दहशत – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

कविता ने अभी थोड़ी देर पहले जो देखा उसे देखकर उसके दिल के किसी कोने में डर ने जगह बना ली थी कविता ने जो कुछ देर पहले देखा था उसे देख उसकी रूह कांप गई थी उस भयानक मंजर को वो भूल नहीं पा रही थी। कविता  आज ही शादी करके अपनी ससुराल आई थी उसकी शादी अनूप से हुई है जो एक बेटी का पिता है।

मुंह दिखाई की रस्म के बाद जब कविता की ननद उसे उसके कमरे में छोड़कर गई तो कविता को उस कमरे में किसी के चलने की आवाज सुनाई दी जैसे कोई औरत पायल पहनकर छम-छम करती हुईं चल रही हो। ‌कविता ने इसे अपना वहम समझा उसने समझा कोई घर की औरत कमरे के बाहर चलते हुए गई होगी। ये सोचकर वह निश्चित हो गई।

वो फूलों से सजे बिस्तर पर बैठ अपने पति का इंतजार करने लगी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था आंखों में हजारों सपने तैर रहे थे कविता गहनों से लदी हुई थी भारी गहनों के कारण उसे घुटन महसूस हो रही थी उसने सोचा  गहने भारी हैं इन्हें उतार दे नहीं तो सोते समय परेशानी होगी ये सोचकर वह शीशे के सामने जाकर बैठ गई और अपने गहने उतारने लगी।

तभी शीशे में उसे एक भयानक औरत का  चेहरा दिखाई उस औरत के बाल खुले हुए थे आंखों से खून टपक रहा था चेहरे पर जले के निशान थे फिर उसकी आवाज सुनाई दी वो कह रही थी, “अगर तूने मेरी बेटी के साथ सौतेला व्यवहार किया तो मैं तेरा

जीना हराम कर द दूंगी मैं न तूझे छोडूंगी न तेरे पति और सास को तेरी सास जो पहले मेरी सास थी वो औरत नहीं डायन है उसने मेरे दर्द को कभी नहीं समझा उसने अपने दरिंदे बेटे का ही साथ दिया था वो डायन अब तेरे साथ भी वही करेगी जो उसने मेरे साथ किया था”

उस भयानक औरत की आंखों में अंगारे दहक रहे थे कविता उस भयानक औरत को देखकर भय से कांपने लगी उसकी धमकी भरी आवाज ने तो उसकी हालत और भी ख़राब कर दीं, कविता की चींखें गले में घुट कर रह गई शरीर पसीने से भीग गया उसका चेहरा दहशत से सफेद पड़ गया था।

तभी कमरे का दरवाजा खुला और उसके पति अनूप कमरे में आए उसे गहने उतारते देख अनूप की आंखों में वासना का तूफान मचलने लगा वो मुस्कुराते हुए बोले ,”अरे तुमने तो मेरा काम आसान कर दिया अब मुझे तुम्हारे गहने उतारने का काम नहीं करना पड़ेगा

तुम तो बहुत समझदार हो तुम्हारी इस अदा पर मैं तो मर-मिटा हूं”  कविता ने कोई जवाब नहीं दिया उसका डर के मारे बुरा हाल था उसने सोचा वो अनूप से इस विषय में बात करेगी पर अनूप ने उसे कुछ कहने का मौका ही नहीं दिया उसका हाथ पकड़कर बिस्तर पर धकेल कर लाइट

आफ कर दी फिर कविता के शरीर से उसके एक-एक कपड़े उतार कर फेंक दिए और अपनी हवस की प्यास बुझाने लगा कविता पहले ही डरी हुई थी अनूप की दरिंदगी देखकर और डर गई।

अनूप इस समय एक वहशी दरिंदा बना हुआ था वो कविता के शरीर को जानवरों की तरह नोच खसोट रहा था कविता का दर्द से बुरा हाल था वो दर्द से कराह रही थी पर उस दरिंदें के ऊपर कोई असर नहीं था। लगभग एक घंटे बाद जब अनूप की शारीरिक प्यास बुझ गई तो उसने कविता के शरीर को छोड़ दिया और करवट बदलकर सो गया।

कविता रात भर अपनी बरबादी पर आंसू बहाती रही उसके सारे सपने पलभर में टूटकर चकनाचूर हो गए थे  शादी से पहले उसने अपनी मां से कहा था , “मां आप पता लगा लीजिए की अनूप कैसे व्यक्ति हैं  वो इतने अमीर खानदान के इकलौते बेटे हैं तब उनकी मां एक गरीब घर की लड़की को अपनी बहू क्यों बना रही है। उनको तो अपने बेटे के लिए अमीर खानदान की लड़कियां भी मिल सकतीं हैं!!?”

तब कविता की मां ने यह कहकर उसका मुंह बंद कर दिया की अनूप एक बच्ची का बाप है अमीर लोग अपनी बेटी की शादी एक बच्चे के पिता से नहीं करेंगे इसलिए वह गरीब परिवार की लड़की से शादी कर रहा है मां का तर्क सुनकर कविता चुप हो गई थी। ‌

पर अभी अभी अनूप का जो वहशी रूप कविता ने देखा तो वह समझ गई कि,उसकी सास ने गरीब परिवार की बेटी का चयन क्यों किया जिससे गरीब घर की बेटी उनके बेटे के ख़िलाफ़ आवाज़ न उठा सकें अचानक कविता का पूरा बदन कांपने लगा उसके दिमाग में उस भयानक औरत के शब्द गूंज उठे तेरी सास डायन है उसने मेरा साथ नहीं दिया

अपने बेटे का साथ दिया क्या वो भयानक औरत मुझे अनूप और उसकी मां का असली चेहरा दिखाने की कोशिश कर रही थी??। ये विचार आते ही कविता की सोचने समझने की शक्ति क्षीण हो गई थी वह सोच ही नहीं पा रही थी अब वो, क्या करे ,

एक तरफ उस शीशे वाली औरत का डर और दूसरी तरफ पति के दरिंदगी का दर्द यह दोनों चीजें मिलकर उसके दिल में दहशत भर रहीं थीं।

कविता सोच नहीं पा रही थी कि वह क्या करें उसकी आंखों से आंसूओं की धारा बह रही थी रोते रोते कब उसकी आंख लग गई उसे पता ही नहीं चला। ‌सुबह कविता से उठा नहीं जा रहा था वह किसी तरह उठकर बिस्तर पर बैठी थोड़ी देर यूंही बैठी रही फिर उठकर नहाने चली गई

जब वह कमरे में आई तो अनूप उठ गए थे।कविता को देख  अनूप की आंखों में वासना के डोरे  तैरने लगे उसने कविता का हाथ पकड़कर बिस्तर पर अपने पास खींच लिया कविता की रूह़ कांप गई।
अनूप फिर से अपना वहशी रूप दिखाते तभी दरवाजे पर दस्तक हुई अनूप ने कविता को छोड़ दिया कविता को जैसे अभयदान मिल गया हो कविता ने जल्दी से उठकर दरवाजा

खोला तो सामने उसकी ननद खड़ी हुई थी। कविता का मुरझाया चेहरा देखकर वह सब समझ गई कविता का उदास चेहरा देख उनके चेहरे पर दुःख की लकीरें उभर आई थीं उसने एक नफ़रत भरी नज़र अपने भाई पर डाली। ‌

फिर कविता को लेकर कमरे से बाहर चलीं गईं बाहर हाल  मेहमानों से भरा हुआ था कविता को पूजा करने के लिए बैठाया गया सभी रस्में पूरी होते होते शाम हो गई कविता थककर चूर हो गई थी। ‌‌तभी उसे सास की आवाज सुनाई दी जो अपनी बेटी से कह रहीं थीं “मोहिनी, अपनी भाभी को उसके कमरे में पहुंचा दो वह थक गई होगी “

कविता कमरे में जाने का नाम सुनते ही कांप गई उसने घबराई हुई नजरों से अपनी सास की ओर देखा उसकी सास कविता की मनोदशा समझ गई पर उसने उस पर ध्यान नहीं दिया बल्कि कठोर स्वर में कविता को कमरे में जाने का आदेश दिया मेहमानों के सामने कविता कुछ कह नहीं सकती थी उसे तो कमरे में जाना ही था।

जब उसकी ननद उसे कमरे में छोड़कर जाने लगी तो कविता ने अपनी ननद का हाथ पकड़ लिया। उसकी ननद सब समझ गई उसने एक लम्बी सांस लेकर कहा ,”भाभी इसमें मैं आपकी कोई मदद नहीं कर सकती  भैया किसी की नहीं सुनते वह वही करते हैं जो उनका मन करता है। वो औरतों के मामले में वहशी दरिंदे हैं यह बात मां को पता है पर बेटे के मोह

में इतनी अंधी हो गई हैं की वो गरीब लड़कियों से अपने बेटे की शादी करके उनका जीवन नर्क बना दे रही हैं। पूजा भाभी के साथ भी यही सब होता था जब उन्होंने बच्ची को जन्म दिया तो उनका शरीर कमजोर हो गया था उनके कमजोर शरीर को भी भैया ने नहीं छोड़ा।उनका कमजोर शरीर भैया की

दरिंदगी बर्दाश्त नहीं कर सका और एक रात उनकी मौत हो गई मां भैया की दरिंदगी के बारे में सब जानती समझतीं हैं पर वो अपने बेटे के लिए कुछ भी कर सकतीं हैं पूजा भाभी की मौत के कुछ दिनों बाद ही मां की नजर आप पर पड़ी और तब मां ने आपसे भैया की शादी करवा दिया” कविता की

ननद कुछ और बताती उससे पहले कविता की सास ने उन्हें बुला लिया कविता की ननद वहां से चलीं गईं।

कविता डर से कांप रही थी उसने अपने पति की दरिंदगी रात को देखी थी उसकी आंखों से आंसू बहने लगे तभी उसे  रात वाली औरत की आवाज़ सुनाई दी  “रोने से समस्या का समाधान नहीं मिलेगा तुम्हें खुद कुछ करना होगा मैं तुम्हारे साथ हूं”

कविता ने डरते हुए पूछा ,” तुम कौन हो मुझे इस तरह डरा क्यों रही हो? मेरे सामने आओ!!?”
तभी एक बीमार मगर सुन्दर सी औरत  कविता के सामने आ कर खड़ी हो गई उसे देखकर कविता डर गई  वह कोई और नहीं अनूप की पहली पत्नी थी।

“डरो नहीं मैं तुम्हें कोई नुक़सान नहीं पहुंचाऊंगी रात में मैं तुम्हें डराने आई थी पर इस समय  तुम्हारी मदद करने आई हूं ” उस औरत ने कहा

“आप मेरी कैसी मदद करेंगी ?” कविता ने डरते हुए पूछा  “आज के बाद अनूप तुम्हारे साथ दरिंदगी नहीं कर सकेगा लेकिन मेरी एक शर्त है तुम्हें हमेशा मेरी बेटी को सगी मां का प्यार देना होगा ये वादा तुम्हें मुझसे करना पड़ेगा तभी मैं तुम्हारी मदद करूंगी

“पूजा की आत्मा ने गम्भीर लहज़े कहा
“आप ये न कहती तो भी मैं आपकी बेटी को अपनी बेटी समझ कर प्यार करती क्योंकि मेरी सौतेली मां ने मुझे बहुत प्यार दिया है और यही सीखाया है कि, मां सिर्फ़ मां होती है सगी या सौतेली नहीं बच्चे भगवान का रूप होते हैं उनका दिल कभी नहीं दुखाना चाहिए ” कविता ने मुस्कुराते हुए कहा
‌कविता की बात सुनकर पूजा की आंखों में खुशी के आंसू आ गए अब उसके चेहरे आक्रोश की जगह  संतुष्टि के भाव दिखाई दे रहे थे।
तभी अनूप ने कमरे में प्रवेश किया वह कविता का हाथ पकड़कर बिस्तर पर बैठाने लगा तभी उसके सामने पूजा आकर खड़ी हो गई।
अपने सामने अपनी पहली पत्नी की आत्मा को देख अनूप की घिग्घी बंध गई।
पूजा की आत्मा ने कठोर शब्दों में कहा ,”अनूप कविता तुम्हारी पत्नी है इसके साथ पत्नी जैसा व्यवहार करना अगर मेरी तरह इसका हस्र करने की कोशिश की तो तुम किसी भी औरत के पास जाने के काबिल नहीं रहोगे मैं तुम्हें सजा देने आई थी पर कविता के रूप में  मेरी बेटी को उसकी मां मिल गई है यह देखकर मैंने अपनी मौत के लिए तुम्हें क्षमा कर दिया है पर अगर कविता को कुछ हुआ तो मैं तुम्हारा और तुम्हारी मां का वो हाल करूंगी कि, तुम दोनों की आत्मा कांप जाएगी”
” पूजा मैं वादा करता हूं कविता के साथ कभी भी दरिंदगी नहीं करूंगा ” अनूप ने हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाते हुए कहा
“ठीक है अभी तो मैं जा रही हूं पर मेरी बात को हमेशा ध्यान रखना” इतना कहकर पूजा की आत्मा वहां से गायब हो गई
अनूप ने डरते हुए कविता से कहा “कविता तुम थक गई होगी सो जाओ मुझे भी नींद आ रही है “
अपने पति की बात सुनकर कविता के होंठों पर मुस्कान फैल गई
तभी अनूप ने देखा कविता कमरे से बाहर जा रही है
उसे बाहर जाता देखकर अनूप ने डरते हुए पूछा, “कविता तुम कहां जा रही हो !?”
“अपनी बेटी को लेने जा रही हूं अब मेरी बेटी हमारे साथ इसी कमरे में रहेगी” कविता ने आत्मविश्वास के साथ कहा और कमरे के बाहर निकल गई कमरे के बाहर आते ही उसकी नजर अपनी सास पर पड़ी जो उसके कमरे के बाहर खड़ी थीं उनके चेहरे पर भी दहशत के भाव साफ दिखाई दे रहे थे शायद उन्होंने पूजा की धमकी सुन ली थी कविता ने एक व्यंग्यात्मक नजर उन पर डाली और अपनी बेटी के कमरे की ओर बढ़ गई।

अगर आप लोगों को मेरी कहानी पसंद आए तो कमेंट कीजिएगा  धन्यवाद।

डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश

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