जब सोम्या ने सुना कि पापा बहुत ज्यादा बीमार हैं और मां भी बीमार हो गईं उनकी देखभाल करने वाला घर पर कोई नहीं है———– भाई तो अमेरिका में अपने परिवार सहित यानी कि भाई शंकर भाभी रीना और—- उनकी 2 साल की एक बेटी बिपाशा अमेरिका में बस गए और पीछे मुड़कर भी नहीं देखा की माता-पिता के क्या हाल हैं आज सौम्या अपने ख्यालों में खो जाती है———- जब उसका इंजीनियरिंग पूरा होता है और उसे अपने साथ पढ़ने वाला का एक लड़का पसंद था लेकिन वह साधारण परिवार का था पापा ने साफ मना कर दिया मैं तुम्हारी शादी अपने दोस्त के लड़के से करवाना चाहता हूं!—- बहुत अमीर है मेरा दोस्त सुभाष उनका काफी कारोबार है लेकिन सौम्या को तो आदित्य पसंद था?—— आदित्य और सौम्या की साथ-साथ नौकरी लगी थी! आदित्य की केवल मां थीं और एक छोटी बहन—– रश्मि थी साधारण परिवार था। सौम्या को अच्छी तरह याद है कि——— जब मां ने भी पापा से कहा कि लड़का तो सुंदर है इंजीनियर भी है दोनों एक दूसरे को चाहते हैं अगर—- शादी हो जाएगी तो दोनों सुखी रहेंगे! तुम्हारा दोस्त बहुत अमीर है लेकिन—- उसके बेटे का क्या पता बिजनेसमैन है कैसा स्वभाव है कहीं बिगड़ा हुआ तो नहीं? पर पापा—– नहीं माने!
सौम्या का भाई और भाभी भी तैयार हो गये थे कि चलो कोई बात नहीं अगर सौम्या को पसंद है तो—— उसकी शादी कर देंगे लेकिन पापा की जिद थी! सौम्या तो पापा के आगे खूब गिड़- गिड़ाई और बोली “एक और मौका” तो—- दे दीजिए आप—- देखिए आदित्य कितना अच्छा लड़का है! पर उन्होंने कहा हम एक मौका भी नहीं दे सकते फिर एक दिन—— सौम्या ने आदित्य से शादी कर ली लेकिन जैसे ही वह आदित्य के संग घर आई——- पापा ने उसे दरवाजे से ही लौटा दिया कहा कि——– तुम मेरे घर में अब नहीं आ सकती हो! तुमसे हमारा कोई नाता रिश्ता नहीं है! मां ने भी बहुत समझाया पर पापा नहीं माने और सौम्या उल्टे पैर—— अपने ससुराल चली गई तब से वह अपने ससुराल में ही थी आज 2 साल बीत गए थे!—
सौम्या को उनके पड़ोस में रहने वाले अंकल आंटी बहुत चाहते थे और सौम्या के पापा को भी जानते थे एक दिन अचानक—- उन्हीं अंकल के द्वारा सौम्या को पता चलता है कि———- उसके पापा- मम्मी दोनों ही बहुत बीमार हैं और पापा- मम्मी अकेले हैं!—– तो सौम्या से रहा नहीं गया और वह दौड़ती हुई अपने पति से बोली कि चलो अभी मैं मम्मी- पापा से मिलना चाहती हूं!—— आदित्य चौक गया और आश्चर्य से बोला——– ऐसी क्या बात हो गई? तब उसने बताया कि बगल में जो अंकल रहते हैं उन्होंने मेरे माता-पिता की तबीयत खराब है बताया है यह सुनकर आदित्य भी सौम्या के साथ जाने को तैयार हो गया।
सौम्या डरते डरते घर के दरवाजे को खटखटा रही थी पर अंदर से कोई आवाज नहीं आ रही थी!—— थोड़ी थोड़ी करहाने की आवाज आई—— उसने जोर से दरवाजे को धक्का दिया तो देखा—– माता-पिता दोनों ही बीमार पड़े हैं यह स्थिति देखकर उसने अपने पापा- मम्मी को गले लगाया और कहा अब मैं आ गई हूं——— आप मुझे “एक और मौका” दो या ना दो मैं— आपकी सेवा करके और आपको ठीक करके ही—- यहां से जाऊंगी। सौम्या को और अपने दामाद को देखकर पापा जोर-जोर से रोने लगे और कुछ नहीं बोले—- दामाद आदित्य ने भी एक लड़के की तरह फर्ज निभाया और दोनों ने अच्छे डॉक्टर को दिखाकर अपने माता-पिता को ठीक किया भाई को खबर की लेकिन भाई विदेश से जल्दी नहीं आ सकता था!
महीने भर सौम्या ने अपने माता-पिता की देखभाल करके उन्हें बिल्कुल ठीक और स्वस्थ कर दिया——– इस बीच आदित्य भी अपने घर और अपनी नौकरी पर चला गया था! सौम्या ने लंबी छुट्टी ली थी इसलिए उसे कोई नौकरी पर जाने की चिंता नहीं थी आज आदित्य सौम्या को लेने आने वाला था—– जैसे ही आदित्य सौम्या को लेने आया सौम्या के पापा ने हाथ जोड़कर आदित्य से कहा बेटा तुम हमारे दामाद नहीं बेटा ही हो!———- हमने बहुत बड़ी गलती की जो सौम्या को घर से निकाल दिया आज हमें हीरे जैसा दमाद मिला है!—- हम तुम्हें “एक और मौका” देते हैं! अब हम तुम्हें नहीं खो सकते हमारे दो ही बच्चे हैं बेटा तो बाहर अमेरिका में है जो कभी नहीं आता लेकिन बेटी ने और दामाद ने तुम दोनों ने एक बेटे की तरह हमारी सेवा की हम इसे नहीं भूल सकते!—– हमारी गलती थी बच्चे अगर गलती करें या कोई अपनी जिंदगी का निर्णय लें तो उन्हें समझना चाहिए उन्हें—– “एक और मौका” देना चाहिए! हो सकता है वह कुछ अच्छा ही कर रहे हों यह सुनकर आदित्य और सौम्या ने माता-पिता के पैर छुए और उन्हें गले से लगा लिया और कहा—- आप बिल्कुल चिंता ना करें हम आपको देखने आते रहेंगे और आपकी जरूरतों को भी पूरी करेंगे हम आपके ही बच्चे हैं!
एक क्षण में घर में—— खुशियों की लहर दौड़ गई और हंसी-खुशी का वातावरण बन गया।
तो दोस्तों मेरी कहानी कैसी लगी कभी भी बच्चों से कोई गलती हो या बच्चे कोई निर्णय लें तो—– उसको सोचना समझना चाहिए और अगर सही निर्णय हैं तो उनका साथ भी देना चाहिए और “एक और मौका” बच्चों को अपनी जिंदगी जीने के लिए देना चाहिए।
सुनीता माथुर
मौलिक अप्रकाशित रचना
पुणे महाराष्ट्र