“दोस्त या दुश्मन!” –  सुनीता मौर्या “सुप्रिया” : Moral Stories in Hindi

“राज की बात कह दूँ तो जाने महफिल में फिर क्या हों?”

धर्मा फिल्म की कव्वाली की ये लाईन गाते हुए शिखर हॉस्टल के रुम में दाखिल हुआ। 

उसका रुममेट सचिन किसी ध्यान में मग्न था…ये गाना सुनकर एकदम  घबरा सा गया…जैसे शिखर उसके ही किसी गहरे राज की बात खोलने के बारे मे कह रहा हो।

 सचिन की घबराहट शिखर से छुपी ना रही शिखर उसके पास जाकर बोला,” अरे यार शिखर तू क्यों घबरा गया… कहीं कोई  छुपा हुआ राज तो नही है तेरा .।”

“नहीं नही ऐसी कोई बात नहीं है!” कहते हुए सचिन  अपनी घबराहट को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगा।

“तो यार तू इतना घबरा क्यों गया? सचिन मैं तो बस गाना गा रहा था, तेरे पेशानी पर ये पसीने की बूंदे तेरा हाले-ए-दिल बयां कर रही हैं… कहीं कोई तो राज छुपा रहा मुझसे।” सचिन को छेड़ते हुए शिखर बोला। 

“सचिन अगर तुम्हारे दिल मे कोई परेशानी .या उल्झन है तो तुम मुझसे अपनी तकलीफ बांट सकते हो! यकीन करो मै किसी से नही कहूंगा!” शिखर ने उसके कंधे पर बडे ही अपनेपन से हाथ रखते हुए कहा।

सचिन कहना तो नही चाहता था पर वो इस राज को अपने अंदर रख भी नही पा रहा था। उसे लगा शिखर मेरा रूममेट के साथ दोस्त भी है! मैं और शिखर  कक्षा नौ से आज ग्रेजुएशन के थर्ड इयर तक साथ रहे हैं इस लिए मैं इतना विश्वास तो कर ही सकता हूँ, अपने दोस्त पर कि मैं अपने दिल में छुपे राज को अपने दोस्त के साथ शेयर कर संकू!

 उसने शिखर से वचन लिया कि वो ये बात किसी को नही बतायेगा। शिखर ने वचन दिया कि वो किसी से कुछ नही कहेगा!

सचिन ने शिखर को सब कुछ बता दिया अब वो अपने आप को कुछ हल्का महसूस कर रहा था,उसकी घबराहट भी कम हो गई थी।

कुछ दिन बाद कालेज का समेस्टर खत्म हुआ और छुट्टी हो गई। दोनो अपने घर चले गए दोनो एक ही शहर में रहते थे, एक दूसरे के घर आना जाना लगा रहता था। 

एक दिन शिखर सचिन से मिलने उसके घर गया। उसने डोरबेल बजाई! दरवाजे के पीछे से सचिन की माँ मालती जी की आवाज आई,”कौन है?

” आंटी जी मै शिखर… सचिन का दोस्त!” शिखर बोला।

” आओ शिखर बेटा अंदर आ जाओ।” मालती जी ने दरवाजा खोलते हुए कहा! 

“आंटी जी सचिन दिखाई नही दे रहा?” शिखर ने इधर उधर देखने के बाद पूछा?

” बेटा वो अपनी बहन के घर गया है शाम तक आयेगा।” मालती जी

ने बताया।

” तो ठीक है आंटी जी  मैं चलता हूँ… फिर कभी आऊँगा!” शिखर जाने के लिए उठने लगा।

“बैठो बेटा चाय पी कर जाना।”  कहते हुए मालती जी ने अंदर हाऊस कीपर को दो कप चाय बनाने के लिये आवाज दी।

    मालती जी शिखर से कालेज और हॉस्टल की बातें करने लगी,बातों-बातों में मालती जी ने शिखर से पूछा,” शिखर बेटा आजकल  सचिन कुछ गुमसुम और परेशान  सा रहता है । हमने पूछा तो बस इतना कह कर कि कुछ नही मम्मी जी आप यूं ही परेशान हो रही हैं!… कह कर टाल देता है…तुम्हे कुछ पता हो तो बताओ?”

शिखर कुछ पल सोच विचार करता रहा कि बताऊं कि नही फिर उसने बताने का निश्चय किया और कहने लगा,”क्या बताऊं आंटी जी सचिन आजकल एक लड़की के प्यार मे पड़ गया है,और ज्यादा समय उसके साथ गुजारने लगा है, उसका मन भी पढ़ाई में नही लग रहा है! इसलिये उसके दो विषयों मे नम्बर भी कम आये हैं!”

” ओह! अब हम समझे वो गुमसुम क्यों रहता है।” मालती जी ने माथे पर हाथ रख कर कहा! 

फिर पुनः शिखर से सवाल किया,” कहीं सचिन किसी विषय में फेल तो नही हुआ?”

“और हाँ उस लड़की का नाम क्या है और करती क्या है?” चिंतित स्वर में मालती जी ने शिखर से सवाल किया?

” जी नही … अभी तक फेल तो नही हुआ, पर ऐसे ही चलता रहा तो अगले समेस्टर में हो भी सकता है!” शिखर ने बताया!

” जहाँ तक लड़की के नाम की बात वो तो मुझे नही मालूम पर मैंने देखा है उसे, करती क्या है मै ये भी नही जानता! पर उस लड़की को मैंने कई और लड़कों के साथ घूमते फिरते बहुत बार देखा जरूर है, 

लोग भी उस लड़की को ठीक नही बताते हैं! लोग तो ये भी कहते हैं वो कालेज के भोले भाले लड़कों को अपने प्यार के जाल में फंसाकर उनको गलत रास्ते पर ले जाती है! और…..और आगे मैं आप से नही कह सकता आप समझ गई ना…??

 मैंने सचिन को भी बताया पर वो मानने को तैयार ही नहीं!” शिखर ने  मालती जी के सामने सचिन का ये ‘राज खोल’ दिया!

शिखर की बात सुन कर मालती जी बहुन चिंतित हो गईं!

शिखर फिर बोला,” आंटी जी मुझे माफ करना सचिन ने मुझे ये राज अपने तक रखने को कहा था!, परन्तु कभी तो ये “राज खोलना” ही .था! क्योंकि मै सचिन का दोस्त हूँ , मैं भी चिंतित था ! उसके कैरियर को ऐसे खराब होते नही देख सकता, मैं उसका भविष्य उज्जवल देखना चाहता हूं, इसलिए आपको बताना उचित समझा!” 

इतना कहते हुये उसने मालती जी के सामने हाथ जोड़ दियें फिर कहा,”आंटी जी आप सचिन को प्यार से समझाईयेगा वो जरूर समझ जायेगा, अच्छा तो अब मैं चलता हूँ!” इतना कहकर शिखर मालती जी को नमस्ते करके चला गया!

    शिखर के जाने के बाद मालती जी वहीं सोफे पर बैठ गई और ‘सोचने लगी कि सचिन के पापा मयंक जी को ये सब बातें बतायें या नही! कहीं वो गुस्सा तो नही होंगे! अगर नही बताती हूँ तो सचिन और बिगड़ता चला जायेगा! 

उसका भविष्य बिगड़ जायेगा फिर तो उसकी आने वाली जिंदगी बेकार हो जायेगी और मैं अपने आप को कभी माफ नही कर पाऊँगी!’

    ‘मंयक जी बहुत सुलझे हुए व्यक्ति हैं और समझादार भी वह स्वयं आदमी हैं वो भी इस उम्र से गुजर चुके हैं वो मुझ से ज्यादा अपने जवान होते बेटे को समझेंगे! जैसे मैं माँ हो कर जवान होती बेटी को समझ सकी थी!’

यही ठीक रहेगा मयंक जी को आने दीजिये उनसे सारी बात बता कर कहूंगी  सचिन को जरा प्यार से समझायें वो जरूर समझ जायेगा!’ इतना सोचने के बाद  मालती जी को कुछ राहत मिली!

   शाम को मयंक जी के ऑफिस से आने के बाद मालती जी दो कप चाय लेकर मयंक जी के पास  सोफे पर बैठ गई… चाय पीते हुए मालती जी ने सचिन के  शिखर द्वारा ‘खोले सारे राज’ मयंक जी को विस्तार से बताया! और कहा, देखिये मयंक जी आप गुस्सा मत होना उसे प्यार से समझाना वो जरूर समझ जायेगा!” 

मयंक जी ने मुस्कुराते हुए कहा,”भागवान तुम चिंता मत करो मैं भी इस उम्र से गुजरा हूँ …मुझे पता है कि कैसे उस ‘उल्लू के पट्ठे’ को भटके हुए रास्ते से सही रास्ते पर वापस लाना है! इतना सुनकर मालती जी भी मुस्कुराये बिना न रह सकी!!

   एक सच्चे और शुभचिंतक दोस्त को अपने दोस्त सचिन को मुसीबत से बचाने के लिए तो ये “राज खोलना” ही था!!

        ( स्वरचित)

     सुनीता मौर्या “सुप्रिया”

     

       लघु कथा प्रतियोगित

  #राज खोलना मुहावरे पर आधारित

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