रिश्ते सहेजना – लतिका श्रीवास्तव
अभी ठीक से नींद खुली भी ना थी कि तेज तेज आवाजों ने सुरभि को जगा दिया। थकावट इतनी थी कि पोर पोर लहक़ रहा था।आंखों की पलकें तो खुल कर भी खुलने में असमर्थ थीं।बोझिल माथा दर्द के बोझ कराह रहा था। शादी की धूमधाम अभी खत्म भी कहां हुई है।फिर भी शादी समारोह … Read more