मम्मी जी.. यह शादी में चढ़े हुए कुछ गहने हैं तो इन्हें आप ही रख लीजिए, छोटी-छोटी चीज मैं अपने पास रख लेती हूं बाकी झुमकी, गले का सेट और कंगन आप रख लीजिए, मुझे तो गहने संभाले नहीं जाते! गरिमा की बात सुनकर सासू मां विद्या देवी ने कहा …ठीक है बहू जैसा तुझे उचित लगे, वैसे घर की ही बात है जब भी तुझे जरूरत हो मुझे बोल देना मैं लॉकर से निकलवा दूंगी! ठीक है
मम्मी जी… फिर तो चिंता की कोई बात ही नहीं है आजकल चोरी चकारी भी बहुत बढ़ गई है! 1 साल बाद गरिमा के भाई रितेश की शादी थी उसने अपनी सास से कहा… मम्मी जी, आप पापा जी से कहकर लॉकर से गहने निकलवा दीजिए! हां बहू मैं आज शाम को ही पापा जी से कह कर निकलवा दूंगी! शाम को गरिमा ने देखा उन गहनों में उसकी झुमकियां कहीं नहीं थी वह सोचने लगी
उसने झुमकी दी थी फिर कहां गई! पहले तो उसने अपनी अलमारी को अच्छी तरह छान मारा पर उसमें झुमकी नहीं थी फिर उसे यकीन हो गया उसने झुमकियां भी वही रखवाई थी तब उसने कहा …मम्मी जी इसमें मेरी वाली झुमकी नहीं दिख रही? इतनी सी बात पर ही विद्या देवी चिल्लाने लगी… क्यों हम क्या चोर है तेरे सामने तो लॉकर में से गहने निकलवाए हैं जो तूने रखने को दिए थे
वही तो हमने रखे हैं अगर हम चोरी करते तो सारे गहने ही चोरी करते ना और वैसे भी हमारे पास कोई कमी नहीं है! मम्मी जी.. मैं आपको ऐसा कुछ भी नहीं कह रही मैं सिर्फ पूछ रही हूं कि मेरी झुमकियां कहीं इधर-उधर तो नहीं हो गई रखते समय! खैर गरिमा अपने भाई की शादी में दूसरे कानों के कुंडल पहनकर चली गई! कुछ समय बाद उसकी ननद के यहां पर मकान का गृह प्रवेश था
जिसमें सभी लोग शामिल हुए वहां जाते ही गरिमा दंग रह गई क्योंकि उसकी ननद ने वही झुमकी पहन रखी थी जो उसके पापा ने उसे दी थी! उसने नंद से पूछा… दीदी आप यह झुमकी कहां से लाई? पहले तो ननद को कोई जवाब नहीं सुझा फिर उसने ऐसे ही किसी दुकान का नाम बता दिया! गरिमा को पक्का यकीन था कि झुमकी उसी की है और सासू मां ने
अपनी बेटी को दे दी है! थोड़ी देर बाद गरिमा जब वॉशरूम के लिए जा रही थी उसने देखा उसकी सास अपनी बेटी से कह रही थी…. निधि, तू पागल हो गई है क्या, तुझे आज ही के दिन के झुमके पहनने थे मैंने तो तुझे झुमकी तेरे कहने पर दी थी क्योंकि तुझे भाभी के झुमकी बहुत पसंद आई थी, मैंने तुझे कहा भी था भाभी के सामने यह झुमके मत पहनना!
इतना सुनते ही गरिमा का दिमाग खराब हो गया, उस समय तो गरिमा ने कुछ नहीं कहा किंतु घर आकर अपनी सासू मां से कहा… मम्मी जी आपने दीदी को जब झुमकी दी थी कम से कम एक बार मुझसे पूछ तो लेती, क्या यह अच्छा लगता है मेरे गहनों में से आप दीदी को दे रही हैं, ना आपके पास कुछ कमी है ना दीदी के पास फिर आपने ऐसा क्यों किया? मैंने तो आपको इतने भरोसे के साथ
अपनी सबसे कीमती चीज दी थी और आपने ही ऐसा किया? अब बताओ घरवालों पर ही भरोसा नहीं करेंगे तो किस पर भरोसा करेंगे? गरिमा की बात सुनकर उसकी सास के पास कोई जवाब नहीं था किंतु फिर भी उसने कहा …
. बहू तेरी झुमकियां निधि को बहुत पसंद आ गई थी तो मैंने सोचा अगर तुझे पूछूंगी तो तू मना करेगी इसलिए मैंने उसे दे दी! इतना सुनकर गरिमा अपने कमरे में आ गई पर उसने यह सोच लिया आगे से वह अपना कोई भी सामान अपनी सास के पास नहीं रखेगी बल्कि अपना रखा हुआ सामान भी वापस ले लेगी क्योंकि एक बार टूटा भरोसा फिर नहीं जुड़ता!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
वाक्य प्रतियोगिता (एक बार टूटा भरोसा फिर नहीं जुड़ता)
#एक बार टूट भरोसा फिर नहीं जुड़ता