फूल चुभे कांटे बन – भाग 7 – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi
मधु के अन्दर जाते ही रीमा भाभी मुंह बनाकर बड़बड़ाने लगी “मुझे क्या पड़ी है दूसरों के घरों में आग लगाने की मैंने तो तुम्हारा भला सोच कर तुम्हें आगाह करना चाह अब तुम भाड़ में जाओ मेरी बला से कल देख लेना अगर सिर पर हाथ रखकर तुम न रोईं तो मेरा नाम भी … Read more