बिटिया का घर बसने दो -डॉ० मनीषा भारद्वाज :

 Moral Stories in Hindi शाम की सुनहरी धूप ने शालिनी के कमरे की खिड़की पर सोना उंडेला था। वह अपनी नोटबुक में कुछ गणित के सूत्रों में खोई हुई थी, जब उसकी माँ, सुधा, दरवाजे पर आईं। उनके चेहरे पर एक विचित्र-सी मिश्रित चमक थी – खुशी के नीचे छिपी एक गहरी चिंता। “बेटा,” सुधा … Read more

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