अपनों से गैर भले – सुदर्शन सचदेवा

अभी-अभी की ही तो बात है। सुबह ऑफिस के लिए निकलते समय आईने में खुद को देखा तो मानो कोई और चेहरा दिखा—थकी आँखें, बुझा हुआ मन। साक्षी ने मोबाइल उठाया। माँ के पाँच मिस्ड कॉल थे। वह जानती थी—अब पूछताछ नहीं, हिदायतें आएँगी। उसने मोबाइल साइलेंट कर दिया। ऑफिस पहुँचकर भी मन वहीं अटका … Read more

रिश्ते की नई सुबह – संजय अग्रवाल

सुबह सुबह आश्रम के कार्यालय में हम बैठे थे, सावित्री मौसी के बारे में पूरी जानकारी देते। मौसी खामोशी से किनारे बैठी हुई है। मैनेजर ने कहा भाई साब काश ऐसे लोग और हो तो इन बुजुर्गों को कभी भीख न मांगना पड़े। बहुत बुरा लगता है हमें भी, मगर क्या करें नियमो से बंधे … Read more

error: Content is protected !!