अधूरा सत्य – लतिका पल्लवी  

रवीश ऑफिस से आया तो उसनें देखा कि घर का दरवाजा पूरा खुला हुआ है।वह यह कहते हुए अंदर गया कि दरवाजा खुला क्यों है? अँधेरा हो गया है कोई अंदर घुस जाएगा और कुछ दुर्घटना घट जाएगी तभी सब को समझ आएगा। तभी उसकी भाभी की आवाज आई भैया बत्ती जला दीजिए और ज़रा … Read more

कीचड़ उछालना – डोली पाठक 

रिटायरमेंट के बाद नर्मदेश्वर जी पत्नी समेत अपने पैतृक गांव में आकर बस गए…  अपनी जिंदगी के लगभग आधे से अधिक दिन उन्होंने शहरी परिवेश में बिताया था अतः गांव के माहौल में उन्हें बड़ी समस्या होती थी…  मसलन बिजली, पानी…  नर्मदेश्वर जी को कभी-कभी वो सारे काम भी बेहद खटकते थे जो उन्होंने किए … Read more

इतना घमंड अच्छा नहीं – विभा गुप्ता 

     ” नैन-मटक्का करने से फ़ुरसत मिल गई..।कोचिंग के बहाने मैडम खूब गुलछर्रे उड़ा रही हैं।देख लेना राधिका..तेरी ये बेटी एक दिन हम सबका मुँह काला करके ही छोड़ेगी..।” अपनी देवरानी की बेटी तन्वी को कोचिंग सेंटर से वापस आने पर सुगंधा ने उस पर कटाक्ष किया।         धनाड्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली सुगंधा को अपने … Read more

कीचड़ उछालना – लक्ष्मी त्यागी

बचपन में, हमारे बड़े कहा करते थे —“किसी पर कीचड़ उछालोगे, तो उसके छींटे अपने ऊपर भी पड़ेंगे।” किन्तु कुछ लोग भ्र्म में जीते हैं ,जैसे वो सही हैं ,और हमेशा ही ऐसे रहने वाले हैं किन्तु उन्हें सच्चाई का एहसास तब होता है जब उन पर स्वयं उस कीचड़ के छींटे पड़ते हैं।  चारु … Read more

कीचड़ उछालना – लक्ष्मी त्यागी

“बचपन में, हमारे बड़े कहा करते थे —“किसी पर कीचड़ उछालोगे, तो उसके छींटे अपने ऊपर भी पड़ेंगे।” किन्तु कुछ लोग भ्र्म में जीते हैं ,जैसे वो सही हैं ,और हमेशा ही ऐसे रहने वाले हैं किन्तु उन्हें सच्चाई का एहसास तब होता है जब उन पर स्वयं उस कीचड़ के छींटे पड़ते हैं।  चारु … Read more

लक्ष्य पर नजर – विमला गुगलानी

  चेतराम और मनसा राम दो भाई एक ही घर में पले बढ़े। तीन बहनें भी थी। समय के साथ सबके अपने परिवार हो गए। गांव में अपना घर और जमीन थी। मां बाप के मरने के बाद बंटवारा हो गया। आज भी बहुत कम बेटियां पिता की जायदाद में हिस्सा मांगती है, लेकिन समाज में … Read more

कीचड़ उछालना – हेमलता गुप्ता

तुम्हें नहीं लगता  चारु… आजकल शालिनी कुछ ज्यादा ही हवा में उड़ रही है, सर भी जब देखो उसी को आवाज लगाते रहते हैं  ऐसा लगता है हम तो यहां काम करते ही नहीं है! तुम्हें तो आए हुए अभी 6 महीने हुए हैं किंतु मैं और शालिनी दोनों एक साथ इस ऑफिस में लगे … Read more

कीचड़ उछालना – डॉ बीना कुण्डलिया 

मालती को ससुराल आये दो माह भी नहीं हुए, वो ननद गोमती की किच किच से परेशान हो गई थी। गोमती मुंहफट चालाक, बदचलन, उसकी हमउम्र भाभी मालती जो उसकी आँखों में सदा खटकती रहती। क्योंकि जब से वो घर में आई गोमती की आजादी जैसे छीन सी गई। उनकी दो आँखें सदा गोमती को … Read more

कीचड़ उछालना – खुशी

नमिता एक पढ़ी लिखी लड़की थी जो बैंक में नौकरी करतीं थी।उसकी शादी राघव से हुई जो बैंक में मैनेजर था दोनो का प्यार वही परवान चढ़ा और  नमिता के माता पिता का एक्सीडेंट में निधन हो जाने के कारण सिर्फ उसकी एक मौसी ही थी उनकी रजामंदी से राघव के माता पिता मोहन और … Read more

error: Content is protected !!