निरादर – विनीता सिंह

सुबह का समय था, सूरज की किरणें चारों दिशाओं में फैल रही थी ।रेखा अपने कमरे में बडे बेमन से, एक सरल सी साड़ी पहनकर तैयार हुई। मां ने कहा बेटी तुम्हारा लंच रख दिया, इसे अपने पर्स में रख लो ।रेखा ने कहा ठीक है मां मैं जाती हूं मां बोली बेटा नाश्ता तो … Read more

निरादर – मधु वशिष्ठ

इलेक्ट्रिक तंदूर में बनी हुई अपनी पसंद की भिंडी, रोस्टेड बैंगन, कम घी का इस्तेमाल करके भी कितने स्वाद लग रहे थे। नए फ्रिज में जमाई हुई आइसक्रीम, 4 बर्नर वाला चूल्हा, नए सामान से सजा हुआ पूरा घर और मुस्कुराती सी प्रिया,जब तक प्रिया उनके साथ रही, शायद ही कभी उसके चेहरे पर ऐसी … Read more

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