अस्तित्व – प्रीति श्रीवास्तवा : Moral Stories in Hindi
शारदा देवी की आँखें मंदिर के सामने बैठे-बैठे भर आई थीं। उनकी हथेलियों में जपमाला थी, पर मन जप में नहीं, अपने बिखरे हुए घर में उलझा हुआ था। हर दिन जैसे एक ही वाक्य उनके होंठों से निकलता – “हाय राम! मेरी तो तक़दीर ही फूट गई जो ऐसी बहू इस घर में आई।” … Read more