शशि बैंक मैनेजर था।उसकी शादी हुए कुछ ही दिन हुए थे कि उसका तबादला जमशेदपुर हो गया। सोमवार को उसे ड्यूटी ज्वाइन करनी थी
इसलिए वह अकेले ही वहां चला गया और मां शांति जी से कहा कि शह सारा इंतजाम करके आएगा और अपनी मां शांति देवी और पत्नी राधा को ले जाएगा।
सारा इंतजाम हो जाने पर वह मां और पत्नी को वहां ले गया।जगह अच्छी थी। आसपास का वातावरण शांत था।
मोहल्ले के पास ही पार्क था, जहां बच्चे खेल रहे थे।
जब वे अपने मकान मे सामान रख रहे थे तो पहले माली आया और उसने बताया की वही बगीचे की देखभाल करता है।
धीरे-धीरे आसपास के लोग उनसे मिलने आने लगे और कहने लगे, यदि किसी चीज की जरूरत हो तो आप अवश्य
ही कहिएगा।बाकी सब तो ठीक थे पर शाम के समय एक आदमी आकर कहने लगा -यदि नौकर की आवश्यकता हो
तो उसे रख ले।
शशि ने सोचा -पहले उसके बारे मे सारी जानकारी ले लें,
तभी उसे काम पर रखेंगे।
दूसरे दिन शांति देवी के पास जब वह दोबारा आया तो उन्होंने उसे कहा -कालू तुम पहले बाहर की अच्छी तरह सफाई करो?
माली ने जब उस मजदूर को देखा तो राधा से कहने लगा –
आप सोच समझकर उसे रखना
राधा ने कहा -छोटा मुंह और बड़ी बात कह रहे हो,इस पर माली ने कहा -आपको सचेत कर दिया है।वास्तव मे वह
एक चोर है जो मीठी मीठी बातें कहकर अपना काम निकाल लेता है और मौका मिलते ही चोरी कर लेता है।
आज भले ही आप मुझे छोटा मुंह बड़ी बात कहकर मेरा अपमान करे?
आपको सावधान करना मेरा काम था। इतना कहकर माली चला गया। शांति देवी को माली की बातें सच्ची लगी और
उन्होंने उस मजदूर को रुपए देते हुए कहा -हमे कंपनी वालों ने घर के काम करने के लिए लोग मिल गये हैं।
स्वरचित
आर कान्ता नागी