बहुरेंगे दिन – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi
“ आइए माँ ।” बहू की आवाज़ सुन कर जानकी जी अपनी आँखों में बह आए आँसुओं की हल्की सी बूँदाबाँदी को अपनी उँगलियों से पोंछते हुए अपनी चाल तेज कर दी बहू लतिका उनका हाथ पकड़कर चल रही थी। “बहू भीतर बहुत लोग होंगे… सब मेरी घरेलू भाषा समझेंगे भी नहीं ऐसे में प्रतीक … Read more