दहेज – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

सुधीर, सुधीर कहाँ हो? चिल्लाते हुए सीमा अपने पति के पास पहुंची,जो अपने दोस्तों से गप्पे लड़ा रहा था। उसे दोस्तों के साथ देखकर गुस्साते हुए बोली “कब से तुम्हें बुला रही हूँ, सुनाई नहीं दे रहा, बहरे हो? लगता है मेरे पापा ठगे गए है।” यह सुनकर सुधीर सीमा को आँखे दिखाते हुए बोला “क्या कह रही ही? वैसे तुम यहाँ क्या कर रही हो? जाओ जाकर स्टेज पर बैठो।

” सीमा के कुछ बोलने के पहले ही सभी दोस्त चुटकी लेते हुए बोले “अरे, यार जाओ भाई भाभी को तुम्हारी जुदाई बर्दास्त नहीं हो रही है। अब तो हम दोस्तों से बात करने के पहले हाई कमान से परमिशन लेनी होगी।” सबके सामने अपना मजाक बनते देखकर सुधीर झेप रहा था। उसे गुस्सा भी आ रहा था पर करता क्या,

चुपचाप सुन रहा था। तभी सीमा को स्टेज पर नहीं देखकर उसे ढूंढते हुए उसकी सास और ननद वहाँ आ पहुंची। सीमा को सुधीर के दोस्तों से बात करते हुए देखकर गुस्साते हुए उसकी सास बोली “बहू तुम यहाँ क्या कर रही हो? सारे मेहमान तुम्हारा इंतजार कर रहे है और तुम यहाँ हँसी मज़ाक कर रही हो। चलो, चुपचाप चल कर स्टेज पर बैठो।

लोग क्या सोचेंगे? बहू अपने बहूभोज की पार्टी मे पति के दोस्तों से गप्प लड़ा रही है।” दोस्तो ने फिर कहा “आंटी भाभी को क्यों डांट रही है? बेचारी से अपने पति को देखे बिना एक पल भी नहीं रहा जा रहा है।” यह कहकर सभी हसँने लगे। साथ ही में कुछ मेहमान जो इनको ढूंढते हुए वहाँ पहुंच गए थे उन्होंने भी ठहाके लगाए।

अपना मज़ाक बनते देखकर सभी झेप रहे थे, पर सीमा के मुख पर ज़रा भी शर्म की लाली नहीं दिखाई दे रही थी। देखते-देखते सारे मेहमान वहाँ इकट्ठे हो गए। किसी को समझ नहीं आ रहा था कि यहाँ हो क्या रहा है? बहूभोज के लिए बने स्टेज की जगह पुरा परिवार यहाँ क्यों इकट्ठा है।

सुधीर के पिताजी जो अपने दोस्त को उसकी गाड़ी तक छोड़ने गए थे, उन्होंने अंदर आने पर देखा कि सभी एक जगह पर इकट्ठा है तो वह भी वहाँ पहुँचे। उन्होंने पहुंचते ही पूछा “यहाँ क्या हो रहा है? सभी यहाँ क्यों इकट्ठा हुए है?” सुधीर के दोस्त हँसी मे कुछ कहने ही जा रहे थे कि सीमा ने उन्हें रोकते हुए कहा “नहीं भैया आप लोग सही बात नहीं समझे है।

मैं बताती हूँ कि मैं सुधीर को क्यों ढूंढ रही थी। ऐसा है कि पापा बहुत देर तक स्टेज पर बैठने और तेज़ म्यूजिक के कारण मेरे सर मे दर्द हो रहा था, साथ ही साथ प्यास भी लगी थी तो एक गिलास पानी और अपना सर दबवाने के लिए सुधीर को ढूंढ रही थी।” यह सुनते ही सुधीर के पापा चिल्लाते हुए बोले, बहू पागल हो गई हो क्या? सुधीर तुम्हारा सर दबाएगा?

इस पर हँसते हुए सीमा ने कहा “पागल क्यों होंगी और आप मना करने वाले होते कौन है? क्या मेरे पापा ने आपकी माँग के अनुसार पूरे पैसे नहीं दिए थे? आपने पुरे पैसे लेकर अपने बेटे को मेरे पापा को बेचा है तो आप किस हक से हमारे बीच मे दखल दें रहे है?”  यह सुनते ही उसके ससुर जी ने बोला “बहू तुम यह क्या कह रही हो?

कुछ कहना भी है तो घर मे कहना। पुरे समाज मे इस तरह से हमारी बेइज्जती क्यों कर रही हो?” “वाह! पापा, आपकी बेइज्जती, बेइज्जती और मेरे पापा की बेइज्जती कुछ नहीं। मेरे पापा ने आपकी हर माँग पूरी की है फिर भी मंडप खोलते वक़्त अंगूठी देने पर आपने पुरे समाज के सामने कितना हंगामा किया

और कहा कि जब तक चेन नहीं देंगे तब तक विदाई नहीं होगी। तब क्या मेरे पापा की अपने समाज के सामने बेइज्जती नहीं हुई?  अब अपने वक़्त इज्जत याद आ रहा है। मेरे पापा ने आपकी हरेक माँग पूरी की है, इसलिए अब सुधीर सिर्फ मेरा है और मैं कल ही इसे लेकर अलग रहने चली जाउंगी।

सभी सर झुकाकर चुप खड़े थे क्योंकि बहू सही ही कह रही थी 

 

मुहावरा – टका सा मुँह लेकर रह जाना

लतिका पल्लवी

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