आज सुबह से ही हरी मिर्च खाकर मिट्ठू गा गाकर मगन हो रहा था. जब से मिट्ठू को पता चला था कि शीला मां कोलकाता से आ रही हैं मिट्ठू की तो खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था. 5 दिन से गई हुई शीला जी के आने की खुशी में मिट्ठू गा गा कर सौम्या को सुन रहा था – “मम्मी के बेटे हैं हम ,छोटे-छोटे प्यारे-प्यारे, मम्मी के बेटे हैं हम ,चुलबुल – चुलबुल। मम्मी के प्यारी प्यारी बेटी है हम।
सुन सुन कर सौम्या भी निहाल हो गई थी खुश हो रही थी। मां भाई के पास कोलकाता गई हुई थी. भाई विरुपाक्ष इंटर का छात्र था और हॉस्टल में रहकर ही अपनी शिक्षा दीक्षा कर रहा था।
विरुपाक्ष को शीला अम्मा वीरू बुलाती थी लेकिन हॉस्टल से खबर आई के वीरू के पेट में बहुत दर्द है और दर्द की तड़प के कारण वह प्री बोर्ड एग्जाम की तैयारी भी अच्छे से नहीं कर पा रहा है। मां ने उसे दिवाली पर आने के लिए मना किया है इसलिए वह उसके पूर्वाग्रहों को भी नहीं टाल सकती थी। अब स्थिति यह है कि ना तो वीरू पढ़ाई कर रहा है ना घर जा रहा है इसी के कारण शीला अम्मा को कोलकाता आना पड़ा।
शीला अम्मा के कोलकाता हॉस्टल में घुसते ही वीरु अम्मा से चिपक के खड़ा हो गया। अम्मा को उसका पीला और उतरा हुआ चेहरा देखकर 1 मिनट नहीं लगा ये समझने में की वीरू की तबीयत सच में ठीक नहीं है। पहले जब वीरू घर पर होता था तो खूब नए-नए पकवान बनाकर मां उसे खिलाती थी
और एग्जाम के टाइम में रात भर चक्कर लगाकर कभी बॉर्नविटा कभी हॉर्लिक्स और कभी कोल्ड कॉफी देती थी आखिर वह भी तो भारत की मां थी ना जो अपने संतान के लिए कुछ भी कर गुजरने को लालायित रहती हैं।
लेकिन वीरू का सपना था कि वह अपनी नानी के शहर कोलकाता से ही 12वीं का एग्जाम करे है ताकि बीच-बीच की छुट्टियों में अपनी नानी के पास रहने जा सके।
और एक सबसे बड़ी बात जिसके लिए वीरू कोलकाता में रहकर ही ट्वेल्थ करना चाहता था वह था साइंस सिटी यानी विज्ञान नगरी। कोलकाता की साइंस सिटी से कौन परिचित नहीं है। विज्ञान नगरी का उद्घाटन १ जुलाई १९९3 को किया गया। साइंस सिटी को कोलकाता के निवासियों, राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय दर्शकों के लिए एक मुख्य आकर्षण के रुप मे विकसित किया गया।
राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद द्वारा विकसित यह सिटी दूनिया का सबसे बड़ा और बेहतरीन स्थलों में से एक है। साइंस सिटी विज्ञान और प्रोद्योगिकी को स्फूर्तिप्रद और रोचक वातावरण प्रदान करती है जो कि हर उम्र के लोगों के लिए सही मायने में शैक्षिक और आनंददायक है। पिछले कुछ वर्षों में साइंस सिटी जवान और वृद्धों के लिए एक आनंददायक और यादगार अनुभव का स्थल बन गया है।
अपने मामा जी द्वारा एक बार जब से वीरू ने साइंस सिटी को घूम लिया उसके मन में एक सपने में जन्म लिया कि वह यहां के डायरेक्टर के रूप में कार्य करेगा और उसके पहले यहां रहकर साइंस सिटी और वास हाल आदि की अच्छी जानकारी लेगा।
बस उसके इसी एक सपने ने उसे कोलकाता का वासी बना दिया था और आज अम्मा प्रेम से उसके सिर पर हाथ फेर रही थी और उसके उतरे हुए चेहरे को देखकर दुखी होते हुए पूछ रही थी कि क्या हुआ। तुम तो साइंस सिटी के वासी बनना चाहते थे ना चेहरा क्यों उतरा हुआ है।प्री बोर्ड से डर गए हो क्या?
अम्मा वीरू से यह सब पूछ ही रही थी कि साथ ही रहने वाले नमित ने बताया कि आजकल भैया आपके भेजे हुए पैसों से खूब पिज़्ज़ा कोल्ड ड्रिंक खा पी रहे हैं।
यह सुनते ही वीरू की अम्मा के चेहरे की परेशानी सख्ती में बदल गई। अम्मा ने बहुत सख्त लहजे में कहा क्या तुम नहीं जानते कि तुम्हारे पिताजी किस प्रकार पैसे जुटा कर तुम्हें भेजते हैं सिर्फ तुम्हारी इच्छा पूरी हो जाए इसके लिए तुम्हें हॉस्टल में रहकर उस खर्च को किसी प्रकार निभा रहे हैं। और तुम पढ़ाई के नाम पर पिज्जा कोल्ड ड्रिंक खाकर अपने शरीर को बर्बाद कर रहे हो और हमारे सपनों को तोड़ रहे हो।
क्या हम तुमसे इतनी छोटी सी उम्मीद नहीं रख सकते कि तुम्हें हमने यहां पर इस काम के लिए रखा हुआ है वह काम तो मन से करोगे और अपने माता-पिता का नाम रोशन करोगे? क्या इस प्रकार साइंटिस्ट बन करके दुनिया के लोगों का उद्धार कर पाओगे।
बेटा विद्यार्थी जीवन अपने आप में साधना है और योगी को सदैव अपने भोजन पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि सात्विक आहार के साथ खूब अच्छे से पढ़ाई कर सके।
क्या मैं तुम पर भरोसा कर के यहां से जा सकती हूं? अपनी मां की आंखों में आंसू और परेशानी देखकर वीरू के आंसू निकल पड़े, और अपनी मां से लिपट कर जोर-जोर से रोते हुए वीरू ने कसम खाई की मां अब मैं कभी भी जंक फूड का सहारा नहीं लूंगा और रात में बहुत मन हुआ तो नींबू पानी या दूध पीकर पढ़ाई करूंगा जो कि हर प्रकार से स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होगा।
मा बहुत प्रसन्न हुई और बहुत खुश होकर के वीरू और नमित को आशीर्वाद देकर के जाने लगी और हां साथ में लाए हुए देसी घी के लड्डू दोनों के मुंह में देकर मन से बहुत-बहुत आशीर्वाद दिया कि तुम दोनों ही प्री बोर्ड और बोर्ड दोनों में बहुत अच्छे नंबरों से पास हो।
शीला अम्मा की यह बात सुनकर दोनों बच्चे बहुत ही प्रसन्न हुए क्योंकि शीला अम्मा आज कोलकाता आए हुए थे तो उन्होंने दोनों बच्चों के लिए वार्डन से परमिशन ली कि वह दोनों बच्चों को आज साइंस सिटी घूमाने ले जाएंगी। यह सुनते ही वीरू के तो जैसे पंख लग गए उसने तुरंत कपड़े बदले मुंह हाथ धोकर मां के साथ जाने के लिए तैयार हो गया। वीरू देख रहा था
की मां को बार-बार खांसी हो रही है। वीरू ने कहा मां इतनी तो गर्मी भी नहीं है और ना है ठंड तो आपको खांसी क्यों हो रही है सब ठीक है ना। शीला अम्मा ने कहा हां कुछ दिनों से मैं ऐसा महसूस कर रही हूं कि कुछ ड्राई खांसी मुझे हो रही है। तुझे तो मालूम ही है कि घर में मिट्ठू है , सौम्या है बस उन्हीं के साथ दिनभर रहती हूं ना तो खांसी डॉक्टर को दिखा पाई ना दवाई लेने का ही ध्यान रहा।
यह सुनते ही नमित का दिमाग चकरा गया नामित ने कहा आंटी आपके सारे लक्षण जो लोग घर में जानवर पलते हैं ना पक्षी तरह के उसे तरह के हैं उसी में से एक बीमारी है सिटाकोसिस ।
शीला अम्मा और वीरू दोनों हैरान हो गए और उन्होंने पूछा कि यह क्या होता है तो नमित ने बताया कि
सिटाकोसिस एक प्रकार का फेफड़ों का संक्रमण है जो क्लैमाइडिया सिटासी नामक जीवाणु के कारण होता है। यह रोगाणु मुख्य रूप से तोता परिवार के पक्षियों द्वारा फैलाया जाता है, जिसमें बुगेरिगर, लवबर्ड और पैराकेट शामिल हैं। अन्य पक्षी जो इस रोगाणु को आश्रय दे सकते हैं उनमें कैनरी, मुर्गी और कबूतर शामिल हैं।
जंगली और पालतू दोनों ही प्रजातियाँ इस जीवाणु को ले जा सकती हैं, और कुछ संक्रमित पक्षियों में बीमारी का कोई लक्षण नहीं दिखता है। इस बीमारी को कभी-कभी ‘पैरट फीवर’ भी कहा जाता है।
मनुष्य आमतौर पर संक्रमित पक्षियों के पंखों, स्रावों और मल से बैक्टीरिया को सांस के ज़रिए अंदर लेने से बीमारी पकड़ते हैं। मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण अत्यंत दुर्लभ है।
शीला अम्मा ने कहा कि हां जब से मिट्ठू की मां की डेथ हुई है तब से उन्हें ऐसी परेशानी हुई है क्योंकि शायद मिट्ठू की मां को पैरेट फीवर था लेकिन मिट्ठू बिल्कुल स्वस्थ है।
मिट्ठू की मां से बहुत ही दिल से लगा होने के कारण शीला अम्मा मिट्ठू को घर नहीं रखना चाहती थी क्योंकि एक बार जब हमें किसी जानवर से बहुत प्रेम हो जाता है तो हम उससे बहुत मन से जुड़ जाते हैं और उससे कभी अलग नहीं होना चाहते ।
लेकिन आज शीला अम्मा को सच में मिट्ठू की याद आ रही थी अपने वीरू मिट्ठू को देखकर। बच्चों को साइंस सिटी घूमा कर शीला अम्मा अपने घर की ओर चल दी थी।
उधर शीला जी के बिना सच में घर में जीवन ही नहीं लग रहा था सच ही है मां की जगह जीवन में कोई नहीं ले सकता। आखिर भगवान ने भी भारत में सिर्फ और सिर्फ मां का प्रेम पाने के लिए ही तो अवतार लिया था । सौम्या के पापा जी रमेश पापा जी वह भी सौम्या और मिट्ठू का वार्तालाप सुनकर खुश हो रहे थे क्योंकि मिट्ठू तो घर का बेटा भी था ना।
जब मिट्ठू इस घर में आया था तब शीला अम्मा बहुत गुस्सा हुई थी सौम्या पर की तोता ,बिल्ली ऐसे जानवर नहीं पालते चाहिए।लेकिन अब घर का मिट्ठू तोता नहीं था घर का बेटा था। अपनी मीठी मीठी बातों से मिट्ठू ने शीला अम्मा का दिल जीत लिया था। पहले जो शीला अम्मा कहती थी कि जानवर गंदगी फैलाते हैं अब वह खुद मिट्ठू के बिना रह नहीं पाती थी।
बहुत रोना धोना होने पर जब सौम्या ने जिद नहीं छोड़ी तो सौम्या की ज़िद के आगे शीला अम्मा को झुकना ही पड़ा और मिट्ठू को गृह प्रवेश की इजाजत मिल गई।
शीला जी दिल की बहुत अच्छी थी और यह सच बात है की मां का दिल दुनिया का सबसे बड़ा कश्मीर है जहां है जन्नत। शीला जी तो मिट्ठू से बात भी नहीं करती थी शुरू में। लेकिन घर की बेटियां किसी से कम थोड़ी ही होती हैं । ग्रेजुएशन में पढ़ने वाली सौम्या ने मिट्ठू को रोज गाकर यह गाना सिखा दिया था के मम्मी के बेटे हैं हम छोटे-छोटे प्यारे-प्यारे।
एक दिन जब सौम्या कॉलेज गई हुई थी तो बालकनी में कपड़े डालने आई सौम्या जी ने मिट्ठू के मुंह से बहुत साफ-साफ आवाज में यह गाना सुना। बड़ी देर तक हंसी आती रही थी शीला अम्मा को। वह जानती थी रोज-रोज मिट्ठू उनको देखा है लेकिन वह उसके पास नहीं आती थी झूठा गुस्सा दिखाने के कारण। और आज जव आई तो मिट्ठू ने उनका दिल जीत लिया।
शीला अम्मा मंत्र मुग्ध हो गई कितना साफ बोलता है यह तोता। और दोबारा सुनने के लिए हरी मिर्च लेकर मिट्ठू के पास गई। मिट्ठू कूद कूद कर कहने लगा मम्मी के बेटे हैं हम। पारशीला अम्मा हंस-हंसकर मिट्ठू पर निहाल हो गई।
सच ही तो है जानवरों का स्नेह निश्चल होता है । आज सच में दिल का रिश्ता बन गया था शीला अम्मा और मिट्ठू का।
आज शीला अम्मा अपने बेटे के पास से वापस आ रही थी अपने दूसरे बेटे मिट्ठू के पास। घर में जश्न सा माहौल हो रहा था। कल छोटी दीवाली थी, त्योहार और मिट्ठू के प्यार में घर में रौनक लगा रखी थी। शीला मां ने घर आते ही सारा प्यार मिट्ठू पर न्योछावर कर दिया था। शीला जी और मिट्ठू की प्यार भरी बातों से घर में दीपावली दोपहर से ही शुरू हो गई थी।
डॉ निशा शर्मा
लेखिका/ असिस्टेंट प्रोफेसर
बरेली ,उत्तर प्रदेश।