चुभती बातों का जवाब मुस्कान – मधु पारीक : Moral Stories in Hindi

राजेश एक मध्यमवर्गीय परिवार का जिम्मेदार बेटा था। शहर में नौकरी करता था और महीने में एक बार गाँव अपने माता-पिता से मिलने आता। गाँव के माहौल में अपनापन तो था, लेकिन पड़ोस की चाची, मिसेज शर्मा, हर बात में टांग अड़ाने और जली-कटी सुनाने की उस्ताद थीं। 

 हर बार राजेश गाँव आता, तो चाची “अंगारे से उगलती” अरे वाह, शहर वाले बाबू आए हैं! 

अब तो गाड़ी भी हो गई तुम्हारे पास? पर सुना है प्रमोशन नहीं हुआ अभी तक?”  

राजेश मुस्करा देता।  

एक दिन चाची ने उसकी माँ से कह दिया – “बहू तो अभी तक नहीं आई? इतने साल हो गए। कहीं कोई दिक्कत तो नहीं लड़के में?” माँ को ठेस लगी, पर राजेश ने माँ का हाथ थाम लिया और बोला – “चाची, बहू जब आनि होगी तब आजाएगी। लेकिन हम दिखावा नहीं करते, सही समय पर सही रिश्ता मिल जाएगा । 

शादी फैशन नहीं, समझदारी है।”  

चाची चुप हो गईं, लेकिन उनका जली-कटा बोलना बंद नहीं हुआ।  

अगली बार राजेश गाँव आया तो हाथ में एक किताब थी – “How to Stay Positive in a Negative World.” चाची ने देखा और तुरंत बोलीं – “अब किताबों से क्या मिलेगा? असली जीवन तो हम जीते हैं, तुम तो बस दिखावा करते हो।”  राजेश मुस्कराया, और बोला – “सही कहा चाची। आप जैसे असली लोगों से ही तो हम सीख रहे हैं कि क्या नहीं करना चाहिए। इसलिए ये किताब पढ़ रहा हूं– ताकि जवाब नहीं, मुस्कान दूं।”  सन्नाटा छा गया।  उस दिन पहली बार चाची ने कोई जली-कटी बात नहीं कही। 

शायद उन्हें समझ आ गया कि सामने वाला अगर शांत और समझदार हो, तो कड़वे शब्द खुद-ब-खुद फीके पड़ जाते हैं।  

शिक्षा: जली-कटी सुनाना आसान है, लेकिन उसका जवाब मुस्कान और समझदारी से देना बड़ी ताकत है। रिश्तों को कटुता से नहीं, नम्रता से सँभाला जाता है।  

मधु पारीक ।**

मुहावरा – #अंगारे उगलना

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