शाम का समय है सरला जी बालकनी में बैठी है डूबते हुए सूरज को देख रही है तभी उनकी बेटी निशा बोलती है मां चाय पी लो सरला ने कहा बेटा ही रख दो अभी पी लूंगी बेटी चाय टेबल पर रख कर चली गई।
सरला जी डूबते हुए सूरज को देख रही थी और मन में विचार आ रहे थे कि सूरज कितना अपने समय का ध्यान रखता है, सुबह निकलता है और शाम को डूब जाता है , सरला जी मन बहुत उदास था और बहुत खामोश, शांत बैठी हुई थी। चाय ठंडी हो गई थी अब उनके घर में से सन्नाटा और शांति ही रहती थी,
लेकिन कुछ दिन पहले की बात है जब इस मोहल्ले में सरला जी अपने पति राजेश के साथ आए उसे समय उनके घर का माहौल इतना खुशनुमा था कि हर समय हंसी मजाक की आवाज आती थी। पता नहीं उनके घर को किसकी नजर लग गई हंसना खेलते परिवार एकदम शांत हो गया। राजेश जी इस शहर में आए उनके दो बच्चे थे ,जो कि अब बड़े हो चुके हैं और समझदार हो गए। राजेश जी हर समय अपने ऑफिस जाने की जल्दी रहती,
पत्नी उनके पीछे-पीछे खाना लेकर आती उनकी बात ना सुनकर कहते मैं ऑफिस में खाना खा लूंगा, मुझे मीटिंग के लिए देर हो रही है और ऑफिस के लिए चले जाते हैं,सरला जी चुपचाप खड़ी देखती रहती और मन में यह सोचती यह यहां आकर कितने बदल गए हैं बच्चे भी देखते रहते , कि पिताजी हर समय फोन पर किसी से बात करते रहते हैं, उनके पास अपनी बीवी और बच्चों से बात करने का समय ही नहीं है,
राजेश जी सुबह-सुबह नहाने बाथरूम में जा रहे थे , तभी उनके फोन पर किसी महिला सहकर्मी का फोन आया राजेश जी उसके साथ बड़े अपनेपन से बात कर रहें थे उसे सुनने के बाद जब सरला जी के मन में कुछ शक हुआ , तो सरल जी ने राजेश जी का फोन देखा। फोन में राजेश जी द्वारा उसे महिला सहकर्मी की गई मैसेज और उसे महिला के मैसेज देखकर, सरल जी का दिमाग एकदम चलना बंद हो गया। उनके पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई।
उनका जो विश्वास था अपने पति से टूट गया पहले वह समझती थी कि कोई बात नहीं दोनों साथ में काम करते हैं तो हो सकता है,कि वह काम की बातें करते होंगे ,लेकिन उनके मैसेज में काम की बातें कम थी बाकी अपनी पर्सनल बातें थी जिस बातों में अपनी पत्नी सरला की बुराई कर रहे थे क्योंकि उनकी पत्नी एक सरल घरेलू महिला थी राजेश जी अपनी सहकर्मी महिला के प्रति आकर्षित हो रहे थे।
यह सब देखने के बाद सरला जी ने खामोश रहना शुरू कर दिया बच्चे भी बड़े थे समझदार हो गए बच्चे अब पिता से दूर कटे कटे रहने लगें, यह देखकर राजेश जी को बुरा लगा और उन्होंने सबको अपने पास बुलाया और कहां क्या बात है मुझे कोई गलती हो गई है तुम लोग मुझसे बात नहीं करते हो और मुझसे दूर भगाने की कोशिश करती है।
बच्चों के जाने के बाद सरला जी ने अपने पति राजेश को उनके फोन के मैसेज दिखाएं अब राजेश जी क्या बोलते हैं और अपनी पत्नी के हाथ पैर जोड कर माफी मांग लगे मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है , प्लीज मुझे माफ कर दो, सरला जी ने कहा अगर आपको मेरे अंदर कोई कमी दिखी थी पहले मुझे बता देते
।यह सब करने की क्या जरूरत थी आपने जरा भी यह नहीं सोचा कि अस बच्चे बड़े हो रहे हैं उनके दिमाग पर इस बात का क्या असर पड़ेगा राजेश जी अपनी बातों पर बहुत शर्मिंदा थे अब घर आते सब से बात करने की कोशिश करते थे और उन्होंने उस महिला सहकर्मी से भी दूरियां बना ली थी। लेकिन जो उनकी पत्नी सरला के दिल में एक बार उनका विश्वास टूट गया था वह वापस तो नहीं जुड सकता है।
यह कहानी किसी एक राजेश जी और सरला जी कि नहीं अपितु हमारे समाज में बहुत सी शादीशुदा पुरुष अपनी पत्नी का विश्वास इसी तरह तोड़ते हैं ,जो की लाख कोशिश करने के बाद वापस नहीं जुडता है
विश्वास एक कांच से बना होता है अगर एक बार टूट जाए फिर वापस कभी नहीं जुडता चाहे कितनी भी कोशिश ।
“रहिमन धागा प्रेम का, ना तोरे चटकाए।तोडे से फिर ना जुड़े और जुड़े तो गांठ पड़ जाए”
विनीता सिंह बीकानेर राजस्थान