ये बंधन सिर्फ कच्चे धागों का नहीं है – लक्ष्मी त्यागी : Moral Stories in Hindi

कल्पिता मन ही मन खुश हो रही है ,’श्रावण मास’ जो चल रहा है ,इन दिनों’ शिवपूजन’ के साथ -साथ’ हरियाली तीज ‘ उसके पश्चात’ रक्षाबंधन’ भी आती है। कल्पिता मन ही मन गुनगुनाने लगती है -”अब के बरस भेजो ,भैया को बाबुल सावन में लीजो बुलाए !” जब से विवाह करके अपनी ससुराल आई … Read more

अदृश्य सूत्र – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

सुबह की धूप ने ‘रामू टी स्टॉल’ के जर्जर शटर पर सोने की धारियाँ खींच दीं। अंदर, रामशरण शर्मा, ‘रामू काका’ के नाम से मशहूर, अपनी कहानियों से भी पुरानी उम्र के स्टील के केतली को घिस रहे थे। उनकी आँखों में जीवन की राख-सी उदासी थी। पचास साल की चाय बेचने की रस्म अदायगी … Read more

“ये बंधन कच्चे धागों का नहीं है – समिता बडियाल : Moral Stories in Hindi

माँ , इस बार आप राखी पर मामा के घर नहीं जाओगे , अभिषेक ने अपनी माँ सुशीला जी से कहा। सुशीला जी बोलीं , बेटा अभि , ये रिश्ते बहुत नाज़ुक होते हैं , एक बार बिखर गए तो बिखर गए। फिर जितना भी संभालो , नहीं संभलते। अभिषेक माँ का हाथ पकड़ कर … Read more

यह सिर्फ़ कच्चे धागों का बंधन नहीं है – मीनाक्षी गुप्ता : Moral Stories in Hindi

सुबह के सात बज रहे थे. शादी के मंडप में गेंदे और गुलाब की भीनी ख़ुशबू तैर रही थी. अर्जुन और प्रिया एक नई ज़िंदगी की शुरुआत करने के लिए बैठे थे. अर्जुन की पहली पत्नी की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी, जिसके बाद वह अपने बेटे नमन के साथ अकेला रह … Read more

कच्चे धागे, पक्के रिश्ते – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

    “ बेटा अभि, मुझे तुझसे कुछ बात करनी है, फरी है तो आ बैठ मेरे पास, कुछ देर के लिए”। हंसराज ने बिस्तर पर बैठे बैठे ही बेटे को आवाज दी।        अभि ने सुना या नहीं, लेकिन रसोई में काम कर रही सोनिया के कान जरूर खड़े हो गए।     “ अभी आया पिताजी, अभि ने … Read more

ये बँधन सिर्फ़ कच्चे धागों के नहीं हैं – के कामेश्वरी

शारदा कमरे से अपना और प्रदीप का आवश्यक सामान निकालकर बाहर हाल में एक जगह रख रही थी ।  प्रदीप ने कहा शारदा इतनी मेहनत क्यों कर रही है…….  इतना समझ लो कि तुम्हें कुछ हो गया तो तुम्हारी मदद करने कोई नहीं आएगा । वे हमारे ही बच्चे हैं जी ….. वे साल दो … Read more

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