अपनों से गैर भले – सुदर्शन सचदेवा
अभी-अभी की ही तो बात है। सुबह ऑफिस के लिए निकलते समय आईने में खुद को देखा तो मानो कोई और चेहरा दिखा—थकी आँखें, बुझा हुआ मन। साक्षी ने मोबाइल उठाया। माँ के पाँच मिस्ड कॉल थे। वह जानती थी—अब पूछताछ नहीं, हिदायतें आएँगी। उसने मोबाइल साइलेंट कर दिया। ऑफिस पहुँचकर भी मन वहीं अटका … Read more