विश्वास खोते देर नहीं लगती – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

मां अब चलो हमारे साथ पापा नहीं रहे तो तुम कैसे अकेले रहोगी यहां श्यामली जी का बेटा मयंक बोला ।अकेले इतने सालों से अकेले ही तो रह रही थी ।हां यह जरूर था कि पापा थे अभी तक साथ। लेकिन हम दो लोगों के साथ रहते हुए भी एक अकेलापन था इस घर के … Read more

 विश्वास को खोते देर नहीं लगती – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

 विश्वास को खोते देर नहीं लगती आज मौसम बड़ा ही सुहाना था । शाम भी ढ़ल आई थी।आसमान में उड़ते परिंदे भी अपने अपने आशियाने को लौट रहे थे , मगर मेरा मन कहीं और उड़ा जा रहा था । आज से तकरीबन अठाईस साल पहले की प्यार भरी गलियों की ओर । मुझे आज … Read more

विश्वास को खोते देर नहीं लगती – एकता बिश्नोई : Moral Stories in Hindi

सीमा ने दरवाजा खटखटाया ।”खोलती हूंँ… कौन…?”आवाज के साथ दरवाजा खुला..। उसकी बड़ी बहन रीमा ने दरवाजा खोला।”अरे..! सीमा आज सुबह-सुबह कैसे…?”” ऐसे ही दी..बस..आपसे और गौरी से मिलने का मन किया तो चली आई.. क्यों बिना बताए नहीं आ सकती क्या.”. “नहीं..ऐसी तो कोई बात नहीं है..।” कहते हुए रीमा कुछ झिझकी।” ” गौरी … Read more

विश्वास खोते देर नहीं लगती – मधु वशिष्ठ : Moral Stories in Hindi   

जतिन और प्रिया का विवाह हुए अभी केवल 5 महीने ही हुए थे परंतु घर के तो रंग ढंग   ही बदल गए थे । वर्मा जी के साधारण से संयुक्त परिवार में उनके तीन बेटे थे। उनके दो बेटों का विवाह  हो चुका था। और उनके बड़े बेटे के दो बेटे और छोटे के एक … Read more

विश्वास को खोते देर नहीं लगती – विधि जैन :

रूही ने बी फार्मा किया जब बी फार्मा किया तो उसके लिए बहुत अच्छे-अच्छे रिश्ते आने लगे मम्मी ने कहा कि अब तुम एम फार्मा नहीं कर पाओगी रिश्ते बहुत अच्छे आ रहे हैं रूही ने भी मन बना लिया कि अच्छे रिश्ते आ रहे हैं और मुझे मां-बाप पढ़ाई करने नहीं देंगे और घर … Read more

विश्वास को खोते देर नहीं लगती। – लक्ष्मी त्यागी : Moral Stories in Hindi

रामप्यारी, बहुत दिनों से नहीं बल्कि सालों से खन्ना जी के यहां काम करती आई है। खन्ना के परिवार में जैसे घुल- मिल गई है, वे लोग भी उसे, नौकरानी नहीं, परिवार का ही एक सदस्य समझते हैं। खन्ना का परिवार भी, उसकी उम्र के हिसाब से उसे, सम्मान भी देते हैं।   कभी भी … Read more

विश्वास की पक्की डोर – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

   प्रथम और उत्सव दो जुड़वा भाई, प्रथम ,उत्सव से दो मिंट बड़ा, तो उसका नाम प्रथम और दूसरे का उत्सव क्योंकि उत्सव जैसा माहौल हो गया था। छोटे से कस्बे में रहने वाले दीपक के घर तो जैसे सचमुच ही उजाला हो गया। शादी के दस साल बाद पैदा हुए थे, लड़कियां भी होती तो … Read more

“विश्वास टूटते देर नहीं लगती” – ज्योति आहूजा : Moral Stories in Hindi

गर्मी की दोपहर थी, पर सरिता जीका मन कुछ और ही तप रहा था। वह आँगन के कोने में बैठी नीम के नीचे रखी कुरसी पर अधलेटी सी थी। पंखा चल रहा था, लेकिन उसके भीतर जो उफान था, वह किसी हवा से नहीं थमता। उसके सामने टेबल पर वही पुराना खत रखा था जो … Read more

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