आज मीना को ऑफिस से निकलने में देर हो गई।रात के 9 बज रहे थे..बड़ी मुश्किल से घर जाने के लिए कैब मिली।घर से बार बार फोन आ रहे थे इसलिए उसने कैब में बैठते ही पहले फोन किया-“माँ,मैं कैब में बैठ गईं हूँ बस थोड़ी देर में घर पहुंच जाऊँगी।”
ड्राइवर ने गाड़ी उसकी सोसाइटी से थोड़ा पहले ही रोक दी क्योंकि उसे दूसरी सवारी को लेना था।मीना भी कुछ नहीं बोली,उसे लगा चलो घर के पास तो आ ही गई है। पर कहते हैं ना जीवन के रंग बड़े निराले होते हैं।कब कौनसा रंग आपको अनायास ही सराबोर कर दे पता ही नहीं चलता।जैसे ही मीना गाड़ी से उतरी,तीन चार लड़कों ने उसको घेर लिया।सभी शराब के नशे में धुत थे।मीना बहुत
डर गई क्योंकि वो इलाका सुनसान था और वैसे भी रात हो गई थी।उसे कुछ सूझ ही नहीं रहा था कि क्या करे?क्या ना करे? फिर थोड़ी हिम्मत जुटाकर बोली-“आप लोग क्यों मेरा रास्ता रोक रहें हैं?जाने दीजिए प्लीज।”गुंडों ने मीना की एक ना सुनी और उसके साथ गलत करने पर उतारू हो गए।उनपर तो जैसे कामुकता सवार थी।मीना जोर जोर से चिल्लाने लगी..”हेल्प..हेल्प..!!कृप्या कोई मेरी मदद
करो।” सुनसान सड़क पर उसकी आवाज कौन सुनता? इक्का दुक्का गाड़ियाँ निकली भीं तो उन्होंने अनदेखा कर दिया।वैसे भी ऐसे मामलों में कौन आगे आता है?सभी को यही डर रहता है,कि हमारे साथ ही कुछ गलत हो गया तो?
गुंडों की बढ़ती हिम्मत देख मीना को अचानक से अपने पिता की बात याद गई… बेटा हम डर से जितना डरेंगे वो हमें उतना ही डराएगा इसलिए डर से डरना नहीं,लड़ना जरूरी है..!! मीना में जाने कहाँ से इतना साहस आ गया?वो चंडी बन गई।गुंडों से लगभग 10मिनट तक भयानक लड़ाई लड़ने के बाद मीना अपने आपको उनके चंगुल से मुक्त कराने में सफल हो गई।वो बदहवास सी घर की ओर दौड़ी।
घर की जैसे ही घंटी बजाई तो माँ ने दरवाजा खोला।मीना के बिखरे बाल और फटे कपड़े देख उसकी मां घबराकर बोली-” क्या हुआ बेटा?सब ठीक तो हैं ना?तेरे साथ कुछ गलत तो नहीं हुआ?”
मीना माँ से लिपटकर बच्चों की तरह फूट- फूटकर रोने लगी फिर सारी कहानी सुनाई।मीना की माँ उसके पिता को गुस्सा करते हुए बोली-“कहा था ना,बेटी की शादी कर दो पर नहीं..आपको तो उसकी खुशी से मतलब था।बेटी को नौकरी करने की इजाजत दे दी।आज उसके साथ कुछ गलत हो जाता तो ?”
“मीना की माँ..हम ऐसे डरकर कब तक बेटियों घर पर बिठाकर रखेंगे?शादी कर देना ही इस समस्या का हल नहीं है।शादी के बाद भी क्या वो सुरक्षित रहेंगी इसकी क्या गारंटी?बेटियों को ऐसी स्थितियों से लड़ने की सीख और हिम्मत देनी चाहिए ताकि वो भविष्य में अपनी रक्षा स्वयं कर सकें क्योंकि ऐसी घटनाएं उनके साथ कभी भी कहीं भी घट सकती हैं।”मीना के पिता ने बड़ी ही सहजता से अपनी बात रखी तो मीना ने भी उनका समर्थन किया।
“मां,पापा सही कह रहें हैं।आज इनकी इसी सीख ने ही मुझे गुंडों के साथ लड़ने की हिम्मत दी वर्ना मेरे साथ भी गलत हो सकता था।वो काली रात यही सिखा गई,कि बेटियों को अब कमजोर नहीं बनना है बल्कि उनको ऐसी स्थितियों से लड़ने के गुर सीखने होंगे।” मीना आत्मविश्वास के साथ बोली।
#काली रात
कमलेश आहूजा