असमर्थ – के आर अमित
रात के दस बज चुके थे। चूल्हे की आख़िरी आँच धीमी पड़ चुकी थी। मिट्टी की दीवारों पर झिलमिलाती दीये की लौ के साथ एक आदमी लकड़ी की चारपाई पर बैठा था सिर झुका हुआ आँखों में नमी और सामने एक पुरानी स्कूल की कॉपी रखी थी। उसका नाम था रामनारायण गाँव के स्कूल में … Read more