मैं  असमर्थ नहीं हूं – हेमलता गुप्ता

मां. मैं सोच रहा था इस बार दिवाली पर पीछे के कमरे को सही करवा देते हैं और उसमें एक टीवी भी लगवा देते हैं! क्यों बेटा.. पीछे का कमरा तो हमारा स्टोर रूम है उसको सही करवाने की क्या जरूरत है वह तो अच्छा भला है वैसे भी हम उसमें सोते बैठते थोड़े हैं, … Read more

लोगों का काम है कहना… – उमा महाजन

  अपने घर के अंदर की सफाई समाप्त करने के पश्चात् पोर्च को साफ करने के लिए सविता अपने हाथ में पकड़े हुए वायपर से पूरी ताकत से पोर्च का पानी खींचती हुई जैसे ही गेट पर पहुंची कि उसे सामने से उनकी सोसायटी की पिछली गली में रहने वाली अपनी सखी रेखा आती दिखाई दी। … Read more

असमर्थ – खुशी

जीवन लाल के चार बेटे और एक बेटी थी ।उनकी पत्नी सावित्री और एक विधवा बहन आशा उन्ही के साथ रहती थी।जीवन लाल की कपड़े की मिल थी।जीवन लाल की बच्चों में जान बसती थी।मदन ,बसंत, रमेश और सुरेश और प्यारी सी बेटी चंदा ये उनका भरा पूरा परिवार था। बच्चों के मुंह से एक … Read more

असमर्थ – विनीता सिंह

सुबह सूरज निकल रहा है, सूरज की किरणें चारों दिशाओं में फैल रही पक्षियों के चहकने की आवाज कानों आ रही तभी, आरती जी घर के मन्दिर में पूजा कर रही है, तभी पूजा की घंटी की आवाज सुनकर आरव सोकर उठ गया और तकिए का सहारा लेकर बैठ गया , तभी मां आई और … Read more

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