी बात है,मगर है बहुत गहरी जो इसे समझ ले। उनके सब रिश्ते आपस में सदा के लिए जुड़े रहते हैं । 

मेरी बात सुनते ही सुनीति फिर मुझसे कहने लगी । दादी अम्मा सौ प्रतिशत यकीन मानिए । आज के बाद मैं आपको शिकायत का मौका कभी नहीं दूंगी कहकर मुस्कुराते हुए वो मेरे कदमों में झुक गई और मेरे बूढ़े हाथ उसे ढेर सारा आशीर्वाद देने के लिए  !

 स्वरचित 

सीमा सिंघी 

गोलाघाट असम

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