निरादर – विनीता सिंह
सुबह का समय था, सूरज की किरणें चारों दिशाओं में फैल रही थी ।रेखा अपने कमरे में बडे बेमन से, एक सरल सी साड़ी पहनकर तैयार हुई। मां ने कहा बेटी तुम्हारा लंच रख दिया, इसे अपने पर्स में रख लो ।रेखा ने कहा ठीक है मां मैं जाती हूं मां बोली बेटा नाश्ता तो … Read more