दूधो नहाओ पूतो फलो इस आशीर्वाद से राधा के तन बदन में आग लग जाती। विमल से उसकी शादी हुई दो वर्ष बीत चुके थे। आज जिंदगी के जिस मोड़ पर वह खड़ी थी वह समझ नहीं पाती कि किसको जिम्मेदार ठहराए अपने भाग्य को या माता-पिता की विवशता को।
कोरोना काल की विसंगतियों का शिकार उसका परिवार भी हुआ था। प्राइवेट कंपनी में उसके पिताजी नौकरी करते थे। आपदा की मार से त्रस्त कंपनी घाटा झेल नहीं पाई बंद हो गयी। उसके पिता जी बेरोजगार हो गए। तीन बेटियों व एक बेटे का खर्चा माता-पिता कैसे झेल पाते कहीं कोई नौकरी भी नहीं मिल रही थी। पिताजी ने घर के बाहर एक छोटी सी परचून की दुकान खोल ली थी बस किसी तरह गुजर बसर हो रही थी। बेटियों की उम्र बढ़ रही थी माता-पिता जी चिंता में उम्र से पहले बूढ़े हो चुके थे।
एक दिन शकुंतला चाची एक रिश्ता लेकर आई।
पिताजी को बता रही थी उनका अपना मकान खेत दुकान गाड़ी सब कुछ है संपन्न परिवार का इकलौता लड़का है जोर दे रही थी ऐसा रिश्ता फिर नहीं मिलेगा कोई माँग जाँच भी नहीं है राधा बिटिया की शादी कर दो। अंधे को चाहिए क्या आँखें दो।
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चट मंगनी पट ब्याह कर राधा ससुराल आ गई। विमल शांत रहते लगता नया रिश्ता है या स्वभाव ऐसा ही होगा। कई दिन रस्मो रिवाज मन्नतों पूजा पाठ आदि में निकल गए। धीरे-धीरे राज खुलने लगे थे भीड़भाड़ छट गई थी। पग फेरे की रस्म भी अफरा तफरी में करा दी गई। विमल नहीं गए थे रिश्ते के देवर विदा कर लाए थे। माता-पिता जी से वह क्या कहती सब ठीक है यह कहकर उसने उनको आश्वस्त कर दिया था।
राधा के पैरों तले जमीन खिसक चुकी थी जब उसे पता चला कि उसका पति मंदबुद्धि है चुप्पी के पीछे उसकी गंभीरता नहीं बल्कि जन्मजात कमजोरी है।
ससुराल वाले वारिस की बाट जोहने लगे थे। राधा का मन नहीं मानता कि वह मूर्खों की कतार खड़ी करे कुछ भी हो अनुवांशिकता का असर तो पड़ता ही है। इसी ऊहापोह में वह परेशान रहने लगी थी।
सामने सामने दैनिक समाचार पत्र पड़ा देख वह उसके पन्ने पलटने लगी उसकी निगाह एक विज्ञापन पर ठहर गई एक नए अस्पताल का उद्घाटन हुआ था उसके दिमाग में एक विचार कौंधा। सासू माँ बहुत दिनों से कह रही थीं डॉक्टर को दिखा लो काहे बच्चा नहीं हो रहा। बस वह डॉक्टर को दिखाने के बहाने से अस्पताल जा पहुँची।
‘डॉ साहिब मुझे विट्रो फर्टिलाइजेशन कराना है। सुना है आपके यहां यह सुविधा उपलब्ध है ,’राधा ने डॉक्टर को सारी बात बताई। डॉक्टर ने स्पर्म बैंक की सलाह दी कुछ आवश्यक प्रक्रियाओं से गुजर कर कुछ दिनों बाद राधा को गर्भवती होने की सूचना की पुष्टि हो गई थी। आज राधा आश्वस्त थी । उसने सासू माँ के पैर छुए उनका ‘दूधो नहाओ पूतो फलो’ का आशीर्वाद आज उसे खल नहीं रहा था।
सीमा वर्णिका, कानपुर