बच्चों को कभी ना भी कहना आना चाहिए – गीतू महाजन : Moral Stories in Hindi

रति के सास ससुर गांव से लगभग साल भर बाद उसके घर आए थे।रति अपने पति विजेंद्र के साथ दिल्ली में रहती थी और उसका पति एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करता था।वैसे तो उसके ससुर की गांव में बहुत बड़ी ज़मीन जायदाद थी लेकिन उसके पति को इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद नौकरी करना … Read more

आत्म सम्मान – बीना शर्मा :  Moral Stories in Hindi 

“मोनिका जल्दी से खाना बना दो बहुत तेज भूख लग रही है” माधव ने जब अपनी पत्नी मोनिका से कहा तो उसकी पत्नी मोनिका बोली “आज मेरी तबीयत ठीक नहीं है और वैसे भी मैं खाना अच्छा नहीं बनाती इसलिए आज तुम मम्मी जी, रश्मि या फिर काजल से अपने लिए खाना बनवा लो जिनके … Read more

अब और नहीं – श्वेता अग्रवाल :  Moral Stories in Hindi

आँगन में तुलसी का चौरा, दीवार पर टंगी घड़ी की टिक-टिक और रसोई से आती सब्ज़ी की हल्की-सी ख़ुशबू… यही था वह घर, जहाँ सबकी चहेती खुशी रहती थी। नाम के अनुरूप सबको खुशियाँ बाँटने वाली। कोई काम कह दो, तो तुरंत हाज़िर। कोई ज़िम्मेदारी सौंप दो, तो पूरी शिद्दत से निभाने वाली। खुशी हमेशा … Read more

सेर पर सवा सेर – लतिका पल्लवी :  Moral Stories in Hindi

माँ आज रात के खाने में क्या बनाऊ? जो तुम्हारा मन करे वह बना लो बहू।इतनी छोटी बात के लिए मुझसे क्या पूछना है।ठीक है माँ तो आलू पराठा और प्याज़ का रायता बना ले रही हूँ। ठीक है माँ जी? जाती हूँ तैयारी करने, आलू कुकर में उबलने को रख देती हूँ। फिर चाय … Read more

प्राईवेसी भी जरूरी है – विमला गुगलानी :  Moral Stories in Hindi

       सुरूचि की शादी तय हो चुकी थी,वैसे तो  एंकाश से उसकी अरैंज मैरिज थी, लेकिन शादी से पहले वो तीन चार बार मिलकर आपस में कई बातें कर चुके थे। दोनों की उम्र ही परिपक्व ,तीस से ऊपर थी, एक दूसरे के परिवार के बारे में , उनकी पंसद, नापंसद को अच्छे से जानने की … Read more

भेदभाव-मनीषा सिंह

जिद नहीं करते बहू! चलो घर चले••!  नहीं पिताजी! हम लोगों की उस घर में कोई कदर नहीं और जहां इज्जत नहीं वहां जाने से क्या फायदा•••? कहते शीतल की आंखों में आंसू आ गए।   “मुझे अपनी गलती का एहसास हो चुका है” तभी तुम लोगों को वापस लेने के लिए आई हूं! चलो घर … Read more

 मुँह में ज़बान – विभा गुप्ता

   ” ये क्या बहू, तूने मिसेज़ पंडवानी को मना क्यों नहीं कर दिया।जब देखो कटोरा लेकर कभी चीनी तो कभी दही माँगने चली आती है।चार बार तो मेरे सामने ही आ चुकी है..पीछे में तो…।” निर्मला जी अपनी बात पूरी कर पाती, उससे पहले ही रजनी बोल पड़ी,” जाने दीजिये ना मम्मी, पड़ोसी ही तो … Read more

मोह मायके का – रश्मि प्रकाश 

“ क्या बात है बहू कब से तुम्हें आवाज़ दे रही हूँ तुम सुन ही नहीं रही हो और अब देखो यहाँ बैठकर ना जाने किन ख़्यालों में खोई हुई हो… क्या बात है परेशान लग रही हो?” सुनंदा जी अपनी बहू अवनी से बोली  “ मम्मी जी आपको तो पता ही है मायके में … Read more

गऊ – गीता वाधवानी

” देवकी के पापा, मुझे तो देवकी की बहुत चिंता हो रही है,विवाह तो कर दिया हमने उसका, परंतु इतनी सीधी लड़की ससुराल में कैसे रहेगी,ना जाने इतनी सीधी गाए जैसी लड़की, आज के कलयुग में कैसे पैदा हो गई, इसे तो सतयुग में पैदा होना चाहिए था,ना मुंह में जुबान और ना हाथों को … Read more

रिश्ते भावनाओं से निभाये जाते हैं – डॉ बीना कुण्डलिया 

आज बेला जी भीतर से आनंदित आँगन में बैठी गुनगुना रही उनकी बहु माया रसोईघर में व्यस्त तभी फोन की घंटी घनघनाती है। बहु माया दौड़कर फोन उठाती है… हाँ,हाँ क्यों नहीं कैसी  बात करती हो । जरूर आओ मानसी इसमें पूछने वाली क्या बात हुई भला ? तुम्हारा ही घर है जब मर्जी चली … Read more

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