अकेली – गीतू महाजन : Moral Stories in Hindi
“चटाक”, एक झन्नाटेदार तमाचे की आवाज़ आई और रूपेश अपना गाल सहलाता हुआ धम्म से पलंग पर बैठ गया। “दर्द हुआ, ऐसे ही दर्द होता है मुझे..जब तुम अपना हाथ मुझ पर उठाते हो”, मालती गुस्से से चिल्ला उठी थी। “अभी निकल जा मेरे घर से…अभी के अभी..तेरे जैसी औरत को मैं एक पल भी … Read more