“प्रिया”, “प्रिया”…. बेटा कहां हो? पुकारती हुई सुलभा जी ने देखा की उनकी नई नवेली बहुरानी ड्राइंग रूम में बैठी ऊंघ रही है….. दिसंबर महीने की कड़कड़ाती ठंड में 5बजे उठ कर नहा धोकर तैयार बैठी अपनी बहु को देख सुलभा जी को बड़ा प्यार आ रहा था, उन्होंने धीरे से जाकर प्रिया को जगाया और कहा…बेटा इतनी सवेरे सवेरे क्यों जाग गई? और भरी सर्दी में 5 बजे नहा कर, ऐसे तो खुद को बीमार कर लोगी तुम….
वो माज़ी मुझे लगा सुबह कही में लेट हो गई तो आप को अच्छा नहीं लगेगा… डरते हुए प्रिया ने अपनी सासु मां से कहा तो सुलभा जी हंस पड़ी और बोली अरे बेटा इतनी सुबह तो में भी नही जागती, वो तो तुम्हारे ससुरजी मॉर्निंग वॉक से लौटे और तुम्हे ड्राइंग रूम में अकेले बैठे देखा तो मुझे जगाया की प्रिया अकेले बैठी है, देखो कही कोई दिक्कत तो नही है ना उसे?….
अभी कुछ समय पहले ही प्रिया और अभय की शादी हुई है, रिसेप्शन के बाद प्रिया कल ही अपने पीहर से आई है, कॉलेज के लास्ट ईयर में ही अच्छा घर परिवार मिलने पर प्रिया के पापा ने शादी में देर नहीं लगाई, प्रिया भी अभय जैसा पति पाकर बहुत खुश थी बस थोड़ा सा अपनी सास को लेकर चिन्तित थी, क्योंकि उसने कही से सुन लिया था की उसकी सास यानी सुलभा जी बहुत तेज महिला है और पूरे घर में उन्ही की हुकूमत चलती है…
इन्ही सब वजह से प्रिया 5 बजे से तैयार होकर बैठी थी की कही देर से जागने के कारण सासू मां नाराज न हो जाए।….
सुलभा जी ने प्रिया से कहा की चलो अब जब तुम जाग ही गई हो तो आज हम दोनो सास बहु मिलकर गरमा गर्म नाश्ता बनाएंगे और कहकर रसोई में आ गई , सुलभा जी बोली तुम अपने ससुरजी जी के लिए गोभी का फुल्का भर दो और थोड़ा सा सूजी का हलवा भी बना लो, तब तक में नहाकर आती हूं और बाकी का सारा काम तुम्हारे साथ में करा दूंगी… कहकर सुलभा जी तो चली गई,…..
इधर प्रिया हाथ में गोभी का फूल लेकर सोच रही थी की गोभी का पराठा तो सुना है पर ये गोभी का फुल्का कैसे बनेगा,….
रसोईघर से प्रिया का नाता बस जरूरत भर के कामों तक ही रहा था , पढ़ाई की वजह से कुकिंग ना के बराबर ही आती थी, शादी भी बहुत जल्दी में हो गई तो अधिक सीख भी नही पाई , फिर भी दाल बनाना, आलू की सब्जी, हलवा और आलू के पराठे बना लेती थी पर अब ये नया सियापा “गोभी का फुल्का” ने तो प्रिया की जान ही ले ली थी जैसे, “बेचारी सोच में पड़ गई की इसे काटना है या उबालना है,”.. तभी सुलभा जी ने रसोई में आकर देखा की प्रिया गोभी हाथ में लिए दुविधा में खड़ी है, उनकी अनुभवी आंखों ने ताड़ लिया और बड़े प्यार से गोभी अपने हाथ में लेकर बोली, पहले गोभी को कद्दूकस करके उसमे सभी मसाले मिलाकर मिश्रण तैयार करो और फिर आटे की लोइयों में भरकर उन्हें बेलो, फिर हल्की आंच पर रोटी की तरह सेंको बस बन गए गोभी के फुल्के…..प्रिया को समझाते हुए सुलभा जी ने सारे फुल्के बना डाले थे और प्रिया ने भी हलवा बना दिया, जिसे सभी ने खूब तारीफ करके खाया…
अब तो प्रिया ने भी खूब जी जान लगाकर अपनी सास से खाना बनाना सीख लिया था और ” बहुत तेज महिला” वाले भ्रम से भी निकल चुकी थी….जब उसने “तेज महिला”वाली बात सुलभा जी को बताई तो वो बहुत हंसी और बोली, बेटा आज के युग में सब चीजों की जानकारी होना और जमाने से कदम से कदम मिलाकर चलना जरूरी है….अब यदि लोगो को ये तेजपना लगता है तो में अपनी इस उपाधि से खुश हूं….
सुलभा जी चाहती थी की उनकी बहू भी हर काम में आगे हो ताकि उसे किसी सहारे की जरूरत ना पड़े इसीलिए उन्होंने उसे ड्राइविंग सिखाई, आगे की पढ़ाई पूरी करवाई और कुकिंग में तो इतना माहिर कर दिया की प्रिया के हाथ के खाने का तो अब कोई मुकाबला ही नहीं था….
प्रिया ने जब दूसरी बार भी बेटी को जन्म दिया तब रिश्तेदारों से लेकर, आस पड़ोस के लोगो से लेकर घरेलू सहायक और सहायिका तक, सब ने बाते बनाई की बताओ दूसरी भी बेटी हो गई है तब सुलभा जी ने लोगो का मुंह बंद करवाकर अपनी बहु को मानसिक तनाव से दूर रखा , ढाल बन कर, एक मजबूत स्तंभ की तरह सहारा दिया।
प्रिया ने भी अपनी इतनी “तेज सास” को हमेशा अपनी मां से बढ़कर प्यार और सम्मान दिया है जो आज भी ऐसे ही कायम है।…
“सास में छुपा होता है ममता का रूप
धरती पर है वो परमात्मा का स्वरूप”
ग्रुप की सभी आदरणीय महिलाओं को समर्पित…
मौलिक, स्वरचित
#सहारा
कविता भड़ाना
अति सुन्दर प्रस्तुति। मनभावन वर्णन किया है। आमतौर पर लोग सास को लेकर पूर्वाग्रह से ग्रस्त होते हैं साथ ही सास भी बहु को लेकर। ऐसे में समझदारी से पहले करने पर चीजें आसान हो जाती हैं।