अपनों से तो गैर भले – रश्मि झा मिश्रा
“…इस बार सोचती हूं, मां पापा की एनिवर्सरी में उन्हें सरप्राइज दिया जाए… वैसे भी उनके नए घर में मुझे रहने का मौका नहीं मिला है… इसी बहाने चार दिन रह भी लूंगी उनके साथ… ठीक है ना रजत…!” “… जो तुम्हें ठीक लगे… देख लो… टिकट कर लेना, या फिर मुझे बता देना…!” बात … Read more