डिंपल – गीता वाधवानी

 बार में नाचती डिंपल को जैसे ही वहां बैठे एक शराबी ने छुआ और अपनी तरफ खींचा, सूरज सिंह बौखला गया और उसे आदमी को घूंसा मार कर कुर्सी से गिरा दिया। उसकी कनपटी पर रिवाल्वर तानकर बोला, फौरन चला जा यहां से वरना ठोक दूंगा। वह आदमी गिरता पड़ता अपनी जान बचाकर भागा। 

 सूरज सिंह डिंपल को वहां देखकर पहले ही परेशान था। वह उसका हाथ पकड़ कर खींचता हुआ घर ले आया और डिंपल को एक तमाचा मारते हुए बोला, ” तू वहां क्या कर रही थी, मेरी नाक कटवा कर रख दी। मैं तुम्हें वहां देख कर शर्म से पानी पानी हो गया, आखिर कौन सी कमी है तुम्हें, क्या मैंने तुम्हें इसीलिए पढ़ाया लिखाया कि तुम बार में नाचो और मेरी इज्जत को मिट्टी में मिलाओ। ” 

 डिंपल -” कौन सी इज्जत पापा, आप तो इस शहर के नामी गुंडो के मालिक  हो। गोली चलाते समय आपके हाथ जरा भी नहीं कांपते। अपने ही तो मरवाया था ना पिछले हफ्ते सलोनी को। सूरज सिंह हड़बड़ा गया। उसे पता नहीं था कि उसकी बेटी को इस हत्या के बारे में सब कुछ  पता है। 

 सूरज सिंह-” हां मरवाया था, तो क्या? ” 

 डिंपल-” क्यों मरवाया था,बताएंगे? ” 

 सूरज सिंह-” तुम्हें इससे क्या लेना देना अपने काम से काम रखो वरना——। ”  

   डिंपल-” वरना मुझे भी मार देंगे” डिंपल को अच्छी तरह पता था कि सूरज सिंह उससे बहुत प्यार करता है और वह अपने पापा की कमजोरी है। चलिए,मैं ही बता देती हूं पूरी बात। सलोनी जो कि मेरी ही उम्र की थी, आपने एक गुंडे की तरह, उस बार में अपनी तरफ खींचा, जहां वह नाचती थी। तब उसने आपको थप्पड़ मारते हुए कहा कि मैं सिर्फ नाचती हूं खुद को बचती नहीं हूं लेकिन आपको यह अपना अपमान लगा और अपने रिवाल्वर निकालकर उसे डराया,पर वह डरी नहीं। तब आपको बार के मैनेजर ने भी समझाया कि वह एक शरीफ लड़की है उसके पापा गुजर चुके हैं और वह अपने दो छोटे भाई बहन की पढ़ाई लिखाई का और घर का खर्चा निकालने के लिए बार में डांस करती है। उसकी मम्मी बीमार  है। वह दिन में खुद कॉलेज जाती है और शाम को बार में डांस करके रात को घर चली जाती है। उसे समय तो आप चुप हो गए लेकिन रात को घर जाते समय आपने उसे पर गोली चलवाकर उसे मरवा दिया। क्यों बोलिए,यह सच है ना? ” 

 सूरज सिंह-” धीरे से बोला हां सच है, लेकिन तुझे कैसे पता लगा? ” 

 डिंपल-” पापा, मेरे कॉलेज से पहले एक सरकारी कॉलेज पड़ता है, उसी में पढ़ती थी सलोनी, मैंने कई बार उसे लिफ्ट भी दी थी और वह बहुत अच्छी लड़की थी मेरी सहेली बन गई थी, मुझे अपने घर भी लेकर गई थी। जब सलोनी मुझे तीन-चार दिन तक नजर नहीं आई तो मैं उसके घर चली गई। उसकी मां ने मुझे पूरी बात बताई। उसकी मां को बार में काम करने वाले एक आदमी ने सब कुछ बताया था। पापा, सच तो यह है कि लोग आपसे डरते हैं और डर के मारे आपकी इज्जत करते हैं, वैसे समाज में आपकी कोई इज्जत है नहीं। आपने एक मां से उसका सहारा छीन लिया। जैसे वह एक बेटी थी वैसे ही मैं भी तो एक बेटी हूं। आपको अपनी बेटी की इज्जत प्यारी है और दूसरों की बेटियों की नहीं। अब अपने पाप किया है तो आपकी संतान को ही इसका परिणाम भुगतना होगा। ” 

 सूरज सिंह-” यह तुम क्या कह रही हो? ” 

 डिंपल -” यही कि मैं अब सलोनी के घर जाकर उनकी बेटी बनकर रहूंगी और उसकी जगह बार में डांस करूंगी और उनके घर का खर्चा निकलूंगी। ” 

 सूरज सिंह परेशान होकर बोला -” नहीं तुम ऐसा कुछ नहीं करोगी। ” 

 डिंपल-” ठीक है मैं आपकी बात मानूंगी लेकिन आपको भी मेरी बात माननी होगी। आपको हर महीने उनके घर का पूरा खर्चा मेरे हाथ में कैश देना होगा क्योंकि वे लोग अपनी बेटी के हत्यारे के हाथों से कुछ भी नहीं लेंगे। मैं कुछ ना कुछ बात बनाकर उन्हें पैसे देने की कोशिश करूंगी। उन्हें अभी तक यह नहीं पता है कि मैं आपकी बेटी हूं वरना शायद वह मुझसे भी कुछ नहीं लेंगें। पैसे से कमजोर होने के कारण ही उन्होंने आपके खिलाफ कोई रिपोर्ट नहीं की है और उन्हें अपने बाकी दोनों बच्चों की चिंता है। ” 

 सूरज सिंह-” ठीक है डिंपल, जितना तुम बोलोगी मैं हर महीने उतना खर्च दे दूंगा, लेकिन तुम उनके घर जाकर नहीं रहोगी और बार में डांस भी नहीं करोगी।”  

  डिंपल -” ठीक है पापा, और आप आप क्या बार में जाएंगे? ” 

 सूरज सिंह -” नहीं मैं भी नहीं जाऊंगा। ” 

 डिंपल खुश थी कि उसके पापा ने उसकी बात मान ली लेकिन वह अपनी सहेली सलोनी को खोकर बहुत दुखी थी। 

 अप्रकाशित स्वरचित गीता वाधवानी दिल्ली 

#मैं भी तो एक बेटी हूं

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