एक और मौका – नीलम गुप्ता

बड़े भैया के जन्म के बाद लगातार तीन लड़कियों का जन्म हुआ तो दादी ने दूसरे पोते के लिए हरिद्वार जाकर  गंगा मैया से प्रार्थना की। दादी की प्रार्थना स्वीकार हुई और गंगा मैया ने उन्हें पोता प्रदान किया जो बाद में मेरे हिस्से में आए अर्थात उनसे मेरा विवाह हुआ 2 साल बाद मेरे देवर का जन्म हुआ दादी की खुशी का ठिकाना न था

इतनी खुशी दादी जी संभाल नहीं पाई और जल्द ही स्वर्ग सिधार गई मेरी शादी के समय बड़े भैया व तीनों बहनों की शादी हो चुकी थी बड़े भैया बैंक में अच्छी पोस्ट पर थे बहने भी अपने-अपने ससुराल में सुखी व संपन्न थी मेरे पति एक प्राइवेट कंपनी में अकाउंटेंट थे

ससुर जी डीसी एम  की नौकरी से रिटायर होकर सुखी जीवन व्यतीत कर रहे थे घर में पैसा बहुत नहीं था परंतु समाज में इज्जत बहुत थी। उन्हें अपने दोनों बड़े बेटों पर नाज़ था परंतु सबसे छोटा बेटा दुर्भाग्य से नालायक निकला। पढ़ाई लिखाई में उसका कभी मन नहीं लगा

स्कूल के समय से ही वह कुछ बुरे लड़कों की संगत में पड़ गया फल स्वरुप एक ही कक्षा में कई बार असफल होने पर उसने पढ़ाई छोड़ दी घर में सबने उसे बहुत समझाया परंतु उसका दुर्भाग्य कहें या ना समझी वह आगे नहीं पढ़ पाया अब घर में सब उसे निकम्मा नालायक कहते बड़े भाई पढ़ लिखकर अफसर ही कर रहे हैं

और यह दसवीं कक्षा भी पास नहीं कर पाया आज के जमाने में पढ़े-लिखों को नौकरी मुश्किल से मिलती है इस अनपढ़ को कौन नौकरी देगा इसकी जिंदगी कैसे चलेगी सबको इसकी चिंता रहती पिताजी की इतनी समर्थ नहीं थी कि उसे कोई बिजनेस करवा दे

घर में सब उससे नाराज रहते क्योंकि उसके कारण समाज में परिवार की बदनामी हो रही थी सबके तले सुनते-सुनते वह हीन भावना से ग्रस्त हो गया सबसे कटा कटा रहने लगा धीरे-धीरे उसकी सेहत खराब होने लगी अब घर वालों को चिंता हुई सब ने मिल बैठकर विचार किया

उसे बहुत समझाया बुझाया और घर में ही एक कमरे में किराने की छोटी सी दुकान खुलवा दी वह दुकान पर व्यस्त रहने लगा थोड़ी बहुत कमाई भी होने लगी मगर दुकान की थोड़ी सी कमाई से वह संतुष्ट नहीं था कुसंगति ने भी उसका साथ नहीं छोड़ा था

वह फिर से अपने पुराने दोस्तों के साथ मिलकर जल्दी ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में सट्टेबाजी करने लगा।  दोस्तों ने उसके साथ धोखा किया और उसे पर काफी रुपए उधार हो गया लोग पैसा मांगने घर आने लगे बेटे के कारण पिता को बहुत शर्मिंदा होना पड़ा वह बहुत दुखी हुए और बीमार पड़ गए।

पिता को दुखी देखकर सभी भाई बहनों ने उसे बहुत बुरा भला कहा और उससे बात करना बंद कर दिया अब वह बिल्कुल अकेला हो गया था अब शायद वह सुधारना चाहता था परंतु हालात बेकाबू हो गए थे उसे पर लगभग दो लाख रुपए का कर्ज था। वह अपने किए पर शर्मिंदा था माफी भी मांगी परंतु कोई उसका साथ देने के लिए तैयार नहीं हुआ ऐसे में बड़े भैया ने

आगे बढ़कर कहा माना किसने जो किया उससे पूरे परिवार को कष्ट हुआ है मगर अब वह अपनी गलती सुधारना चाहता है तो उसे एक मौका दिया जाना चाहिए उन्होंने पिताजी वह घर के अन्य सदस्यों को भी इसके लिए मना लिया। मेरे पति और भैया ने मिलकर उसे मार्केट में एक दुकान करवा दी

और शर्त रखी कि वह मेहनत से काम करेगा और हर महीने एक निश्चित रकम बैंक में जमा करेगा जिससे वह अपना कर्ज चुका सके ईश्वर ने उसे सद्बुद्धि दी और 2 साल में उसने न केवल अपना उधार चुकता कर दिया अपितु उसके अकाउंट में भी काफी रकम जमा हो गई अब

वह पूरी लगन से काम कर रहा था पिताजी भी उसे खुश थे एक सुशील लड़की देखकर उसकी शादी कर दी गई आज वह सुखी गृहस्थ जीवन व्यतीत कर रहा है। यदि उसे एक मौका ना दिया जाता तो क्या यह संभव था गलतियां किसी से भी हो सकती हैं मगर सुधारने का एक मौका तो व्यक्ति को मिलना ही चाहिए। 

लेखिका – नीलम गुप्ता

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