बड़ा भाई – कविता झा ‘अविका’ : Moral Stories in Hindi

रिक्शे पर बैठी ही थी आरोही कि आसमान में डेरा जमाए काले बादलों ने बरसना शुरू कर दिया। वैसे  तो काफी देर से उसे लग रहा था बारिश होने वाली है। उसकी ट्रेन का समय हो रहा था। जल्द से जल्द उसे स्टेशन पहुंचना होगा वरना बहुत देर न  हो जाए और वो कभी अपने … Read more

अपनों की पहचान -सुनीता वर्मा

आठ बज चुके थे |दुकान बंद करने का समय हो चुका था , इसलिए ‘एरा कॉर्नर’बुटीक का शटर गिरा कर कनु जैसे ही सीढ़ियों से नीचे उतरी ,सामने के मेडिकल स्टोर पर उसे एक परिचित चेहरा दिखा |नाम स्मरण आते ही उसकी आँखें खुशी से चमकने लगीं |जल्दी –जल्दी सड़क पार कर उसने नजदीक पहुँच … Read more

अपनों की पहचान – परमा दत्त झा : Moral Stories in Hindi

आज रजनी बहुत दुखी थी। कारण भी बड़ा अजीब था—जिस राजेश बाबू को वह जीवनभर ताने देती रही, बुरा-भला कहती रही, उसी इंसान ने उसकी जिंदगी के सबसे कठिन क्षण में उसका सहारा बनकर उसके पति की जान बचाई थी। आज से आठ दिन पहले अचानक मदन जी को दिल का दौरा पड़ा था। पूरा … Read more

द्वेष – कविता झा’अविका : Moral Stories in Hindi

अंशिका बहुत ही उत्साहित थी जब उसे पता चला कि वो रेलवे की  परीक्षा में पास हो गई है और इंटरव्यू उस शहर में हो रहा है जहां उसकी अपनी बहन रहती है।  वैसे भी बहुत दिनों से वो दीदी से मिलना चाह रही थी। पहले वो अपनी  पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षाओं में व्यस्त होने … Read more

अपने तो अपने होते हैं – ज्योति आहूजा : Moral Stories in Hindi

रात के साढ़े बारह बजे थे। पूरा घर नींद में डूबा था, लेकिन रिया के कमरे से रोशनी बाहर झाँक रही थी। कमरे की सारी लाइटें जली थीं और एक कोने को रंगीन लाइट्स, पर्दों और फूलों से सजा कर उसने अपना छोटा-सा स्टूडियो बना लिया था। मोबाइल कैमरा ट्राइपॉड पर टिकाया था और वो … Read more

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