ज़हर का घूंट – सुदर्शन सचदेवा
सिया की आँखों में आँसू नहीं थे, बस खामोशी थी। वही सिया, जो कभी हँसी से घर भर देती थी, आज चुपचाप रसोई की खिड़की से बाहर झाँक रही थी। शादी को पाँच साल हुए थे, पर खुशियाँ जैसे किसी पुराने एलबम में कैद हो गई थीं। पति रवि दिन-रात ऑफिस और दोस्तों में व्यस्त, … Read more