पिता की मजबूरी : नैतिक या अनैतिक – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

मनोज के घर पर सभी नई बहू का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। मनोज का बारात कल पटना से मिथिलाँचल के एक गाँव मे गया था। कल विवाह था और आज नई बहू को लेकर बारात लौटनी थी। महिलाएं बहू की स्वागत की तैयारी कर के अब इंतजार कर रही थी कि कब बहू … Read more

आखिर तिरस्कार कब तक – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

शिवानी अपनी नन्ही सी परी को लेकर रेलवे स्टेशन पर बैठी थी और सोंच रही थी अब क्या करूं कहां जाऊं कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा है । मां को फोन करूं, फिर मन से आवाज आई अरे नहीं इतनी रात को फोन सुनकर मां परेशान हो जाएगी।और जिस घर में खुद मां को … Read more

तिरस्कार कब तक – बीना शुक्ला अवस्थी : Moral Stories in Hindi

************* रवीश घर के दरवाजे की ओर एकटक देख रहा था। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उसकी पत्नी भार्गवी और नीलाक्ष उसे अकेला छोड़कर चले गये हैं। पिच्चासी साल की अवस्था वाली अपनी बूढ़ी मॉ को सम्हाले या सेवा निवृत्त के बाद की अपनी जिन्दगी को। आज अनुभव हुआ कि भार्गवी तो … Read more

तिरस्कार कब तक – निमीषा गोस्वामी : Moral Stories in Hindi

अरे ओ बाबू कहां है रे तूं अरे तुझे मालिक ने बुलाया है। मालिक के घर मेहमान आ रहे हैं। हरीराम साफी को हिलाते हुए घर के अन्दर आते हैं । बापू को देखते ही।”नहीं मै नहीं जाऊंगा मुझे मालिक के घर काम करना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता मां”तूं बोल न बापू से मुझे … Read more

तिरस्कार कब तक – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

कहते हैं हद किसी भी चीज की अच्छी नही होती न धूप को न बारिश की न हवा की न अपमान तिरस्कार की। कभी कभी आदमी अपमान को अपनी किस्मत समझ लेता है और उसे बदलने की जगह उसी हालात में जीने की आदत डाल लेता है। मगर कभी कभी ये तिरस्कार आपके लिए नई … Read more

तिरस्कार कब तक – पूनम भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

जैसे ही कप उठाते हुए, छवि का पांव मयंक के पांव से टकराया कप छलक कर ट्रे में गिर गया तो मयंक दोस्तों के बीच(जिसमें दो महिला मित्र भी थी)  लगभग चिल्लाते हुए बोला..दिखाई नहीं देता.. अंधी हो क्या…मूर्ख …कहां से पल्ले पड़ गई ?? सबके बीच मयंक को यूं चिल्लाते देख ..जी सॉरी, सॉरी … Read more

“तिरस्कार कब तक” – सुरेश कुमार गौरव : Moral Stories in Hindi

पात्र परिचय: गौरव – एक संवेदनशील, संघर्षशील शिक्षक, साहित्यप्रेमी, जिनका जीवन सादगी, आदर्श और सामाजिक मूल्यों से प्रेरित है। सुमन – गौरव की जीवनसंगिनी; सादगी, सहनशीलता, आत्मसम्मान और संस्कृति की जीती-जागती मिसाल। समाज – एक अमूर्त परंतु मुखर पात्र, जो बाह्य चकाचौंध को ही आदर्श मानकर आडंबरहीनता का उपहास करता है। कहानी: सन् 1996, पटना … Read more

तिरस्कार कब तक – नीलम शर्मा : Moral Stories in Hindi

हरवंश चौधरी जी का फोन लगातार बजता ही जा रहा था। पर क्योंकि दो दिन पहले ही उन्होंने अपनी बेटी श्रेया की शादी की थी। तो उसकी थकान की वजह से वह नींद से जाग नहीं पा रहे थे। पर जब लगातार फोन की घंटी बजती रही तो मिसेज चौधरी उठी। उनकी आंखें भी नींद … Read more

दूसरी विदाई (अर्चना सिंह) : Moral Stories in Hindi

निरुपमा जैसे ही ससुराल की दहलीज पर पहुँची वहाँ के रंग रौनक और शान-ओ- शौकत देखकर दंग थी । उसकी उम्र यही कोई बाइस – तेईस के लगभग होगी । पहली शादी तो बीस वर्ष होते ही हो गयी थी , वहाँ भी धनी सम्पन्न परिवार ही था लेकिन पति के साथ निरुपमा की निभ … Read more

निर्णय – निभा राजीव”निर्वी” : Moral Stories in Hindi

श्रद्धा दृष्टि झुकाए मेज पर पड़े प्लेट में खाने से चम्मच से जैसे खेल भर रही थी। वह ऊपर से शांत थी परंतु अंतस में जैसे कोलाहल मचा हुआ था। झुकी दृष्टि से भी सम्मुख बैठे अजय की गहरी दृष्टि जैसे उसे अंतर को भेदती हुई प्रतीत हो रही थी।  अजय ने फिर एक-एक शब्द … Read more

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