जहर का घूंट पीना – मीनाक्षी गुप्ता

 एक बड़े से शहर के बीच में कहीं एक छोटा-सा घर था। इस घर में राधा अपने पति रमेश और तीन मासूम संतानों— गीता (9), कोमल (7) और अमन (5)— के साथ रहती थी। एक समय था जब यह लोअर-मिडिल क्लास परिवार सुख-शांति से भरा था। रमेश एक कंपनी में काम करता था, पर उसकी … Read more

क्या यही संस्कार है –

रात के सन्नाटे में रिया खिड़की के पास बैठी थी। बाहर बारिश की बूंदें काँच पर दस्तक दे रही थीं, लेकिन उसके भीतर जो तूफ़ान चल रहा था, वह किसी को सुनाई नहीं दे रहा था। शादी को तीन महीने ही हुए थे, पर इन तीन महीनों में उसने जितनी बातें सीखी थीं, उतनी शायद … Read more

खबर – पुष्पा कुमारी “पुष्प”

“मम्मी जी!. आजकल सुनैना काकी हमारे घर नहीं आती है,.ऐसा क्यों?” उस घर की इकलौती बहू राधिका ने आज हिम्मत कर अपनी सास से पूछ लिया और अपनी बहू की बात सुनकर प्रभाजी अचानक चिढ़ गई.. “वह ना ही आए तो भला!” सुनैना काकी के प्रति अपनी सास की कुढ़न देख राधिका के चेहरे पर … Read more

ज़हर का घूंट – सुदर्शन सचदेवा

सिया की आँखों में आँसू नहीं थे, बस खामोशी थी। वही सिया, जो कभी हँसी से घर भर देती थी, आज चुपचाप रसोई की खिड़की से बाहर झाँक रही थी। शादी को पाँच साल हुए थे, पर खुशियाँ जैसे किसी पुराने एलबम में कैद हो गई थीं। पति रवि दिन-रात ऑफिस और दोस्तों में व्यस्त, … Read more

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