आज घर को फूलों से और रंग बिरंगी लाइटों से सजाया गया था. चारों तरफ रौनक फेली हुई थी. शिवांगी अपने कमरे में दुल्हन के लिबास में बैठी हुई थी अपने पति का इंतज़ार कर रही थी. आज उसकी सुहागरात जो थी. जैसे ही दरवाजे पर दस्तक हुई शिवांगी शर्म से लाल हुई जा रही थी, तभी आते ही उसके पति नीरज ने उससे कहा था
कि वह शिवांगी को अपनी पत्नी का दरजा नहीं दे सकता. ये सुनकर टूट गई थी शिवांगी, नीरज तो सोफे पर जाकर सो गया और शिवांगी ने सारी रात आंखों ही आंखों में निकाल दी थी. अगले दिन सारी रस्में पूरी होने के बाद वह पग फेरे के लिए मायके गई थी. मम्मी- पापा, भाई भाभी सब पूछ रहे थे ससुराल के बारे में, परंतू उसकी भाभी उसके चेहरे को पढ़ रही थी.
कुछ देर तक बातें करने के बाद सब लोग अपने-अपने कमरे में चले गए. शिवांगी भी अपने कमरे में आ गई और तकिए में मुंह छिपाकर रोने लगी, तभी दरवाजे पर आहट हुई. शिवांगी ने फटाफट आंसू पोछे और दरवाजा खोलकर देखा तो सामने भाभी हाथ में कॉफी के मग लिये खड़ी थी. शिवांगी मुस्कुराई और दोनों बैठ कर बात करने लगी तभी भाभी ने
अपना हाथ उसके हाथ पर रखा और पूछा शिवांगी सब ठीक तो है ना, शिवांगी ने इतना सुना की भाभी के गले लग कर जोर जोर से रोने लगी. जब थोड़ी शांत हुई तब उसने सारी बात भाभी को बताई भाभी भी परेशान हो गई. उसने शिवांगी को बोला कि सब ठीक हो जाएगा और उसका सर अपनी गोदी में रखा कुछ देर में शिवांगी सो गई. भाभी कम्बल उड़ाकर वहां से चली गई
और मन ही मन निश्चय किया की वह अपनी ननद की जिंदगी बर्बाद नहीं होने देगी. उसकी भाभी रेखा ने उसकी सास मां को फोन किया और उन्हें अपने भरोसे मे लेकर सारी बात बताई और कहां कि नीरज से कुछ मत कहना. आखिर शिवांगी की भाभी की माँ की सहेली ही तो थी शिवांगी की सासू माँ. दो दिन बाद नीरज शिवांगी को लेने आया जब शिवांगी जा रही थी
तब उसकी भाभी ने उससे कान में कुछ कहा और हौले सेउसका कंधा दबा दिया. शिवांगी आंखों में आंसू लिए ससुराल चली गई. वहां पर शिवांगी अपनी भाभी के कहने पर नीरज का सारा काम करती बस उसे कुछ कहती नहीं, शिवांगी अपनी सासू मां की सेवा करती, हस्ती, बोलती बस नीरज के सामने चुप हो जाती. नीरज जब भी अपनी माँ के पास बैठा होता तो माँ उससे कहती
मैं कितनी किस्मत वाली हूँ कि मुझे शिवांगी के रूप में बहू मिली है. सभी रिश्तेदार शिवांगी की तारीफ करते तो जाने क्यों नीरज को अच्छा लगता था. शादी को 6 महीने हो गए थे. आज करवा चौथ का व्रत था. शिवांगी ने 16 श्रंगार किया हुआ था, बहुत खूबसूरत लग रही थी शिवांगी. नीरज ने जैसे ही शिवांगी को देखा तो देखता ही रह गया
खुले लम्बे कमर तक लहराते बाल, हाथों में मेहँदी, रंग-बिरंगी चूड़ियाँ, माथे पे गोल बिंदी, बडी- बडी आँखों में काजल एक-एक चीज को नीरज निहार रहा था. पहली बार नीरज को बुरा लगा कि शिवांगी ने एक बार भी उसकी तरफ़ नहीं देखा. शिवांगी ने पूजा कर ली और अपने कमरे मैं आ गयी.काफी देर हो चुकी थी शिवांगी कहीं दिख नहीं रही थी.
आज नीरज की आंखें शिवांगी को खोज रही थी. वह कमरे में आया तभी शिवांगी लाल रंग के सूट में कमरे से बाहर निकली. शिवांगी रसोई में गई तो नीरज भी कुछ देर बाद पानी पीने के बहाने रसोई में आया. शिवांगी और उसकी सासू माँ नीरज के बदले हुए व्यवहार को देख रही थी. पर वह नीरज को इग्नोर किए जा रही थी.
शिवांगी किचन से जा ही रही थी तभी नीरज ने हिचकते हुए कहा कि शिवांगी आप अपना व्रत खोल लीजिए. शिवांगी ने उसकी तरफ देखे बिना ही कहा की उसने फोटो देखकर अपना व्रत खोल लिया है. इतना कह कर शिवांगी वहां से चली गई. नीरज की आंखों में आंसू आ गए (जो कि चुपके से शिवांगी ने भी देख लिया)वह अपने कमरे में चला गया
. शिवांगी को बहुत अच्छा लगता जब नीरज उसके पीछे पीछे आता या उससे बात करने की कोशिश करता. लेकिन भाभी के कहने पर मन मारकर वह नीरज को इग्नोर कर देती। कुछ दिन बाद दीपावली आई और फिर भाई दूज, नीरज के बदलते हुए व्यवहार को देखकर सासू माँ ने शिवांगी की भाभी से बात करके उसके भैया को बुला लिया. और शिवांगी को उसके मायके भेज दिया. नीरज ऑफिस से आया ,
शिवांगी को ना देख कर बेचैन हो गया. नीरज सोचने लगा कि कब उसकी आदत बन गई शिवांगी उसे पता ही नहीं चला. बेसब्री से शिवांगी का इंतज़ार करने लगा एक सप्ताह हो गया था. शिवांगी वापस नहीं आई, नीरज ने पहली बार अपनी माँ से पूछा था कि शिवांगी कब आएगी? उसकी माँ मन ही मन बहुत खुश हुई. माँ ने कहा अभी कुछ दिन और वो अपने मम्मी पापा के साथ रहेगी.
नीरज चुपचप चला गया उसे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था और अपने कमरे में तो जाने का भी दिल नहीं करता. 2 दिन बाद नीरज 1 मीटिंग में गया हुआ था कि उसने देखा कि शिवांगी किसी लड़के के साथ कॉफ़ी पी रही है. खूब हंस रही है नीरज को बहुत गुस्सा आ रहा था. शिवांगी ने भी नीरज को देख लिया था. नीरज मीटिंग कैंसिल करके शिवांगी के घर चला गया और कहा कि माँ ने कहा है
शिवांगी को भी आज लेते आऊँ. कुछ देर में ही शिवांगी भी उसी लड़के के साथ घर आ गई. दोनो को साथ देखकर नीरज का गुस्सा और बढ़ गया था. रेखा भाभी और शिवांगी नीरज के गुस्से को देखकर आपस में मुस्कुराएं. शिवांगी उस लड़के का हाथ पकड़ कर नीरज को इग्नोर करते हुए अंदर चली गई जिसने नीरज के गुस्से में आग में घी जैसा काम किया.
नीरज भी शिवांगी के पीछे -पीछे गया,गुस्से में उस लड़के का हाथ झटका और बोला ये मेरी पत्नी है , हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी इसको हाथ लगाने की. उस लड़के ने शिवांगी की तरफ देखा और चला गया. शिवांगी नीरज को प्रश्नवाचक दृष्टि से देखने लगी, तभी नीरज ने शिवांगी का हाथ पकड़ा और कहने लगा कि शिवांगी में तुम्हे लेने आया हूँ
शिवांगी ने कहा किस हक से? नीरज की आँखों में आँसू आ गए वो शिवांगी से कहने लगा कि शिवांगी मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ,पता ही नहीं चला कब से, आदत हो गई है मुझे तुम्हारी, तुम्हारे जाने के बाद कमरा भी मुझे काटता है,
माफ़ कर दो मुझे इतना कह कर नीरज रोने लगा, उसे रोता देख शिवांगी भी रोने लगी. दोनों एक दूसरे के गले लग गए कि तभी पीछे से रेखा भाभी, वह लड़का जो कि शिवांगी का ही कजन था, और नीरज की मां हंसते हुए प्रवेश करते हैं तीनो एक साथ गाते हैं
आज दिल पे कोई जोर चलता नहीं
मुस्कुराने लगे थे, मगर रो पड़े
रोज ही की तरह आज भी दर्द को
हम छुपने लगे थे, मगर रो पड़े
शिवांगी भी आंसू भरी आंखों के साथ – साथ हंसने लगी.
जैसे ही नीरज ने सबको हंसते हुए देखा, उसे सारा माजरा समझ आ गया था. नीरज ने अपना रिश्ता बचाने के लिये उन्हें धन्यवाद कहा. शिवांगी भी भाग कर अपनी भाभी के गले लग गई.
तान्या यादव
AJ KAL AISE BHABHI BHI MILTI HAI KYA HUMNE TO NAHIN DEKHI HAI KAHIN
Absolutely