जिम्मेदारी की दीवारें – प्रतिमा पाठक
सुबह की पहली किरण जैसे ही आँगन में पड़ी, रसोई से बर्तनों की खनखनाहट की आवाज़ आने लगी। घर की बहू संध्या अपने तीन बच्चों के टिफ़िन तैयार कर रही थी। सासू माँ पूजा कर रही थीं, ससुर जी अख़बार पढ़ रहे थे, और पति राजीव मोबाइल पर दफ़्तर की मेल देख रहे थे। संध्या … Read more