चंदा पहली ही मुलाकात में बृजेश से प्रभावित हो गई थी… उसे वह लड़का कुछ अलग सा लगा… चंदा ने हर बार की तरह छुट्टी के दिन पिज़्ज़ा ऑर्डर किया था… इस बार डिलीवरी बॉय नया लड़का था… लड़के ने बड़ी विनम्रता से कहा… मैम एक गिलास पानी मिल सकता है क्या…!”
चंदा पानी लेने चली गई… आई तो लड़का बहुत गौर से उसके घर को ताक रहा था… उसके आते ही बोला…” मैडम आपका पूरा घर तो सिर्फ किताबों से भरा हुआ है… मुझे भी किताबें पढ़ना बहुत पसंद है…!” चंदा को अच्छा लगा…
बातों ही बातों में चंदा ने उससे उसके बारे में सब जान लिया… उसका नाम बृजेश था… वह अभी दस दिन हुए ही गांव से आया था… काम की तलाश में… नौकरी के लिए परीक्षाएं देते हुए, अपना खर्च चलाने के लिए यह काम कर रहा था… उसकी बातों से वह बहुत मेहनती और लगनशील लड़का लगा…
चंदा एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब कर रही थी… एक से एक रिश्ते ठुकरा कर, करियर बनाते हुए आज इस मुकाम पर पहुंच गई थी… जहां करियर था, लेकिन परिवार नहीं… उसकी उम्र भी काफी हो चुकी थी… अब कोई रिश्ते की बात भी नहीं चलाता था… मां पिता कहते सुनते थक चुके थे… इसलिए उन्होंने उसे अपने हाल पर छोड़ दिया था…
कल की जिद्दी चंदा को आज एहसास हो रहा था… अपनी जिंदगी की भारी कमी का…लेकिन कहे तो किससे… ऐसी मानसिक अवस्था में अचानक मिला बृजेश… उसे बहुत भला लगा…
अब तो हर दूसरे दिन चंदा पिज़्ज़ा ऑर्डर करने लगी… बृजेश भी उसके घर का पता देख खुद तैयार हो जाता था… पहुंचाने को… दोनों में बहुत बातें होती थी… यहां तक की चंदा ने उसका फोन नंबर भी मांग लिया कि अगर कभी देर हुई तो सीधा तुमसे ही बात कर लूंगी…
बृजेश हर वक्त सिर्फ किताबों और पढ़ाई के बारे में ही बातें किया करता था… चंदा उसे अलग-अलग लेखकों की बढ़िया किताबें देती.… दो ही दिनों में बृजेश उसे पढ़कर दूसरी किताब ले जाता… बढ़िया हंसते बोलते दिन बीत रहे थे…
बातों बातों में बृजेश ने बताया कि उसकी जिंदगी की बहुत महत्वपूर्ण परीक्षा है अगले हफ्ते… इसलिए वह पांच दिनों की छुट्टी लेकर तैयारी करेगा… चंदा के मन में एक टीस उठी… “तो क्या 5 दिन तुम नहीं आओगे…!”
” अरे मैडम… तैयारी तो करनी पड़ेगी ना…!”
अगले दिन बृजेश आया था… चंदा की किताब वापस करने… आज डिलीवरी बॉय बन कर नहीं… बस यूं ही…
चंदा उस समय काम पर जाने को तैयार हो रही थी…उसके दफ्तर में कुछ फंक्शन था, तो वह थोड़ी विशेष तैयारी में थी… अचानक बेल बजा, तो चंदा अपनी फेवरेट डायमंड रिंग निकाल कर हाथ में डालने ही वाली थी… कि सोफे पर रखकर बाहर देखने चली गई… सामने बृजेश था…” मैडम आपकी किताबें… सोचा, अब कुछ दिन नहीं आऊंगा, तो आपकी किताबें देता चलूं…!”
चंदा ने उसे झिड़कते हुए कहा…” किताब कहां भागे जा रहे थे… आओ… मैं भी बस निकलने ही वाली हूं… तब तक देख लो… अगर कोई और किताब पसंद हो… तो ले लो… सामान्य ज्ञान की भी बहुत सी किताबें हैं मेरे पास…!” बोलती हुई चंदा भीतर चली गई…
बृजेश एक दो मिनट इधर-उधर घूम कर बोला… “नहीं मैडम… अभी और कुछ नहीं चाहिए… मैं बस चलता हूं…!” बृजेश चला गया…
चंदा को भी देर हो रही थी… वह भी निकल गई… ऑफिस में अचानक उसकी नजर अपनी उंगलियों पर गई, तो रिंग का ख्याल हो आया…” अरे रिंग तो लगता है घर पर ही रह गया…!” वापस आते ही उसने अपनी डायमंड रिंग को ढूंढना शुरू किया… लेकिन उसका तो कहीं पता ही नहीं था… यहां वहां हर जगह ढूंढ लेने पर भी जब रिंग नहीं मिली तो उसका मन आशंकित हो गया… “कहीं चोरी तो नहीं हो गई… और तो कोई आया नहीं… एक बृजेश ही आया था… तो क्या उसने…… नहीं… ऐसा आदमी तो नहीं लगता…. किसी के माथे पर थोड़े ही लिखा होता है… उसके अलावा और आया ही कौन है……!”
चंदा ने वह रात करवटों में काट दी… सुबह होते ही उसने बृजेश को फोन लगाया, तो उसका फोन स्विच ऑफ था… कई बार फोन लगाने पर भी जब फोन नहीं लगा, तो चंदा का शक पक्का हो गया… “लाखों की रिंग लेकर… यह लड़का कहीं फरार तो नहीं हो गया…!”
चंदा की दोस्त का भाई पुलिस इंस्पेक्टर था… उसने सीधा उसी को फोन लगाया…” मेरी डायमंड रिंग गुम हो गई है… और मुझे शक है कि यह काम डिलीवरी बॉय बृजेश का ही है… उसका फोन भी ऑफ आ रहा है… आप जरा उससे छानबीन करिए…!”
अगले दो घंटे बाद ही बृजेश थाने में था… इंस्पेक्टर ने चंदा को भी थाने बुलाया… चंदा को देखकर बृजेश एकदम से चौंक गया… “मैडम जी… आपने मेरी शिकायत की…!”
उसका इस तरह चौंकना… चंदा को शर्मिंदा कर गया… वह थोड़ा संकोच करते हुए बोली… “देखो बृजेश… मैं तुम्हें हवालात में डालना नहीं चाहती थी… अगर तुमने मेरी रिंग ली है तो उसे दे दो… मैं अभी तुम्हें रिहा करवा दूंगी…!”
“कौन सी रिंग मैडम… मैं तो फोन बंद कर के…काम से छुट्टी लेकर… परीक्षा की तैयारी में लगा हुआ था… मैंने आपके घर में, आपकी किताबों के अलावा किसी भी चीज को कभी हाथ नहीं लगाया… अब लगता है कि शायद वह भी मेरी गलती ही थी…!”
चंदा चिढ़ गई… “देखो बृजेश… सीधे से बता दो… तुम्हारे सिवा मेरे घर कोई भी नहीं आया…!”
बृजेश चुप हो गया…उसकी आंखें भर आईं…
चंदा कुछ देर और वहां रही… फिर वापस आ गई… दो दिन गुजर गए थे… पुलिस बृजेश से कुछ भी पता नहीं लगा पाई… उसके घर से भी कुछ नहीं मिला… चंदा रह रह कर सोच में पड़ जाती… “सही किया या गलत… हो सकता है बृजेश ने ना ही लिया हो… तो गई कहां मेरी रिंग…!” इसी उधेड़बुन में चंदा ने एक बार सोफे के गद्दे के दोनों कोनों के बीच हाथ डालकर ढूंढने की कोशिश की… हाथ डालते ही रिंग हाथ में आ गई… रिंग सोफे के दोनों गद्दों के बीच… भीतर जाकर फंस गई थी… चंदा ग्लानि के बोझ से दब गई… आखिर अब क्या करे … बहुत बड़ी गलती कर चुकी थी वह… तुरंत थाने की तरफ चल दी… लेकिन फिर उसकी हिम्मत नहीं हुई… बृजेश के सामने जाने की… इसलिए उसने फोन करके तुरंत उसे छोड़ने का आग्रह किया… इंस्पेक्टर ने उसकी बात मानकर बृजेश को रिहा कर दिया…
चंदा बृजेश को मिस कर रही थी… इस बीच उसने कई बार पिज़्ज़ा ऑर्डर किया… लेकिन बृजेश नहीं आया…उसे फोन करने की तो उसमें हिम्मत ही नहीं थी… आखिर एक दिन वह आया… बिल्कुल सामान्य तरीके से, उसने पिज़्ज़ा पकड़ाया और निकलने ही वाला था… कि चंदा ने बढ़कर उसका हाथ पकड़ लिया…” मुझे माफ कर दो बृजेश… मुझे एक और मौका दे दो… क्या हम पहले की तरह बातें नहीं कर सकते…मिल नहीं सकते… मैंने इन दिनों तुम्हें बहुत मिस किया…!”
बृजेश ने आराम से उसका हाथ छुड़ाया, और बिना पलटे सिर्फ इतना ही बोला…” नहीं मैडम… अब दोबारा मैं गलती नहीं कर सकता… मुझे मिला मौका मैं आपको नहीं दे सकता…!”
चंदा खड़ी देखती रह गई… बृजेश तेज कदमों से निकल गया… फिर कभी ना आने को……
रश्मि झा मिश्रा…
#एक और मौका