शाम ढल रही थी धीमे धीमे।सूर्यास्त की लालिमा बहुत मनोयोग से आसमान को अपने आगोश में लेने को तत्पर हो चली थी।सांध्यकालीन आकाश में बादलों की मनोहारी छटा किसी अनोखे अबूझ चित्रकार की सधी हुई तूलिका से अनुपम रंग संयोजन उकेरने में दत्त चित्त थी।कैसा चित्रकार है
यह जो रोज उसी काम को पूरी तत्परता और बेहतरी से करता है।उसके दिल का उत्साह और उमंग रोज आकाश के सौंदर्य को द्विगुणित करता है।सुरभि अपने घर की बालकनी में खड़ी तिरोहित होती सांझ की सुंदरता निहार रही थी।
सुरभि चाय वहीं ले आऊं बेटा। इंटरव्यू के लिए नहीं जाना है क्या।देर हो रही है तैयार भी तो होना है तुझे मां की वत्सल आवाज से उसकी तंद्रा भंग हो गई।
नहीं जाना मुझे किसी इंटरव्यू में मां।रोज रोज वही।मै इस अबूझ चित्रकार की तरह प्रसन्नता से रोज वही काम नहीं कर सकती इतने रंग मेरी तूलिका में नहीं हैं।कितने इंटरव्यू दूं हर बार वही नकार वही तिरस्कार ….अचानक शाम की सुंदरता में सुरभि को रात्रि की कालिमा दृष्टिगोचर होने लगी।
नहीं बेटा ऐसा नहीं कहते जो मौका मिल रहा है प्रयास करते जाओ मां ने चाय की प्याली सुरभि के हाथों में थमाते हुए तसल्ली दी।देखना इस बार सफलता जरूर मिलेगी ।कंपनी भी अच्छी है।जितनी योग्यताएं मांगी हैं उससे ज्यादा ही तेरे पास हैं मै तेरे लिए दुआ करूंगी बेटी को तसल्ली और हिम्मत दे रही थी मां।
दुआ से कुछ नहीं होता मां खीझ उठी सुरभि लेकिन
मां का कहना टालना उसने सीखा ही नहीं था।बहुत बेमन से तैयार होकर वह फिर से इंटरव्यू के लिए चल पड़ी।
दर्जनों इंटरव्यू देने के बाद भी वह अभी तक एक अदद सफलता प्राप्त करने में असफल ही रही थी।अपने पैरों पर खड़े होकर मां के सपने को पूरा करना उसे असंभव प्रतीत होने लगा था।
मां बेहद अधीरता से सुरभि का इंतजार कर रहीं थीं और हर बार की तरह इस बार भी उसके लिए मन ही मन दुआ भी कर रहीं थीं हे प्रभु मेरी काबिल बेटी की सहायता करना इस बार निराश ना लौटे। मैं उसे दुखी नहीं देख पाती।वैसे ही इतना बड़ा दुख हमारी जिंदगी में ग्रहण लगा चुका है
जिस दिन सुरभि के पिता अचानक हार्ट अटैक से मौत के मुंह में चले गए थे।उस दुख को सीने में दफ्न कर मैंने रोती हुई सुरभि को सीने से लगा लिया था और संकल्प लिया था अपनी बेटी को खुश रखूंगी।तब से लेकर आज तक अनगिनत अभावों के बीच भी दूसरों के घरो में खाना बना कर मैंने अपनी बच्ची की पढ़ाई बाधित नहीं होने दी
उसके लिए पिता भी बन गई।आज वह पढ़ लिख कर इतनी योग्य हो गई है कि अपने पैरों पर खड़ी हो जाए बस तभी मेरी तपस्या पूरी होगी।क्या हमारी जिंदगी में सुख के दिन नहीं आएंगे।
घर आते ही सुरभि चुपचाप बैठ गई कुछ बोली ही नहीं ।मां आकुल हो उठीं।सुरभि क्या हुआ बेटा।इंटरव्यू खराब गया।चिंता मत कर अगली बार तुझे सफलता जरूर मिलेगी मां उसे निराश देख चिंतित हो गई।
बिल्कुल नहीं मिलेगी मां कभी नहीं मिलेगी।जानती हो क्यों??मां की तरफ आक्रोश से देखती सुरभि खड़ी हो गई।क्योंकि मेरे पास उनकी जेब भरने के लिए रकम नहीं है।
लेकिन बेटा ये रकम की बात कहां से आ गई। वहां तो योग्यता की परख हो रही है तेरा रिजल्ट तेरे मार्क्स तेरी प्रतिभा की बात होगी ।क्या इंटरव्यू के प्रश्न नहीं बने तुझसे मां अपनी बेटी की मनोदशा से व्याकुल हो उठीं।
एक भी प्रश्न ऐसा नहीं था मां इंटरव्यू का जो तेरी बेटी से ना बना हो प्रश्न पूछ कर वे थक गए पर मैं डटी रही कठिन से कठिन प्रश्नों को मैंने लाजवाब कर दिया जो भी डॉक्यूमेंट्स उन्होंने मांगे सारे प्रस्तुत कर दिए ।फिर भी मुझसे कम योग्य उम्मीदवार को सलेक्ट कर लिया गया और मैं सर्वाधिक योग्य होतेहुए भी बाहर कर दी गई सुरभि की कुंठा क्रोध में बदल गई थी।
लेकिन ये तो सरासर अन्याय है मां आश्चर्य में थी।
नहीं मां यही न्याय है आज कल।उसके पास योग्यता नहीं थी किसी प्रश्न के जवाब नहीं थे लेकिन सबसे खास चीज नोटों के बंडल तो थे सुरभि बहुत गुस्से में थी।
देखना मां उन सबके साथ बहुत बुरा होगा।वे मुझसे खुले आम रुपए मांग रहे थे।
आप तो बहुत योग्य हैं सारे डॉक्यूमेंट्स भी परफेक्ट हैं।बस एक कमी पूरी कर दीजिए फिर आप सलेक्ट ….. टीम प्रमुख ने मुझसे कहा।
जी सर पूछिए जो भी पूछना हो मैंने बहुत सहजता से कहा।
पूछना तो हो चुका अब आप बाहर जाकर अकाउंटेंट से मिल लीजिए और जो वह मांगे वह प्रस्तुत कर दीजिए बस … उन्होंने कहा तो मैं समझ नहीं पाई कि सब कुछ अच्छा होने के बाद भी क्या कमी रह गई ।मैने सोचा कोई फॉर्म या साइन होगा।जब बाहर गई तो अकाउंटेंट ने रुपयों की डिमांड कर दी।
मैडम आप सबसे योग्य हो आप का ही चयन हुआ है बस ये फीस भर दीजिए धीरे से कह वह मेरी ओर देखने लगा।
मैं अवाक हो गई।जब तक मैं कुछ कह पाती पीछे से एक लड़की अपने पिता के साथ आई और पूरी फीस भर दी।थोड़ी ही देर में उसे नियुक्ति पत्र मिल गया।
मेरे विरोध जताने पर वह हंसने लगी।तुम मूर्ख और अव्यवहारिक हो असली योग्यता तुम्हारे पास नहीं मेरे पास है समझी।जाओ जब इतनी योग्यता इकट्ठी कर लेना तभी कोई इंटरव्यू देने जाना इसे मेरी कीमती सलाह समझ लो कहती वह चली गई।
सुरभि आज का वाकया बता फफक पड़ी।
बेटी की बातें सुनकर मां हक्का बक्का रह गई।
कीड़े पड़ेंगे इन सबको मां बर्बाद हो जाएंगे देखना।सब मुझे देख कर हंस रहे थे।देखना एक दिन भगवान इनकी हंसी उड़वाएंगे ।दुनिया हंसेगी इनके ऊपर।इनके घर वाले इन पर थू थू करेंगे जेल जाएंगे सब…. मेरी बद्दुआ लगेगी सबको जिन्होंने मेरा मजाक उड़ाया मेरे पेट पर लात मारी सुरभि अनवरत बोले जा रही थी।
मां अपनी बेटी को कमजोर पड़ते नहीं देख सकी।
बस कर बेटी।यूं बद्दुआ नहीं देते किसी को।सबके कर्मों का हिसाब होगा।तू क्यों अपना मन और जुबान खराब करती है।जाने दे ये नौकरी तेरे लायक थी ही नहीं।अपनी ऊर्जा दूसरी ओर लगा। देखना इससे कहीं बेहतर ऑफर तुझे मिलेगा।लेकिन एक बात हमेशा याद रखना तू भी आगे चलकर कितने ही बड़े पद पर बैठ जाना पर कभी ऐसे काम मत करना कि किसी के दिल से तेरे लिए बद्दुआ निकले।किसी की आह नहीं लेनी चाहिए।
जिंदगी में जब तुझे ऐसे अवसर मिलें तो किसी योग्य के साथ अन्याय मत करना ।ये दिन याद रखना।इस गुस्से को इस आक्रोश को हमेशा जिंदा रखना ताकि भविष्य में तुझसे ऐसी गलती ना हो मां कहते कहते भावावेश में आ गई मानो बेटी के साथ हुए अन्याय का बदला ले रही हो।
मां की तरफ देखती सुरभि अचानक निराशा के भंवर से निकल भविष्य का उजाला देखने लगी थी।
घोर अवसाद के गहरे घाव के लिए अच्छे कर्म करने का दृढ़ संकल्प ही इलाज बन जाता है ।एक अनजानी हिम्मत से भर देता है।
हां मां आप सही कहती हैं जब मेरे पास अधिकार होगा पद होगा ऐसा मौका होगा और यदि उस वक्त मैं शिथिल पडूंगी निर्णय लेने में डगमगाने लगूंगी तो आज का यह पल यह अनुभव याद कर लूंगी और न्याय पर दृढ़ रहूंगी सुरभि ने संकल्प ले लिया।
उसी रात सोने से पहले प्रतिदिन की तरह जब सुरभि मेल चेक कर रही थी उसने एक जॉबऑफर देखा।जिसकाऑनलाइन इंटरव्यू था दो दिनों के बाद।तुरंत उसने अपनी सहमति दी फॉर्म भर सबमिट कर दिया।मां को नहीं बताया।
दो दिनों के बाद इंटरव्यू में उसका चयन हो गया।यह जॉब बहुत ज्यादा बेहतर था।सुरभि बहुत खुश थी।मां की बात पर उसे यकीन हो गया था।
मां तुम सही कहती हो।किसी को बद्दुआ देने से क्या फायदा मुझे ज्यादा अच्छा जॉब मिल गया सुनो तो कहां हो आप उसने जोर से मां को आवाज दी तो मां न्यूजपेपर लाती दिखीं।
देख सुरभि उस दिन जहां तेरा इंटरव्यू था उसका कच्चा चिट्ठा खुल गया वे सब पुलिस हिरासत में है और पता है वह कंपनी भी फ्रॉड थी मां बहुत उत्तेजित थी।
बहुत जल्दी उनके कारनामे पुलिस तक पहुंच गए मां और शुक्र है पुलिस ने रुपए नहीं मांगे ।बुरे कर्मों की सजा इतनी जल्दी मिल गई।अब तुम ये मत कहना मेरी बद्दुआ उन्हें लग गई ।देखो मुझे शानदार दूसरा जॉब मिल गया सुरभि ने जॉब की खुशखबरी मां को देते हुए हंसकर कहा तो मां गदगद हो गई हमारे भी सुख के दिन आ गए।
अच्छा तो और क्या कहूं सही बात तो है कि तेरी बद्दुआ के ही कारण ये सब हुआ मेरी बेटी की आह लगी उन्हें मां भर्राए कंठ से बोल उठी।
नहीं मां ऐसा नहीं कहते।ये सब मेरी मां की दुआओं के कारण हुआ है।तू जो रोज मेरे लिए दुआ करती रहती है मेरी बेटी के साथ न्याय करना उसका दिल ना दुखे उसे अच्छा ऑफर मिले …..कहती सुरभि मां के गले लग गई।
ठीक कहती है बेटी दुआओं में ज्यादा ताकत होती है।इसलिए अब तू भी दुआएं ही कमाना बद्दुआ देने में अपनी ऊर्जा मत खत्म करना मां ने भी उसे जोर से गले लगाते हुए कहा।
लतिका श्रीवास्तव
बद्दुआ#साप्ताहिक शब्द प्रतियोगिता