जमुना प्रसाद जी और जानकी जी के तीन बेटे अमर अजय और केशव थे और कुछ वर्ष बाद एक बेटी गीता हुई सब भाइयों में सबसे छोटी पिताजी उसे प्यार करते पर मा का दिल तो अपने बेटों में था।जमुना प्रसाद की कपड़ों की दुकान थी बीच बाजार में जो चलती भी बहुत थी।बड़ा बेटा अमर पढ़ाई में ठीक ठाक ही था पर उसकी बुद्धि व्यापारी वाली थी इसलिए दसवीं के बाद पिता की दुकान पर जाने
लगा ।उससे छोटा अजय उसे विज्ञान में रुचि थी उसने अपनी पढ़ाई की और अमेरिका चला गया और वहां जाकर अमेरिकन स्पेस सेंटर ज्वाइन कर लिया वही अपने साथ काम करने वाली लड़की मार्गरीटा से शादी कर ली और वो कभी नहीं आया।छोटा बेटा केशव लॉयर था उसकी वकालत अच्छी चलती थी ये जमुना प्रसाद का परिवार था।अमर विवाह योग्य हुआ तो उसकी शादी सुधा से हुई ।सुधा
एक मीठी छुरी थी जो प्यार प्यार से सारी बात मनवाती और शाम को पति के कान भरती । केशव का अपने पिता के दोस्त डॉक्टर महेश की बेटी मीरा से विवाह हुआ जो एक अध्यापिका थीं।दोनो भाइयों की शादी हो गई मेरे सुबह स्कूल जाती तो वो घर के काम में ज्यादा मदद ना कर पाती।सुधा गीता को
काम में लगाए रखती और सबके सामने कहती पराए घर जाना है काम तो आना चाहिए सब काम कर गीता कॉलेज जाती और फिर घर आ कर वही काम क्योंकि छोटी भाभी थक कर आती तो उन्हें भी मदद की जरूरत होती।जमुना प्रसाद जी गीता के लिए लड़का देख रहे थे तभी उनके मित्र गिरिराज ने अपने बेटे विवेक के बारे में जिक्र किया बोले विवेक बैंक में है और उसे घरेलू लड़की
चाहिए जो घर को अच्छे से संभाल सके ताकि परिवार बिखरे नहीं।अगले हफ्ते तय दिन पर विवेक अपने परिवार के साथ आया उसे सीधी सी गीता पसंद आई 3 महीने बाद विवाह निश्चित हुआ और गीता ब्याह कर मुंबई आ गई।गीता ने इतने अच्छे से घर संभाला कि सब बहुत खुश थे हर तीज त्योहार वो अच्छे से करती सास ससुर और विवेक तीनों बहुत खुश थे। गीता घर में रच बस गई दो प्यारे से
बच्चों की मां भी बन गई। मां बाप तो हाल चाल भी पूछते भाई भाभी तो कभी झूठे को भी ना कहते की आना।जब अपने ससुराल आती तो मां बाप से मिलने भी घर जाती सुधा को लगता कुछ लेने आई है जबकि गीता भाइयों के बच्चो के लिए भाभियों के लिए अच्छा सामान ही ले कर आती।फिर भी सुधा
और मीरा को यही लगता क्यों आई है।फिर अपने घर बच्चों के कारण गीता का भी मुंबई से आना कम ही होता ।फोन पर ही मां पिताजी का हाल पूछ लेती।
इधर एक दिन अचानक खबर आई पिताजी ने दुकान अमर भैया को दे दी है और घर का भी बंटवारा हो गया है।बड़ा भाई उसी घर में रह रहा है और छोटा अपना हिस्सा ले कर दूसरी जगह चला गया सुधा सारा दिन ताने सुनाती जिसकी वजह से एक रात जमुना प्रसाद जो सोए तो उठे ही नहीं अगली
सुबह रोज़ की तरह जानकी जी चाय ले कर गई तो देखा वो दूसरी दुनिया में जा चुके है सबको खबर की गई ।गीता अपने पति और सास ससुर के साथ पहुंची ।अजय आया ही नहीं केशव मेहमानों की तरह खड़ा था अंतिम संस्कार की तैयारी हुई और पिता पंचतत्व में विलीन हो गए जानकी और गीता
का बुरा हाल था।दिन वार पूरे होने तक गीता रुक गई।सुधा को उसका रुकना पसंद नहीं आया पर दुनिया दिखावे के लिए चुप रही। बच्चे दादा दादी के साथ उनके घर चले गए और विवेक वापस मुम्बई चले गए।धीरे धीरे सारे रिश्तेदार जाने लगे चौदह दिन हो चुके थे।गीता बोली मां मै भी कल घर चली
जाऊंगी आप अपना ध्यान रखना ।सुधा बोली गीता ऐसा है हमसे तो अब तुम्हारी मां का नहीं हो पाएगा तुम इन्हें भी कुछ दिन अपने साथ ले जाओ।भाभी आप ये क्या कह रही है ये घर तो अम्मा बाबूजी का है ।अमर आया बोला बड़ा बोलना आ गया है ये घर मेरा है बाबूजी ने मेरे नाम पर कर दिया है अब ये
घर मेरा है।मां से सुधा बहुत परेशान रहती है तुम इन्हें ले जाओ।मां बोली मै कही नहीं जाऊंगी मेरी लाश ही यहां से निकलेगी।गीता बोली मां ऐसा नहीं कहते अभी मुझे तुम्हारी जरूरत है चलो मेरे साथ मां रोती बिलखती गीता के साथ आई शर्म के मारे वो अपना सिर नहीं उठा पा रही थी।गिरिराज जी
बोले बहन ये भी आपका ही घर है आप आराम से रहे । जानकी को बेटी के दरवाजे पर आना और उसके घर खाना अखर रहा था।वो सोच रही थीं इन्हीं कपूतों को मैने अपनी बेटी पर तरजीह दी। जानकी सुधा और बच्चों के साथ मुंबई आ गई वो अपना मन पूजा पाठ में लगा रही थी। नाती में मन
रमा रही थी।गीता और विवेक पूरा ध्यान रखते थे।एक दिन गीता बाजार गई थी और विवेक ऑफिस बच्चे और जानकी घर पर थे।तभी गीता के बेटे विनय ने पूछा नानी एक बात पूछूं आप अपने बेटे के साथ क्यों नहीं रहते हमारे यहां क्यों रहते हो क्योंकि नानी तो मामा के साथ रहती है हमारे साथ तो
दादा दादी रहते है वो भी कभी कभी।जानकी शर्म से डूब गई वो बच्चे को क्या उत्तर दे विनय बोला बताओ ना नानी।पीछे से विवेक आया और बोला विनय आपकी नानी आपसे और आपकी मम्मा से बहुत प्यार करती हैं इसलिए ये आपके पास रहती हैं आपके एक मामा अमेरिका और बाकी दोनों अलग अलग रहते हैं उनके बच्चे भी बड़े हैं आप छोटे हो इसलिए ये आपका ध्यान रखने के लिए हमारे
पास रहती हैं और ये हमारे साथ नहीं हम इनके साथ रहते है ये तो हमारी बड़ी है हमारा ध्यान रखती हैं हम सब तो इनके बच्चे है पीछे से गीता विवेक की बात सुन रही थी और उसे विवेक पर गर्व हो रहा था और जानकी सोच रही थीं ईश्वर ने तीन बेटों की जगह एक विवेक जैसा बेटा दिया होता तो जीवन स्वर्ग होता।
स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी