दिखावटी रिश्ता – प्राची गोयल गुप्ता

अक्टूबर की हल्की ठंडी ठंडी हवा में सारी औरतें सजी-धजी चांद का इतंज़ार कर रही थी।या यूं कह लो…. धरती का चांद आज आकाश के चांद का इंतजार कर रहा था!

“चांद लगता है आज आसानी से नही निकलने वाला …??”

निशि ने गुमसुम बैठी मधु से कहा!

“हम्म…”,मधु ने बस इतना ही कहा!

“कैसे कर लेती हो तुम ये सब मधु??”

” तेरे पतिदेव आज फिर नदारद है ??”

निशि ने अपनी सवालों की पोटली से एक-एक सवाल निकालकर मधु की झोली में डाल दिए।

चांद निकलने में अभी समय था।

निशा मधु की बहुत अच्छी सहेली और राजदार भी थी ।वैसे तो मधु कम ही बोलती थी पर आज दिन ही ऐसा था ये सब सुनकर उसकी आंखों में से आंसू झलक आए!

करवाचौथ जैसे पवित्र दिन को वो एक दिखावे के लिए जी रही थी!

“अर्जुन फिर वही दूसरी औरत के पास गया है ….?”

निशि मधु का मन टटोलने के लिए उससे सवाल पर सवाल किए जा रही थी.

“उसने भी तो व्रत रखा होगा, उसका व्रत भी तो खुलवाना जरूरी होगा ??”,

आखिरकार मधु ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा..

“तू किस मिट्टी की बनी है मधु,मैं तेरी जगह होती ना तो…..????

“भगवान कभी तुझे मेरी जगह ना रखें “,

मधु निशि की बात काटते हुए बोली।

कब तक यह दिखावटी झूठा रिश्ता निभाती रहेगी.????

“निक्की को बता दे सब कुछ.

“शी इस मैच्योर नाऊ??”

“निक्की और बड़ी…. हा हा हा”, मधु ने दिखावटी हंसी हंसते हुए कहा!

उमर से भले ही 19 साल की हो, पर उसका दिल अभी भी 10- 12 साल के बच्चे की तरह नाजुक है!

निक्की की नज़र में उसके पिता एक रोल मॉडल है .जो एक अच्छे इंसान ,एक अच्छे पिता और एक बेहद प्यार करने वाले पति है!

निक्की ने अपनी एक खूबसूरत दुनिया बसा रखी है, जिसमें उसके पापा वो और मैं हूं।

उसकी एक हैप्पी फैमिली।

“तू ही बता उसकी इस खूबसूरत दुनिया को मैं.. उसकी ही माँ कैसें तोड़ दे??”

सवाल इस बार मधु ने किया! निशि निरूतर थी।

अपनी चुप्पी तोड़ते होए फिर बोली,”

“मधु मुझे पता है तूने आज तक ये बात किसी को नही बताई।

अगर उस दिन मैं अर्जुन को खुद उस औरत के साथ ना देख लेती तो मुझे भी नही पता चलता। तू हर बार मेरी बात को टाल जाती है

पर आज तुझे बताना होगा..बताना ही होगा??”,

निशि ने झूठी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा!

ऐसा लग रहा था मानो आज चांद निकले या ना निकले पर निशि मधु की दिल की बात निकलवा कर ही रहेगी!

मधु जो काफी देर से आंखें झुकाकर बैठी थी.

एकाएक उसने अपनी नज़र उठाई और आस पास खडे कपल्स को देखने लगी,

कितना प्यार था उन सब के बीच,

सारे पति लोग,जल्दी से चांद निकले और उनकी निर्जल व्रती पत्नी जल्दी से अपना व्रत खोले ….इसी उम्मीद में आसमान ताक रहे थे।

और पत्नियां …..पतियों पर भुखे प्यासे रहकर एहसान जता रही थी। 

हर भारतीय पति पत्नी के लिए करवाचौथ किसी वेलेंटाइन डे से कम नही होता ।

पर मधु….उसका पति तो चांद निकलने के भी घन्टे बाद आयेगा 

जब बेटी पूछेगी ,”पापा कहाँ रह गये थे???”

चांद कब का निकल गया .

हमेशा की तरह आज भी वो सिर्फ झूठ ही बोलेगा जरूरी मीटिंग थी बेटा…

आखिर इस आदमी को झूठ बोलने के अलावा आता ही क्या है?

अगर निक्की जिद नही करे तो मैं ये दिखावा कभी नही करु।

ये सब सोचते सोचते मधु का दिल भारी ही गया।

वो रोये बिना नही रह सकी।

“तू सुनना चाहती है,तो सुन…”,

अपने पुराने घावों को हरा करते होए मधु बोली।

आज का ही दिन था वो…हां करवाचौथ का दिन था वो।

अमूमन अर्जुन फोन में पैटर्न लगा के रखते थे।

उस दिन मैंने उनका फ़ोन चार्ज करने के लिये फ़ोन उठाया, तो देखा फोन में 25अनरीड मैसेजस थे।

मैंने सोचा आज फ़ोन लॉक करना भुल गए जनाब…जरा देखा जाए एक ही नंबर से इतने मैसेज कौन भेज रहा है??

मैसेज पढ़ते ही मेरे तो जैसे आंखों के आगे अन्धेरा छा गया।

दूसरी तरफ़ कोई गीत नाम की लड़की थी।

मैसेज पढ़कर ये समझने में मुझे कतई देर नही लगीं कि

वो अर्जुन की कॉलेज टाइम की गर्लफ्रेंड थी।

जो अब अर्जुन के ऑफिस में ही आ गई।

और शायद दोनों का पुराना प्यार फिर जवाँ हो गया??

हुआ या नही इस बात का जवाब तो अर्जुन ही देँगे।

कल अर्जुन विवेक भैया के साथ मूवी गए थे?कही वो झूठ तो नही बोल रहे ?

मेरे दिमाग मे अर्जुन के लिए शक पैदा हो गया था। शक्की दिमाग के आगे बडे से बड़े जासूस फेल है।

मैंने विवेक भैया की वाइफ को फोन किया और बातो ही बातों में पूछ लिया।

भैया को मूवी कैसी लगी ??

अर्जुन को तो बहुत अच्छी लगी।

कौनसी मूवी?? विवेक तो पिछले तीन दिन से घर पर ही है बीमारी के कारण।

ऐसा लगा जैसे किसी ने 440 वाल्ट के झटके मेरे दिलो दिमाग़ पर छोड़ दिये।

और करंट के कारण दिलोदिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया हो!

विवेक की पत्नी ने आगे क्या बोला मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दिया

मैंने फोन बीच में ही काट दिया!

अर्जुन मुझे धोखा दे रहे हैं?? इससे पहले मैं कुछ सोच पाती।अर्जुन,निक्की( जो अपनी एक फ़्रेंड की बर्थडेपार्टी में गयीं हुई थी)लेकर आ गए।

मुझे अपने पति को देखकर घृणा आ रही थीं।

12 साल की मेरी निक्की को माता पिता के लड़ाई झगड़े का असर होने लगा था।वो सुस्त हो जाती।

इसलिये उसके बड़े होते ही हम दोनों ने ये डिसाइड कर लिया था.हम अपनी बड़ी होती बेटी के आगे ना प्यार करेंगे ना लड़ाई झगड़ा।

अर्जुन अपने प्रति मेरे बदलते नेचर को समझ रहे थे,पर बोले कुछ नही।

मैं और अर्जुन लव बर्ड्स तो कभी भी नही थे,हमारी कुण्डली अवश्य मिली पर सोच,स्वभाव पसन्द कभी भी नही मिले…जब दो लोगों में एक जैसा कुछ नही होता तो उन्हें एडजस्ट करना पड़ता है।

“एडजस्ट एवरीथिंग”!

पर इसका ये कतई मतलब नही था कि मैं उनको प्यार नही करती थी।एक आम भारतीय पत्नी की तरह मैं भी अपने पति को प्यार और इज्जत देती थी।

मैंने पूरी रात अपने आंसू पिये..जस्ट बिकॉज़ निक्की को कुछ पता ना लगे…

सुबह निक्की के स्कूल जाते ही मैं अर्जुन पर राशन पानी लेकर चढ़ गई।

किसी तूफ़ान से भी तेजी से मैं अर्जुन से सवाल पर सवाल किये जा रही थीं।

अर्जुन ने मुझे अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में फंसा लिया

उनकी अनुसार हां वो गीत रिलेशनशिप में थे पर वो कॉलेज टाइप का लव था।

उसका अर्जुन के कंपनी में आना महज एक इत्तेफाक है!

उनकी बीच में पहले जैसा कुछ नहीं है ,दांपत्य जीवन में खुश है..गीत शादीशुदा है।

क्योंकि गीत इस शहर में नई थी। उसने मूवी देखने के लिए फोर्स किया और अर्जुन उसे मना नहीं कर पाया ।

मधु अगर मैं तुम्हें यह सब बताता तो मुझे भेज देती मूवी के लिये..नही कभी नही।

इसलिए मुझे झूठ बोलना पड़ा!

अर्जुन ने मुझे विश्वास दिलाया. उसके औऱ गीत के बीच में ऐसा कुछ नहीं है मैं चाहूं तो गीत से बात कर सकती हूं। गीत उसका भूत थी. मैं उसका वर्तमान और भविष्य!

गीत उसकी ऑफिस में किसी प्रोजेक्ट के लिए आई है। चार-पांच महीने में प्रोजेक्ट पूरा करके दूसरे शहर शिफ्ट हो जाएगी!

गीत का शादीशुदा होना मुझे तसल्ली दे गया।

अर्जुन की आंखों में आंसू देख कर मैं पिघल गई!

उन्होंने प्रोमिस किया कि आज के बाद मुझसे कुछ नहीं छुपायेंगे।

हर पत्नी अपने पति के पहले धोखे को भुला देने और माफी करने की दक्षता रखती है ।ऐसा या तो वह अपनी गृहस्थी को बचाने के लिए या फिर अपनी दादी ,नानी या मां जो ये सब कहते कहते स्वर्ग सिधार गई……” मर्द है बहक गया माफ कर दो और गृहस्थ जीवन चलाओ”, कहने पर करती आई है ।

पर औरत बहक जाये तो??? ना ना ना …

उसको माफी नहीं मिलेगी वो तो कुल्क्षणी बदचलन कहकर घर और बिरादरी से बाहर कर दी जाएगी.पर पुरुष उसका अपराध कम से कम एक बार तो श्रम्य है ही।

मैंने उस बात को कड़वी याद समझकर भुलाने में लग गई अर्जुन अब पहले से ज्यादा अच्छे पति और पिता साबित हो रहे थे

मेरे पति स़िर्फ मेरे प्रति पूर्ण समर्पित हैं, ये ख़्याल मुझे आभासी ख़ुशी देता रहा। इस बात को दो-तीन साल हों चुके थे।

मेरा गृहस्थ जीवन शांत झील सा बेखलल गुजर रहा था पर चंद कागज के पन्नों ने मानो उस झील में तूफान ला दिया। ये कागज के पन्ने एक होटल रूम की बुकिंग के थे।

होटल ताज मुंबई, बुकिंग कन्फर्मेशन फॉर मिस्टर अर्जुन कपूर एंड मिसेस गीत खन्ना!

उस दिन मानो एक पल को मेरी साँसों रुक गई थी।शरीर संवेदनशून्य हो गया था।

कभी कभी अज्ञानता में कितना सुख होता है, ना मैं अर्जुन का बैग खोलती ना ये पेपर देखती…कम से कम इस भ्रम में तो रहती कि मेरा पति सिर्फ़ मेरा है।

बार बार छले जाने का एहसास मुझे उद्देलित कर रहा था। एक औरत सुखे निवाले खा कर ज़िंदा रह सकती है।पर अपने पति को दूसरी औरत के साथ नही बांट सकती।

मधु अपने दिल के दर्द का पहाड़ परत दर परत निशि के सामने बहाने लगीं।

निशि भी अच्छी श्रोता की तरह मधु का दिल पढ़ रही थी।

पहली बार चोट लगने का दर्द ज्यादा होता है।

दूसरी बार उपेक्षाकृत कम।

मैंने निश्चय कर लिया था इस बार कोई सफ़ाई नही चाहिये अर्जुन से..इतने सालों से झूठ ही तो बोलता आया है वो..

फिर कोई नया झूठ बोलेगा..फिर वही झूठी हमदर्दी..फिर वही स्वांग।

नही अब और नहीं…।

निक्की 2 दिन के लिए स्कूल टूर पर गई थी।

अर्जुन ने मेरे हाथ मे वो पेपर देख लिये थे।

इससे पहले वो कोई नया झूठ बोलता..मैंने उससे अपना फैसला सुना दिया

निक्की के आते ही मैं तुम्हे छोड़ के चली जाऊंगी।और इस बार आंखों में आसूं नही बल्कि ढृढ़ता थी।

इस केस की पीड़िता भी मैं थी और जज भी।

अर्जुन किसी सजा सुनाए जाने के बाद दोषी जैसा निर्जीव वहा खड़ा रहा।

पर शायद विधाता को कुछ ओर ही मंजूर था।

जिस बस से मेरी 15 साल की निक्की स्कूल टूर पर गई थी।उसका एक्सीडेंट हो गया था.

निक्की समेत सभी बच्चों दुर्घटनाग्रस्त हो गये।

मानो मौत के मुंह से बाहर आई थी मेरी बच्ची।

डॉ का कहना था निक्की को देखभाल की काफी जरूरत है।

किसी भी तरह का सदमा वो बर्दाश्त नही कर सकती।

मैं निक्की के दर्द के आगे अपना गम भूल गई।

निक्की को माँ पिता दोनों की जरूरत थीं।

समय के साथ साथ निक्की की अच्छी रिकवरी हो रही थी।मेरे दिल के घाव उनका रिकवर होना …वो नामुमकिन सा था।

मेरी ज़िंदगी उस दो राहे पर आकर रुक गई थी जहां अर्जुन के साथ एक छत के नीचे रहना मुझे दिनोंदिन अंदर ही अंदर खा रहा था। वहीं दूसरी ओर निक्की मेरी बच्ची, मेरी जिंदगी का सहारा जिसके लिए मुझे उस धोखेबाज आदमी को झेलना पड़ रहा था!

इंसान की आंखों से जब पर्दा हट जाए तो उसे बेशर्म होने में देर नहीं लगती!

जहां पहले अर्जुन अपनी प्रेमिका से चोरी-छिपे मिलता था वो अब सरेआम हो चुका था

क्योंकि अर्जुन जानता था निक्की को अर्जुन को जरूरत है और मुझे निक्की की! गनीमत ये थी, निक्की अपने पापा की हरकतों से अनजान रही हमेशा।

अर्जुन ने निक्की की देखरेख में कोई कसर नहीं छोड़ी थी! वह एक अच्छे पिता साबित हो चुके थे! पति का तमगा अर्जुन काफी पहले ही खो चुके थे!

मेरे लिये वो मेरी बेटी के पिता से ज्यादा कुछ नहीं थे!

और गीत के साथ अर्जुन की मानसिक और शारीरिक जरूरते स्वतः ही पूरी हो जाती।

मधु,”तुने कभी उस औरत से मिलने की कोशिश नहीं,जो तुम दोनों के बीच मे आई??

निशि के इस सवाल ने मधु को दुख भरी यादों से निकलकर वर्तमान में ला खड़ा कर दिया !

“जगह खाली दिखने पर ही तीसरा इन्सान दो लोगो के बीच आ सकता है अन्यथा नही।”

“उसकी क्या गलती,शायद मेरी ही होगी, जो मैंने जगह खाली छोड़ी??,बुझे मन से मधु बोली!

क्या तुम्हें इन सब से फर्क नहीं पड़ता??

“फर्क पड़ता था….. । पर अब नहीं…. ।”

“एक जैसी परिस्थितियों में काफी समय तक रहने से उन परिस्थितियों की आदत पड़ जाती है और फर्क पड़ना बंद हो जाता है।पिछले 4-5 साल से ये झूठा रिश्ता ही तो जी रही हूँ।”

‘मैं कौन सी अनोखी हूं जो अपने बच्चे के लिए ऐसा कर रही हूँ।

“इस दुनिया में ना जाने कितनी ऐसी औरतें होंगी जो शादीशुदा बंधन में सिर्फ अपने बच्चों के लिए है जो उस बंधन को कब का तोड़ देना चाहती है पर अपने बच्चों के कारण अपनी जिंदगी जी रही है।

वो ऐसा क्यों कर रही है और कब तक ऐसा चलेगा?? इसका जवाब ना तो वो खुद जानती है और ना ही जानना चाहती है….।

वैसे अर्जुन के क्या कहने। जिस उम्र मे पिता लोगों को बेटी के अफेयर की चिंता होनी चाहिये उस उम्र में जनाब खुद इश्क़ फरमा रहे है।

इतना कहकर निशि हँस पड़ी।

हल्की सी मुस्कान मधु के चेहरे पर भी आ गई।

निक्की पैकिंग में लगी है।

वो अपनी ग्रेजुएशन दिल्ली से करेगी..परसो वो दिल्ली चली जायेगी!

तेरा क्या होगा?कुछ सोचा तूने?

निशि मधु को भविष्य से अवगत करवाते होए बोली,

कुछ नही सोचा यार..निक्की केे कारण ही मुझे अर्जुन के साथ एक घर मे रहना पड़ रहा है।

क्या पता निक्की के जाने के बाद अर्जुन गीत को ही इस घर मे ले आये और अपने ही घर में मैं दूसरी औरत बन जाऊं??

इतने सालों से खून के घुट पी कर ही तो जी रही हूँ…

इस बीच चांद निकल गया था..सारी औरते अपना व्रत खोल चुकी थी।निशि ने भी वीडियो कॉल करके पहले चांद के फिर अपने पति के दर्शन करके व्रत खोला।

फौजी की बीबी होने के नाते निशि को अपना हर करवाचौथ ऐसे ही मनाना पड़ता है।

अर्जुन भी आ गया…”चलो भईई….व्रत खोलो अपना….”,अर्जुन बोला।

निशि उसे आतंकवादी की नज़रों से देख रही थी।

“तुम्हे शर्म नही आती अर्जुन…”,निशि गुस्से में छटपटाते होए बोली!

“चुप कर निशि”…निक्की ने सुन लिया तो?? वो आती ही होगी”,

मधु ने उससे टोका!

मैं यही हूं मम्मी…..अचानक निक्की को अपने सामने देखकर सब हतप्रभ हो गये।

उसने मधु के हाथ से पूजा की थाली ज़मीन पर गिरा दी।…आप ये सब दिखावे मेरे लिए करती थी ना मम्मी..!

मेरी प्यारी माँ…इतना प्यार करती हो मुझसे…वो रोये जा रही किसी छोटे बच्चे की तरफ सुबक सुबक कर रोने लगीं।

मधु ने निक्की को गले लगा लिया।

माहौल बड़ा ग़मगीन हो गया था 

“निक्की मेरी बेटी….”

“डैडी यू शट अप “।

“यू लॉयर..इतनो सालो से हमे धोखा दे रहे हो।”

तुझे कैसे पता निक्की…?निशि बोली।

मम्मी जब आप से बात कर रही थीं ,मैंने मम्मी को कॉल की थी।

चाँद निकला या नही।

उन्होंने नही तो बोल दिया..पर कॉल कट करना भूल गई जिसके चलते मैं आपकी और मम्मी की बाते सुन पाई।

“मेरे कारण ही तुम इस झूठे रिश्ते से अभी तक जुड़ी हो.अब मैं ही तुम्हे इस झूठे से आज़ादी दिलवाऊंगी मम्मी…”,निक्की की आवाज़ में गज़ब का आत्मविश्वास मधु को देखने मिला।

अपने सही कहा था निशि आंटी… “ई एम मैंच्योर नाऊ।”

और उसने तेजी से मधु को गले गला लिया।

“मुझे माफ कर दो बेटी….”।

अर्जुन ने बेटी के सामने पश्यताप करना चाहा।

“माफी…मुझसे नही मम्मी से मांगों जिनका इतने सालों से आप दिल दुखाते आये हों।”

मम्मी परसो मेरे साथ दिल्ली जाएंगी और मेरे साथ ही रहेंगी।

हमारा इंतज़ाम और खर्चा सब आपको ही करना होगा मिस्टर अर्जुन….तलाक के कागज आपको जल्द ही मिल जायेंगे।

ये ही आपकी सजा है..और पश्यताप भी।

मधु अपनी बेटी को देख रही थी उसकी छोटी सी निक्की कितनी बड़ी और समझदार हों गई है।

चलो मम्मी …आपकी पैकिंग भी तो करनी है।

निक्की मधु और निक्की की लेकर नीचे चली गई और अर्जुन सहमा सा आसमान ताकने लगा।

Written by

Prachi goyal gupta

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