अपनों की पहचान – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

जानकी जी के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने की तैयारी हो रही थी । तीनों बहू बेटे एक किनारे बैठे बातो में मशगूल थे । चौथा बेटा अभी नहीं आ पाया है। किसी भी बहू बेटे की आंखों में मां के चले जाने का ग़म दिखाई नहीं दे रहा था। बस … Read more

रिश्तों की कसक – कमलेश आहूजा : Moral Stories in Hindi

चेहरा सब कुछ व्यक्त कर देता है,सरोज के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ।वो अपना दर्द किसी के सामने जाहिर नहीं करना चाहती थी,फिर भी ना जाने क्यों उसके चेहरे पे एक उदासी सी छा गई।वो बीच फंक्शन में से उठकर अपने रूम में आ गई। दरअसल सरोज अपने बेटे रोमिल के साथ नन्द के … Read more

अपने तो अपने ही  होते हैं – शिव कुमारी शुक्ला  : Moral Stories in Hindi

सारिका एक न्यूक्लियर परिवार की बेटी थी जिसमें वह उसका भाई एवं  मम्मी-पापा थे। इनके अलावा उसने कभी और किसी रिश्ते को देखा नहीं था।न अपने ददीहाल के न ननीहाल के। कारण उसके पापा को किसी के साथ भी रिश्ता रखना पसंद नहीं था। वे बस हम दो हमारे दो में ही विश्वास रखते थे।न … Read more

ज़िंदगी और कुछ भी नहीं , तेरी मेरी कहानी है – सिन्नी पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

रिचा एक  प्रतिष्ठित परिवार की संस्कारी लड़की थी संयुक्त परिवार में पली-बढ़ी, बड़े भाइयों के सानिध्य में सुरक्षित ,अपनी भाभी से मित्रवत व्यवहार रखने वाली रिचा का जीवन बहुत आराम से व्यतीत हो रहा था ।वह पढ़ाई कर रही थी और संयुक्त परिवार में रहने का भरपूर आनंद उठा रही थी। अचानक रिचा के जीवन … Read more

अपनों की पहचान – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

लता दी के दूर के रिश्ते के भाई का बेटा था मानव… जब पहली बार मानव लता दी के घर आया, उसे देखते ही लता दी का मन… एक अनजाने अपनत्व से भर उठा…   लता दी कि अपनी भरी पूरी गृहस्थी थी… उनके पति की अच्छी नौकरी थी… दो बेटियां थीं… कमी तो कोई नहीं … Read more

अपना और पराया – विनीता महक : Moral Stories in Hindi

चारों तरफ त्राहि त्राहि मची थी। पूरे संसार पर प्रलय जैसा माहौल था। कोई कुछ समझ नहीं पा रहा था। सब यही बातें कर रहे थे कि कोई ऐसा बैक्टीरिया फैला है जो धीरे-धीरे सबको मार देगा ।कहां से आया, कैसे फैला यह कोई नहीं जानता था। उसी समय ग्राम पंचायत मुखिया यानी प्रधानी के … Read more

 अपनों की पहचान -सुनीता माथुर : Moral Stories in Hindi

सुष्मिता 2 साल पुराने अपने ख्यालों में खो जाती है—- कितना अच्छा समय था पति समीर बैंक मैनेजर थे और रिटायर्ड होने में अभी 2 साल ही बाकी थे उनकी हार्ट अटैक से मृत्यु हो जाती है, समीर मेरे साथ-साथ अपने बेटे शशांक  और बेटी शालिनी का बहुत ध्यान रखते थे रिटायर्मेंट के पहले ही——- … Read more

मंझली बहू – शुभ्रा बैनर्जी  : Moral Stories in Hindi

चार बेटों की मां,मुग्धा देवी कठोर अनुशासन प्रिय महिला थीं।उनकी मर्जी के बगैर घर में पत्ता भी नहीं हिलता था।पति के जाने के बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी बड़े बेटे शुभ के कंधों पर आ गई थी।अपनी कमाई से ही संयुक्त परिवार का खर्च वहन करता था वह।मंझले बेटे के साथ गुरु दर्शन को गईं,मुग्धा … Read more

वक़्त पर काम आना – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

“आजकल के बच्चों की यह बात मुझे एकदम पसंद नहीं आती है,जो कमाया सभी उड़ा दिया।आड़े वक़्त के लिए कुछ बचा कर रखते ही नहीं है।अब कुछ विपप्ति आई तो चलो किसी के आगे हाथ पैर जोड़ने।तुम्हारी शादी में इतना लेनदेन किया फिर भी मुझसे उम्मीद रखती हो। अब कहाँ से दूँ।”पापा की बात सुनकर … Read more

 रिश्ता – एम पी सिंह : Moral Stories in Hindi

राजू के पैदा होते ही उसकी मां गुजर गई थी और जब वो 7 साल का था, उसके पिता भी गुजर गए थे। दादी थी नही, इसलिए दादा ने जैसे तैसे बड़ा किया। 15 साल की उम्र में दादा भी साथ छोड़ गए। पेट भरने के लिए उसने पढ़ाई छोड़ दी और एक स्कूटर रिपेयर … Read more

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