#मैं भी तो एक बेटी हूं – वीणा सिंह

शुभा फोन है सिया का रोहित ने किचेन में मोबाईल ला के दिया… सिया खुशी से चहकती शुभा  से बातें करने लगी…     शादी के बाद  सिया अपना पहला वट सावित्री व्रत करने मायके आ रही थी और मनुहार कर रही थी बुआ तुम आओ ना साथ में व्रत करेंगे खूब मजा आयेगा… शुभा सिया की … Read more

बेटी – खुशी

सावित्री एक भरे पूरे परिवार का हिस्सा थी पति राघव तीन बेटे विवेक, विनय और मौलिक तीनों बेटों पर सावित्री को बड़ा गर्व था ।वो सबसे यही कहती मेरे बेटे तो राम लक्ष्मण है तीनों  एक दूसरे के पूरक है। मैं कौशल्या बच्चे फर्माबदार है ये सोच राघव और सावित्री खुश रहते। सावित्री गाहे बगाहे … Read more

मैं भी तो एक बेटी हूं – सुदर्शन सचदेवा

शाम के पाँच बज रहे थे। बारिश की हल्की-हल्की बूँदें छत पर पड़ते हुए एक अजीब-सी बेचैनी पैदा कर रही थीं। डोरबेल बजी, और गीता ने दरवाज़ा खोला। सामने एक लड़की खड़ी थी—भीगी हुई, डर से कांपती, और आँखों में अजीब-सा दर्द। “आंटी… क्या मैं अंदर आ सकती हूँ? मैं… मैं और कहीं नहीं जा … Read more

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