दिन मे तारे गिनना – कांता नागी : Moral Stories in Hindi

सीमा माता-पिता की इकलौती संतान थी।घर मे ऐशो आराम के सब साधन होते हुए भी ना जाने कैसे उसमें चोरी करने की लत लग गई थीं। जैसे-जैसे बड़ी होती गई इसकी आदत बढ़ती ही गई।

स्कूल मे भी किसी के पास कोई अच्छी चीज दिखाई देते ही इतनी सफाई से चोरी करती कि किसी को पता ही नहीं चलता था। यहां तक कि घर मे कोई मेहमान आता तो उसका सामान भी चुरा लेती थी और बाते कामवाली बाई कमला को सुननी पड़ती।

इसी बीच सीमा का रिश्ता मनोज से तय हो गया। मनोज विदेशी कंपनी मे ऊंची पोस्ट पर काम करता था 

माता-पिता ऩे ससुराल वालों को उसकी चोरी करने की आदत के बारे मे नही बताया।

सीमा ससुराल तो आ गई पर उसकी लत नही छूटी।

एक दिन उसकी ननद सोनी लंदन से आई थी

सीमा की ननद सोनी लंदन मे पढ़ रही थीं उसे एक सप्ताह के लिए छुट्टी मिली थी।

जब सीमा ने सोनी के पास विदेशी प्रसाधन देखें तो उसने कुछ सामान चोरी कर लिया था।सोनी को जब अपनी क्रीम नही मिली तो घर मे हंगामा मचा दिया कामवाली बाई की तलाशी ली गई पर क्रीम नही मिली।

इत्तफाक से उसी दिन सीमा के पापा हरीश उससे मिलने आए थे। वे भी मनोज की बहन सोनी से मिलकर खुश हो गये।

जब उन्हें पता चला कि उसकी क्रीम चोरी हो गई है तो इनका सारा शक सीमा पर गया और उन्होंने मनोज से कहा वह अपनी पत्नी को होस्टल मे भेज दे और कहे अब उसे वहीं रहना पड़ेगा।घर से कोई सामान नहीं जाएगा।

मनोज ने ऐसा ही किया 

अब सीमा को दिन मे तारे गिनने पड़े और उसे अपने किए पर पश्चात्ताप होने लगा।

धीरे-धीरे उसकी चोरी करने की लत छूट गई।

 

स्वरचित 

कांता नागी

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