कुमार एक छोटे से गाँव में अपने परिवार के साथ रहता था। वह शहर में जाकर बड़ी नौकरी करने का सपना देखता था, लेकिन परिस्थिति और वित्तीय समस्याएँ उसकी राह में रुकावट डाल रही थीं। उसके मन में निराशा और तनाव का वातावरण था, क्योंकि उसने बहुत संघर्ष किया था, लेकिन परिणाम उसके अपेक्षाएँ पूरी नहीं कर पा रहे थे।
एक दिन, जब सूरज ढलने को था और आसमान पर लालिमा फैल रही थी,
कुमार अपने घर के आँगन में बैठा था। उसकी आँखों में एक अजीब सी खामोशी
थी, जैसे वह जीवन से थक चुका हो।
उसकी दादी, कुमारी देवी, जो घर के पास ही बैठी थीं, उसे देखते हुए आईं।
उन्होंने प्यार से कुमार के कंधे पर हाथ रखा और बोलीं, “कुमार, तू क्यों ग़मगीन है? जीवन में अगर कठिनाइयाँ हैं, तो वे केवल हमें मजबूत बनाने के लिए आती हैं।”
कुमार ने अपनी दादी की ओर देखा, लेकिन वह कुछ नहीं बोला। उसकी आँखों में एक चुप्पी थी जो किसी शब्द से नहीं टूट रही थी। तभी, उसके मित्र आनंद आ गए। उन्होंने देखा कि कुमार कुछ परेशान सा दिख रहा है।
आनंद ने मुस्कुराते हुए पूछा, “क्या बात है, कुमार? कुछ खास सोच रहे हो क्या?” कुमार ने सिर झुका लिया और धीरे से कहा, “आनंद, मैं बहुत थक चुका हूँ। जिंदगी में इतनी कोशिशें कीं, लेकिन कुछ भी सही नहीं हो पा रहा। क्या मैं कभी सफल हो पाऊँगा?”
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आनंद ने उसे समझाया, “तू अब भी कुछ खास देख रहा है। याद रख, सफलता हर किसी के लिए अलग होती है। और उसके लिए हमें वक्त चाहिए, संघर्ष चाहिए। कभी-कभी ढलती हुई साँझ में भी हम एक नई सुबह का इंतजार करते हैं।”
इतना कहते हुए आनंद ने कुमार को अपनी दादी के पास जाने के लिए कहा, क्योंकि कुमारी देवी अक्सर बहुत कुछ सिखाती थीं। कुमार अपनी दादी के पास गया। कुमारी देवी ने उसे देखा और कहा, “बिलकुल सही कहते हैं आनंद, बेटा। जिंदगी की वास्तविक सफलता कभी हासिल नहीं होती, जब तक हम उसके रास्ते में आने वाली कठिनाइयों का सामना नहीं करते। जीवन की समस्याएँ, जब हम उनका सामना करते हैं, तो हम सच्चे तरीके से सीखते हैं।”
कुमारी देवी ने उसे एक कहानी सुनाई। वह बोलीं,
“एक बार एक संत ने एक छोटे से गाँव में आकर लोगों को शिक्षा दी। वह हमेशा कहते थे, ‘सभी समस्याएँ एक दिन हल हो जाएँगी, यदि हम सही दिशा में
प्रयास करें।’ वे उस गाँव में जीवन का असली मतलब समझाते हुए सभी को शांति का रास्ता दिखाते थे। एक दिन एक दुखी व्यक्ति संत के पास आया और बोला, ‘हे संत, मैं बहुत परेशान हूँ। क्या मैं कभी खुश रहूँगा?’ संत मुस्कराए और बोले, ‘तुमने सही प्रश्न पूछा। हर व्यक्ति के जीवन में कठिनाई आती है, लेकिन जब तुम शांत मन से उसे स्वीकार करोगे, तो वह भी तुम्हारे लिए एक नया रास्ता खोलेगा।”
कुमारी देवी की कहानी ने कुमार को कुछ हद तक शांति दी। उसके दिल में थोड़ी सी उम्मीद का दीप जल उठा। जब सूरज पूरी तरह से ढल चुका था और आकाश में चाँद की हल्की रोशनी फैलने लगी, कुमार ने महसूस किया कि जीवन में एक नई शुरुआत के लिए उसे खुद को तैयार करना होगा।
उस रात, कुमार और चाँदनी ने एक दूसरे से कुछ वादा किया। कुमार ने कहा, “मैं अब संघर्ष को एक चुनौती मानूँगा, न कि एक बोझ। मैं अपने सपनों को छोड़ने नहीं दूँगा, और साथ ही तुम्हारा साथ कभी नहीं छोड़ेंगा।” चाँदनी ने उसका हाथ थामते हुए कहा, “हमारे जीवन की राहें चाहे जैसे भी हों, एक दूसरे के साथ उनका सामना करेंगे।”
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अगले दिन, कुमार ने अपनी कठिनाइयों को आत्मसात किया और अपनी मेहनत को और बढ़ा दिया। वह अब जानता था कि ढलती साँझ में कोई भी संघर्ष बेमायने नहीं होता। एक नई सुबह का इंतजार सिर्फ उसे ही नहीं, बल्कि सभी को करना चाहिए
कहानी के दो मोरलः
जीवन की कठिनाइयाँ हमें मजबूत बनाती हैं, और हम जब उनका सामना करते
हैं, तो हम असल में कुछ सीखते हैं। संघर्ष के बावजूद उम्मीद कभी नहीं छोड़नी चाहिए, क्योंकि हर कठिनाई के बाद एक नई शुरुआत होती है।
धन्यवाद !
लेखिका. Dr. अनुश्री राऊत
सहेयक प्रोफेसर
नागपुर महाराष्ट्र